Supreme Court : सरकारी कर्मचारियों की सैलरी काटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कही अहम बात
employees salary rules : किसी भी कर्मचारी के लिए वेतन उसका व उसके परिवार का बड़ा सहारा होता है। अगर सैलरी (govt employees salary) पर ही तलवार चल जाए तो घर का गुजारा भी मुश्किल हो जाता है। सरकारी कर्मचारियों की सैलरी काटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (supreme court news) ने बड़ी बात कही है। आइये जानते हैं क्या कहा है देश की शीर्ष अदालत ने।

HR Breaking News - (SC decision on salary)। वेतन को लेकर अक्सर सरकारी कर्मचारी कई तरह की मांग करते नजर आते हैं, कभी इसे बढ़ाने के लिए तो कभी काम के अनुसार वेतन (salary update news) देने के लिए मांग करते दिखाई देते हैं। अगर इसे बढ़ाने के बजाय काट लिया जाए तो क्या बीतेगी। सैलरी कटौती के गंभीर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अब यह फैसला हर कर्मचारी की जुबान पर है। सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय से कर्मचारियों के अधिकारों (employee's rights) का भी पता चलता है।
नहीं काटी जा सकती सैलरी-
सरकारी कर्मचारियों की सैलरी काटने पर सुप्रीम कोर्ट (SC decision on salary deduction) ने नाराजगी जताते हुए सरकार को खूब खरी खोटी सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि एक बार सैलरी तय करने के बाद उसमें कटौती (salary deduction rules) नहीं की जा सकती और न ही उसे कम किया जा सकता है।
इस कदम को बताया दंडात्मक कार्रवाई -
सैलरी तय होने के बाद नए या पुराने समय से सैलरी में किसी सूरत में कटौती नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कर्मचारी की सैलरी में कटौती (employees salary deduction rules) करना या वसूली करना दंडात्मक कार्रवाई के समान होती है और यह सही कदम नहीं है। इसके आगामी समय में गंभीर परिणाम आ सकते हैं।
बिहार सरकार ने दिए थे ये आदेश-
बिहार सरकार ने 31 जनवरी, 2001 को एडीएसओ (SDO salary deduction case) के पद से रिटायर हुए एक शख्स को अप्रैल 2009 में पत्र भेजा। इसमें लिखा था कि उसकी सैलरी तय करने में गलती हुई है, इस कारण उसे ज्यादा सैलरी (salary hike rules) दे गई है, जो अब वसूली जाएगी। रिटायर्ड कर्मचारी से 63,765 रुपये वसूले जाने की बात इस पत्र में कही गई थी। कर्मचारी ने मामला हाईकोर्ट में रखा लेकिन वहां राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट (supreme court) पहुंचा था।
सरकार के आदेश को किया रद्द-
सुप्रीम कोर्ट की ओर से सुनाए गए फैसले के अनुसार सरकार ऐसा कोई फैसला नहीं ले सकती, जिसमें पिछले महीने या पिछले साल से कटौती किए जाने की बात हो। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने बिहार (bihar govt employees) के एक रिटायर्ड कर्मचारी की सैलरी में कटौती करने के मामले में यह निर्णय सुनाया है। बिहार सरकार (bihar govt) ने 2009 में इस रिटायर्ड कर्मचारी की सैलरी काटने व पैसों की वसूली के आदेश दिए थे, जो कोर्ट ने रद्द कर दिए।
हाईकोर्ट ने यह सुनाया था फैसला-
बिहार सरकार की ओर से सैलरी काटने (salary decudtion rules) के आदेशों पर पटना हाईकोर्ट की ओर से दिए गए फैसले को रिटायर्ड कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। पटना हाईकोर्ट (patna high court) ने कहा था कि वेतन तय करते समय इस कर्मचारी की सैलरी में कटौती की गई थी और यह फरवरी 1999 में सरकार की ओर से जारी प्रस्ताव के अनुसार ही थी। इसलिए वे ज्यादा सैलरी (govt service rules) लेने के हकदार नहीं थे। इस फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी।
पदोन्नत करके सैलरी कर दी थी संशोधित -
इस कर्मचारी को साल 1966 में बिहार की राज्य सरकार (bihar govt news) में आपूर्ति निरीक्षक के पद पर नियुक्ति मिली थी। साल 1981 में प्रमोशन भी मिला पर अप्रैल 1981 में ही उसे जूनियर चयन ग्रेड में रख दिया गया। मार्च 1991 में एसडीओ बनाकर प्रदेश सरकार ने फरवरी 1999 में फिर से एक और प्रस्ताव जारी कर दिया और इस बार विपणन अधिकारी और एडीएसओ की सैलरी को जनवरी 1996 से संशोधित (salary rivise rules) बताया गया । ऐसे में इस कर्मचारी की सैलरी बढ़ाने के बजाय कम कर दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सरकार को नहीं है ये पावर
यह कर्मचारी 2001 में रिटायर हुआ था और सरकार ने अधिक सैलरी गलती से दिए जाने की बात कहकर वसूली के आदेश दिए थे। इसी पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court news) ने सरकार को जमकर खरी खरी सुनाते हुए ऐसे फैसलों की पावर सरकार को न होने की बात कही व रिटायर्ड कर्मचारी के पक्ष में फैसला सुनाया।