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Supreme Court : अब किराएदार बन जाएगा मकान का मालिक, सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

Supreme Court : ज़्यादातर लोग किराये से होने वाली आमदनी के लिए अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देते हैं। कई मकानमालिकों को बस किराये से मतलब होता है, लेकिन यह लापरवाही भारी पड़ सकती है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक निर्णय सुनाया है जिसमें ये बताया है कि क‍ब और कितने सालों में किराएदार प्रापर्टी पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है-

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Supreme Court : अब किराएदार बन जाएगा मकान का मालिक, सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

HR Breaking News, Digital Desk- ज़्यादातर लोग किराये से होने वाली आमदनी के लिए अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देते हैं। कई मकानमालिकों (landlords) को बस किराये से मतलब होता है, लेकिन यह लापरवाही भारी पड़ सकती है। अपनी प्रॉपर्टी से हाथ धोने से बचने के लिए सतर्क रहना ज़रूरी है। लापरवाही से आप अपनी संपत्ति खो सकते हैं।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision) ने हाल ही में एक निर्णय सुनाया है जिसमें ये बताया है कि क‍ब और कितने सालों में किराएदार प्रापर्टी पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले में निजी और प्राइवेट दोनों तरह की संपतियों का जिक्र किया है। आइए जानते हैं-

संपत्ति संबंधी कानूनी धाराओं की जानकारी न होने के कारण अक्सर संपत्ति विवाद पैदा होते हैं। संपत्ति मालिकों के लिए अपनी संपत्तियों की प्रभावी ढंग से सुरक्षा करने और ऐसे विवादों से बचने के लिए इन कानूनों को समझना महत्वपूर्ण है।

सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के हालिया फैसला संपत्ति कानूनों के बारे में जानकारी रखने के लिए लोगों को सचेत करने वाला है। प्रॉपर्टी का मालिक जानकारी और सतर्कता बनाए रखकर, अपनी प्रॉपटी को सुरक्षित रखते हुए संभावित विवादों से बच सकता हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने बताया कब किराएदार कर सकता है स्‍वामित्‍व का दावा-

सुप्रीम कोर्ट ने प्रापर्टी से जुड़े एक केस की सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया है। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा 12 साल तक जमीन पर कब्ज़ा करने वाले व्यक्ति को उसका मालिक माना जाएगा, बशर्ते उस दौरान किसी ने मालिकाना हक का दावा न किया हो। यह फैसला निजी जमीन और प्रापर्टी (property) पर लागू होगा लेकिन सरकारी संपत्तियों पर लागू नहीं होता।

हालांकि भारत में संपत्ति के स्‍वामित्‍व को नियंत्रित करने के लिए नियम हैं। उन्‍हीं में से एक नियम ऐसा है जो किराएदारों को 12 साल तक लगातार रहने के बाद कब्जे का दावा करने की अनुमति देता है, लेकिन उसके लिए कुछ शर्तों को पूरा करना होगा।


शर्ते-

- मकान मालिक या संपत्ति मालिक 12 साल के दौरान कभी भी कब्जे के लिए कोई रोक-रोक नहीं की हो।

- किरायए दावा करने के लिए प्रॉपटी डीड, पानी, बिजली बिल सबूत के तौर पर दे सकता है।

-प्रॉपटी पर किराएदार का ही लगातार कब्जा रहा हो, इन 12 सालों में कोई ब्रेक यानी उसका कब्जा प्रापर्टी से हटा नहीं हो।

संपत्ति विवादों में कानूनी धाराएं -

संपत्ति विवादों से निपटने के दौरान कई कानूनी धाराएं लागू होती हैं। कानूनी धारा 406 के तहत व्यक्ति आपकी संपत्ति पर कब्ज़ा करने के लिए आपके भरोसे का फायदा उठाता है। पीड़ित इस धारा के तहत शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 467 गंभीर अपराधों से संबंधित है जहाँ लोग भूमि या संपत्ति पर कब्ज़ा करने के लिए जाली दस्तावेज़ों का उपयोग करते हैं। यह एक गैर-शमनीय अपराध है, जिसका अर्थ है कि इसे अदालत के बाहर निपटाया नहीं जा सकता और इसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के लिए कड़ी सज़ा का प्रावधान है।

प्रतिकूल कब्ज़ा कानून-

ब्रिटिश काल के प्रतिकूल कब्ज़ा कानून (Adverse possession laws of the British era) के तहत, यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति पर 12 साल तक बिना किसी बाधा के रहता है, तो वह उस पर स्वामित्व का दावा कर सकता है। हालांकि, इसके लिए उसे कुछ विशिष्ट शर्तों को पूरा करना होगा और आवश्यक दस्तावेज सबूत के तौर पर पेश करने होंगे।

कानूनी धारा 420 संपत्ति विवादों (property dispute) से संबंधित विभिन्न प्रकार की धोखाधड़ी और झूठे वादों को कवर करती है। पीड़ितों को ऐसे मुद्दों का सामना करते समय इस धारा के तहत शिकायत दर्ज करनी चाहिए।