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Supreme Court Decision : आपकी निजी संपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला, सरकार से छीना ये अधिकार

Supreme Court Decision : सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्तियों और सार्वजनिक भलाई के लिए इसके अधिग्रहण और इस्तेमाल को लेकर राज्य की शक्ति के संबंध में अहम फैसला सुनाया है... कोर्ट (Court) की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से जानने के लिए इस खबर को पूरा पढ़ लें-

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Supreme Court Decision : आपकी निजी संपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला, सरकार से छीना ये अधिकार

HR Breaking News, Digital Desk- (Supreme Court Decision) भारत के सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें निजी संपत्तियों के अधिग्रहण और सार्वजनिक कल्याण के लिए उनके उपयोग को लेकर राज्य की शक्ति को सीमित किया गया है. 

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली नौ जजों की इस पीठ ने बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य सरकार सभी निजी संपत्तियों का अधिग्रहण नहीं कर सकती, बल्कि केवल कुछ विशिष्ट प्रकार की संपत्तियों का ही अधिग्रहण कर सकती है. इस निर्णय के साथ ही, न्यायालय ने 1978 के अपने ही एक ऐतिहासिक फैसले को पलट दिया है. (Supreme Court order)

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने यह जजमेंट संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के दायरे से संबंधित एक मामले में सुनाया है. यह अनुच्छेद निजी संपत्तियों और ‘सार्वजनिक भलाई’ के लिए संपत्ति के अधिग्रहण (acquisition of property) और पुनर्वितरण पर राज्य की शक्ति से संबंधित है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा-

सीजेआई ने कहा कि– हमारा मानना ​​है कि केशवानंद भारती में जिस हद तक अनुच्छेद 31(सी) को बरकरार रखा गया है, वह लागू रहेगा और यह सर्वसम्मत है. सीजेआई ने कहा कि 42वें संशोधन की धारा 4 का उद्देश्य एक ही समय में अनुच्छेद 39(बी) को निरस्त करना और प्रतिस्थापित करना था. हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि असंशोधित अनुच्छेद 31सी लागू रहेगा. हम स्पष्ट करते हैं कि ना केवल उत्पादन के साधन, बल्कि सामग्री भी अनुच्छेद 39(बी) के दायरे में आते हैं.

सीजेआई ने कहा, “हमारा मानना ​​है कि किसी व्यक्ति के मालिकाना हक वाले प्रत्येक संसाधन को केवल इसलिए समुदाय का भौतिक संसाधन नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भौतिक आवश्यकताओं की योग्यता को पूरा करता है.

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर का 1978 का फैसला, जिसमें निजी व्यक्तियों की सभी संपत्तियों को सामुदायिक संपत्ति (community property) कहा जा सकता है, लेकिन उन्नत समाजवादी आर्थिक विचारधारा में यह फैसला अस्थिर है.