Supreme Court Decision : सरकारी कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का आया अहम फैसला, अब सबूत की जरूरत नहीं
Supreme Court Decision : सरकारी कर्मचारियों के मामले भी लगातार कोर्टों में पहुंचते रहते हैं। ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट (पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के मामले में सबूत को लेकर अहम बात कही है। सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने एक मामले में सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की है।

Hr Breaking News (supreme court order) : सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने बोला है भ्रष्टाचार शासन को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाता है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court case) ने ये भी कहा कि इससे ईमानदार कर्मचारी का मनोबल कम होता है। अदालत ने मामले की सुनवाई में एक फैसले का उदाहरण भी दिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ये बड़ी बातें क्यों कही आइए जानते हैं इस आर्टिकल में...
"सबूत की जरूरत नहीं है"
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court case decision) ने भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनवाई की है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी भी की। केस की सुनवाई न्यायमूर्ति एसए नजीर (Supreme Court Judge) की अध्यक्षता वाली 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने की। बैंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी कानून के अनुसार किसी सरकारी कर्मचारी को दोषी करार देने के लिए प्रत्यक्ष सबूत होना जरूरी नहीं है।
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सुप्रीम कोर्ट ने कही ये अहम बात
भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को कोर्ट (Court) तक लाने में ही बहुत प्रयास करने पड़ते हैं। इसके लिए कोई तगड़ा जोर लगाकर ही किसी भ्रष्ट अधिकारी (government employee corruption case) को कानूनी कटघरे में लेकर आता है। इस बात पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गौर किया। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने बोला कि सरकारी कर्मी को भ्रष्टाचार के केस में परिस्थिति जन्य आधार पर ही रिश्वत के आरोप में दोषी करार दिया जा सकता है।
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सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने बोला कि मृत्यु अथवा किसी दूसरी वजह से शिकायत देने वाला प्रत्यक्ष साक्ष्य चाहे न हो, लेकिन फिर भी कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार सरकारी अधिकारी को दोषी करार दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट (supreme court verdict) ने ये बड़ी टिप्पणी है।
सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बैंच ने कही ये बात
न्यायमूर्ति एसए नजीर (Supreme Court Judge) की अध्यक्षता में 5 जजों की संविधान पीठ ने सुनवाई की। बैंच (Supreme Court banch) में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस वी रामासुब्रह्मण्यम, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस बीवी नागरत्ना भी शामिल रहे। कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार के जिन मामलों में लोक सेवक (IAS IPS) आरोपी हों, उनमें शिकायत देने वाले और जांच करने वाले को पूरी ईमानदारी से भ्रष्ट अधिकारी को दंडित कराने का प्रयास करना चाहिए। इससे प्रशासन में भ्रष्टाचार खत्म हो सकेगा।
लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार बना समस्या
सुप्रीम कोर्ट ने मामले कहा कि आरोपी के प्रति उदारता दिखाने की मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने बोला कि लोक सेवकों की ओर से भ्रष्टाचार किया जाना एक गंभीर समस्या बन गई है। भ्रष्टाचार से देश में विकास कार्यों पर ब्रेक लगते हैं। जिसका खामियाजा सारी जनता को भुगतना पड़ता है। बता दें कि यह मामला फरवरी 2019 में तीन जजों की पीठ ने संविधान पीठ को भेजा था। इसे चीफ जस्टिस को भेजा गया था।