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supreme court : पिता की प्रोपर्टी में बेटी के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आया बड़ा फैसला

SC Decision on property : प्रोपर्टी में बेटियों के हिस्से को लेकर कई प्रकार के विवाद सुनने को मिलते हैं। कई मामलों में देखा जाता है कि पिता की प्रोपर्टी (daughter's property rights) में बंटवारे के वक्त बेटी को कोई हिस्सा नहीं दिया जाता और बेटे को ही पूरी प्रोपर्टी दे दी जाती है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोपर्टी से जुड़े एक मामले पर फैसला सुनाया है, जिसमें पिता की प्रोपर्टी में बेटी के अधिकार को लेकर सब कुछ स्पष्ट किया है।

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supreme court : पिता की प्रोपर्टी में बेटी के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आया बड़ा फैसला

HR Breaking News - (SC decision)। आजकल बेटा-बेटी को कई मामलों में समान दर्जा दिया जाने लगा है, लेकिन प्रोपर्टी के मामले में अभी भी कई जगह बेटियों के हक (daughter's rights on property) को लेकर विवाद सामने आ जाते हैं। अधिकतर बेटियां पिता की प्रोपर्टी में अपने हक को लेकर आज भी अनजान हैं, जिस कारण से प्रोपर्टी विवाद के मामले और उलझ जाते हैं। ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है।


शादी के बाद भी बेटी का है संपत्ति पर अधिकार -


शादी के बाद भी बेटी को पैतृक संपत्ति पर अधिकार (ancestral property rights) होता है और उसे वसीयत से बाहर नहीं किया जा सकता। दादा-दादी की संपत्ति पर भी बेटी का अधिकार है। इसमें बेटा और बेटी दोनों को बराबरी का हिस्सा मिलता है। पिता की संपत्ति में अगर पिता ने वसीयत नहीं की है, तो बेटी को भी बेटे के बराबर हक मिलता है। हिंदू उत्तराधिकार कानून (hindu succession law) के तहत अब बेटियां और बेटे दोनों माता-पिता की संपत्ति में बराबर हिस्सेदार हैं। 

कानून में यह है प्रावधान -


आज भी समाज में कई लोग सोचते हैं कि अगर बेटी की शादी हो जाए और उसे कुछ संपत्ति या उपहार दिए गए हों, तो वह अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार नहीं रख सकती। लेकिन कानून के अनुसार, पिता की संपत्ति पर बेटे और बेटी का अधिकार (son daughter property rights) समान होता है। दोनों को पिता की संपत्ति में बराबरी का हक मिलता है, चाहे वह शादीशुदा हो या नहीं। बेटी के अधिकार शादी के बाद भी खत्म नहीं होते, जैसे बेटे के अधिकार नहीं खत्म होते। दोनों को प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी के रूप में माना जाता है।


इस परिस्थिति में नहीं मिलेगी कोई प्रोपर्टी  -


2005 में संशोधित किए गए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) कानून के तहत, अगर कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति के बारे में वसीयत नहीं करता, तो बेटी को भी बेटे की तरह संपत्ति का अधिकार मिलता है। अगर वसीयत होती है, तो संपत्ति का मालिकाना हक वसीयत अनुसार ही तय होता है। हालांकि, कई बार देखा गया है कि माता-पिता बेटे को संपत्ति (parents property rights) का मालिक बना देते हैं और बेटियों को संपत्ति से बाहर कर देते हैं। ऐसा होने से बेटी के हक में कमी आती है, जबकि वह भी संपत्ति की उत्तराधिकारी हो सकती है।


कब मिला महिलाओं को स्वतंत्र रूप से यह अधिकार -


2005 में एक नए कानून के तहत अधिनियम की धारा 6 के प्रावधानों में कुछ बदलाव किए, जिससे महिलाओं को पहले से अधिक स्वतंत्र रूप से पैतृक संपत्ति व पिता की संपत्ति में अधिकार मिले हैं। इस बदलाव से महिलाओं को बेटे के समान अपने पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी का अधिकार (women property rights) मिला। महिलाएं अब अपने पिता की स्वीकृत और खुद की संपत्ति में बंटवारे का हिस्सा मांग सकती हैं। 

अब महिला भी कर सकती है प्रोपर्टी का बंटवारा -


पहले महिलाओं को परिवार की संपत्ति में रहने का तो अधिकार था, लेकिन वे उसका बंटवारा नहीं कर सकती थीं, जो केवल पुरुषों का अधिकार था। इससे पहले, एक बेटी को परिवार की संपत्ति में हिस्सेदारी का अधिकार नहीं था, लेकिन हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में 2005 में संशोधन किया गया। इसके बाद अब यह अधिकार उसे भी मिल गया है। इस संशोधन (Amendment in women property rights) ने महिलाओं के संपत्ति अधिकारों में महत्वपूर्ण बदलाव किया, जिससे उन्हें समान अधिकार प्राप्त हुआ।


 बेटी के बच्चों को मिलता है कितना हक-


यदि किसी कारण से बेटी की मृत्यु हो जाती है, तो बेटी की संतान को पिता की संपत्ति में वही अधिकार (property rights)मिलेगा जो बेटी को मिलता। यह अधिकार किसी भी लिंग पर आधारित नहीं है। बेटे की मृत्यु के बाद भी उसके बच्चों को वही अधिकार मिलता है जो बेटे को मिलता था। इस प्रकार, पिता की संपत्ति (property knowledge) पर किसी के जीवित रहने या मृत होने से फर्क नहीं पड़ता और दोनों के बच्चों को समान अधिकार मिलता है। यह कानून लिंग भेदभाव के बिना सभी पर समान रूप से लागू होता है। एक पिता के बेटे के बच्चों का जो अधिकार होता है, वही बेटी के बच्चों का भी होगा।


पत्नी को कब मिलता है प्रोपर्टी में हक-


कानून में दो परिस्थितियां होती हैं, एक जब पिता वसीयत करके गुजरते हैं और दूसरी जब बिना वसीयत किए गुजरते हैं। यदि वसीयत है तो अधिकार उसी के अनुसार मिलेगा, लेकिन यदि वसीयत नहीं थी और पिता का निधन हुआ, तो घर की मुखिया पत्नी को संपत्ति पर पूरा हक मिलता है। अब यह पत्नी के ऊपर निर्भर करता है कि वह इस संपत्ति को किसे और कितना हक (son's property rights) देती है। इस स्थिति में पत्नी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि वह इस संपत्ति की प्रबंधक बन जाती है यानी बेटा व बेटी को प्रोपर्टी देने में उसका अहम रोल हो जाता है।