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Supreme Court : शादी के तुरंत बाद पत्नी को छोड़ विदेश चला गया पति, सुप्रीम कोर्ट ने बाप को दिए ये आदेश

Supreme Court Decision : शादी के बाद एक पति का अपनी पत्नी व बच्चों का पालन पोषण करने का कर्तव्य बनता है, लेकिन तब क्या हो जब पति शादी करते ही पत्नी को छोड़ विदेश चला जाए और फिर लौट कर न आए। ऐसा ही हुआ है एक मामले में, जिसके बारे में हम आपको यहां पर बताने जा रहे हैं। पति जब पत्नी को छोड़कर विदेश चला गया तो पत्नी ने केस (husband wife dispute)दायर कर दिया और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्ति को पिता को जो आदेश दिए, उसने हर किसी को हैरान कर दिया।

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Supreme Court : शादी के तुरंत बाद पत्नी को छोड़ विदेश चला गया पति, सुप्रीम कोर्ट ने बाप को दिए ये आदेश

HR Breaking News - (ब्यूरो)। पति-पत्नी का रिश्ता कई जिम्मदारियों को वहन करने का होता है। पत्नी के सही जीवन यापन के लिए भी एक पति ही जिम्मेदार होता है। यहां पर एक ऐसे मामले के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिसमें पति ने न केवल अपनी गैर जिम्मेदारी निभाई बल्कि विदेश जाकर दूसरी शादी भी कर ली। यह मामला जब सुप्रीम कोर्ट (property and mantinance dispute) में पहुंचा तो कोर्ट ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए अहम निर्णय लिया। आइये खबर में जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बारे में।

 

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यह था मामला 

 

 

 

मामले के अनुसार मोहन गोपाल नाम के शख्स का बेटा अपनी पत्नी को शादी के तुरंत बाद छोड़कर आस्ट्रेलिया चला गया था। इसके बाद उसने वहीं पर किसी और महिला से शादी कर ली और लौटकर नहीं आया। इसके बाद पहले वाली पत्नी ने पति व अपने ससुर पर मुकदमा दायर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मोहन गोपाल को अपनी छह पैतृक दुकानें (property dispute) बेचकर बहू को गुजारा भत्ता (alimony case) देने का आदेश दिया है। 

 

कोर्ट के आदेशों की अनदेखी भी की-

 

इस मामले में यह भी सामने आया कि पिता व बेटे ने कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन भी किया था।  उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने संज्ञान लेते हुए कहा कि मोहन गोपाल और उसके बेटे वरुण को अब गुजारा भत्ते की पूरी राशि याची महिला को देनी होगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने की यह टिप्पणी -

मोहन गोपाल की 6 दुकानों की बिक्री से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट (delhi high court decision) को निर्देश देते हुए कहा की जब तक महिला का बकाया गुजारा भत्ता 1.25 करोड़ रुपये पूरा नहीं होता, तब तक इन दुकानों से मिलने वाला किराया महिला को दिया जाएगा। यदि तीन महीने के दायरे में यह संपत्ति नहीं बिकती, तो कोर्ट ने साफ कहा कि यह संपत्ति (Daughter-in-law's right in father-in-law's property) महिला के नाम कर दी जाएगी। इस फैसले से मोहन गोपाल पर दबाव बढ़ा क्योंकि उसे संपत्ति बेचने की प्रक्रिया को जल्द पूरा करना था।

अदालत ने जांचे ये कागजात-

सुनवाई के दौरान शादी के बाद वरुण के ऑस्ट्रेलिया भागने और वहां दूसरी शादी और उस शादी से बच्चों को लेकर दस्तावेजों की अदालत ने जांच की थी । कोर्ट ने बैंक ट्रांजैक्शन, पति की कमाई व संपत्ति (Wife's right in husband's property) की भी जांच की, जिसमें यह पता चला कि वरुण को पर्याप्त धनराशि प्राप्त हो रही थी। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट (supreme court decision in alimony case) ने महिला के पक्ष में निर्णय लिया, जिससे उसे न्याय मिलने की उम्मीद बनी।

शादी के बाद विदेश से नहीं लौटा पति -

 2012 में अपनी शादी के वक्त से ऑस्ट्रेलिया में नौकरी करने वाला वरुण शादी के बाद ऑस्ट्रेलिया में ही रुक गया और वापस नहीं लौटा। जिसके बाद वरुण और उसके पिता मोहन गोपाल के खिलाफ पत्नि ने FIR दर्ज करा दी थी। जिसके बाद एक बात सामने आई जिसमें पता चला की वरुण ने ऑस्ट्रेलिया की अदालत से 2017 में तलाक के कागजात प्राप्त कर लिए थे। 


जिसके बाद अदालत में सुनवाई में मोहन गोपाल (mohan gopal and varun property case) ने बार-बार कहा कि वह अपने बेटे के कृत्यों में उसका कोई कसूर नहीं हैं, लेकिन अदालत ने उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया और सख्ती बरतते हुए महिला के हक में दुकानें बेचकर गुजारा भत्ता (maintenance and alimony)देने का फैसला सुनाया।