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Supreme Court : कर्मचारियों की पेंशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, इन लोगों को नहीं मिलेगा पेंशन का लाभ

SC decison : किसी भी कर्मचारी के लिए पेंशन उसकी नौकरी के बाद बुढ़ापे में बड़ा वित्तीय सहारा होती है। सरकार ने पेंशन को लेकर कई तरह के नियम तय कर रखे हैं। अब कर्मचारियों की पेंशन से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला (Court decision on pension) सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि किन कर्मचारियों को पेंशन नहीं मिलेगी, यह फैसला लाखों पेंशनर्स के लिए अहम साबित हुआ है।

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Supreme Court : कर्मचारियों की पेंशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, इन लोगों को नहीं मिलेगा पेंशन का लाभ

HR Breaking News : (pension rules)। हर नौकरीपेशा व्यक्ति की नौकरी के दौरान पेंशन योगदान के लिए राशि जमा होती है। रिटायरमेंट के बाद यह सरकार की ओर से तय किए गए नियमों (pension ke niyam)के अुनसार किसी कर्मचारी को मिलती है। अब पेंशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court news )के फैसले से अनेक पेंशनर्स को तगड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट शब्दों में कहना है कि कुछ विशेष कर्मचारी यह पेंशन लेने के हकदार नहीं हैं।  यह मामला कलकत्ता हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। आइये जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बारे में।


केवल इन्हें मिलेगी केंद्रीय पेंशन-


राज्य व केंद्र सरकार के पेंशन नियमों पर पेंशन पाने से जुड़े इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बताया है कि केंद्रीय पेंशन पाने के हकदार कौन हैं और कौन नहीं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले (Supreme Court on centre pension rule) के अनुसार केंद्रीय विभाग में अगर कोई राज्य सरकार का कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर  है तो उसे केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन (Central civil pension) नियम के अनुसार पेंशन मिलने का हक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना व एक अन्य जज ने की। 


हाईकोर्ट ने कही थी यह बात-


कलकत्ता हाईकोर्ट (culcutta High court decision) ने इस मामले में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के आदेश को सही ठहराते हुए यह कहा था कि प्रतिवादी राज्य सरकार से प्रतिनियुक्त होकर आए कर्मचारी की पेंशन को केंद्रीय वेतनमान अनुसार दिया जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Latest update) ने हाईकोर्ट के फैसले को पूरी तरह से पलट दिया।

जानिये क्या था पूरा मामला-


जब पेंशन से जुड़ा यह मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा तो यहां पर प्रतिनियुक्ति और पेंशन पात्रता पर गहराई से मंथन किया गया। मामले के अनुसार प्रतिवादी फणी भूषण पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार (govt pension rules) में 1968 से सेवारत थे। इसके बाद 1991 में केंद्र सरकार के विभाग में उनको पशुपालन आयुक्त बनाया गया। यह पद उन्हें प्रतिनियुक्ति के बाद दिया गया । इसके बाद एक साल बाद जब वे 1992 में सेवानिवृत्त हुए तो उनको मूल विभाग में नहीं भेजा गया और इसी विभाग से रिटायर करते हुए  राज्य सरकार (state govt pension rules) के पेंशन नियमों अनुसार उनकी पेंशन निर्धारित की गई। 


यह लगाई गई थी याचिका -


इस मामले में फणी भूषण कुंडू ने कैट (CAT) में इस बात की याचिका लगाई कि राज्य सरकार से प्रतिनियुक्त होकर आए कर्मचारी को केंद्रीय पे स्केल अनुसार पेंशन मिलनी चाहिए। इस पर कैट (CAT) ने पेंशन को पशुपालन आयुक्त के पद के हिसाब से ही केंद्रीय वेतनमान के अनुसार देने  का निर्णय दिया। इसके बाद मामला सरकार की ओर से कलकत्ता हाईकोर्ट (High court decision) ले जाया गया। यहां भी कैट के आदेश को सही ठहराया गया  यानी केंद्रीय वेतनमान के अनुसार पेंशन मिलता तय हुआ। इसके बाद मामला शीर्ष अदालत में पहुंचा था।

केंद्रीय पेंशन वेतनमान खारिज-


सुप्रीम में यह मामला तब पहुंचा जब हाई कोर्ट ने इस मामले में केंद्रीय वेतनमान मिलने का निर्णय दिया था। यह फैसला कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुनाया था। इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया और यहां पर सवाल उठा कि प्रतिनियुक्ति किए जाने पर किसी प्रतिवादी की राज्य से केंद्र सरकार में सेवा जारी होती है तो उसे केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम (Central Civil Services Pension Rules)1972 के अनुसार पेंशन मिलेगी या नहीं? या फिर राज्य के पेंशन नियम के अनुसार पेंशन मिलेगी? सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए ऐसे कर्मचारियों को केंद्रीय पेंशन वाला वेतनमान (central pension pay scale) देने की बात को सिरे से खारिज कर दिया। 

Supreme Court का यह है कहना- 


अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रतिनियुक्ति तो केवल अस्थायी तौर पर ही की जाती है। ऐसा नहीं है कि प्रतिनियुक्ति पाने से कोई भी राज्य सरकार का कर्मचारी केंद्र सरकार का स्थायी कर्मचारी (central employees)का दर्जा हासिल कर लेगा। इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने  पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम फैसला देते हुए कहा है कि प्रतिनियुक्ति (pension rules for deputation employees) खत्म होने पर कर्मचारी अपने वापस विभाग में चला जाता है और इससे स्पष्ट होता है कि वह केंद्रीय पेंशन के नियम (central pension new rules) के लाभ का हकदार नहीं रहता।

इन कर्मचारियों को लगा झटका-


राज्य सरकार से प्रतिनियुक्त होकर केंद्रीय सरकार (central govt news) के विभाग में आए कर्मचारी को केंद्रीय वेतनमान अनुसार पेंशन नहीं मिलने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ऐसे कर्मचारियों को झटका लगा है। ऐसे कर्मचारियों को केंद्रीय पेंशन रूल (Pension ke niyam)अनुसार पेंशन नहीं मिलेगी।