Supreme Court Decision : विवाहित बेटी को पिता की संपत्ति में कितना हिस्सा मिलेगा, सुप्रीम कोर्ट ने बताया साफ-साफ
Supreme Court Decision : संपत्ति विवाद (property dispute) के देश की अदालतों (courts) में लाखों केस पेंडिंग है। आपका भी कोई न कोई प्रोपर्टी विवाद जरूर होगा। बरहाल आज हम बात कर रहे हैं बेटियों के संपत्ति में अधिकार (Daughters Property Rights) की। ये एक कड़वी सच्चाई है 90 प्रतिशत बेटियों को प्रोपर्टी में उनका अधिकार नहीं मिलता।
HR BREAKING NEWS (ब्यूरो)। पुरुष प्रधान देश में बेटियों को पराई घर की चीज माना जाता है। आज भी भारत में संपत्ति का बंटवारा (Property Division) करते समय बेटियों को ध्यान में नहीं रखा जाता है। दूसरी ओर अगर बेटियां हिस्सा लेना भी चाहे तो जागरुकता के अभाव में बेटियां खुद भी आवाज नहीं उठा पाती हैं।
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इसी कारण लड़कियों को भी अपने अधिकारों (Girls Property Rights) के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है उन्हें संपत्ति से जुड़े अपने सभी अधिकारों के बारे में कानूनी रूप (legal Information) से भी जानकारी होने चाहिए । फिलहाल देश में बेटियों को संपत्ति में कितना अधिकार (daughters have rights in property) है और कब बेटियों को पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता है इसके लेकर संविधान में स्पष्ट कानून है। इसमें कहीं भी कोई भ्रम की स्थिति नहीं है, तो आईये नीचे जानते हैं पिता की संपत्ति पर बेटियाें का कितना हक और इसके कानूनी प्रावधान....
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में किया साफ
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महिलाओं के हक में एक बड़ा फैसला दिया है। Supreme Court ने कहा है कि पिता के पैतृक की संपत्ति में बेटी का बेटे के बराबर ही हक है, थोड़ा सा भी कम नहीं। कोर्ट ने अपनी जजमेंट में साफ किया है कि पिता की संपत्ति (father's property) में बराबर का हकददार हो जाती है।
देश की सर्वोच्च अदालत (Supreme Court Decision) की 3 जजों की पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि भले ही पिता की मृत्यु हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 लागू होने से पहले हो गई हो, फिर भी बेटियों को बराबर का ही कम मिलेगा।
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ये है देश का कानून
Hindu Succession Act, 1956 में साल 2005 में संशोधन कर बेटियों को पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) में बराबर हिस्सा पाने का कानूनी अधिकार दिया गया है।
प्रोपर्टी पर दावे और अधिकारों के प्रावधानों के लिए इस कानून को 1956 में बनाया गया था। इस एक्ट के अनुसार पिता की संपत्ति पर बेटी (Daughter's right in Property) का उतना ही अधिकार है जितना कि बेटे का है। बेटियों के अधिकारों को पुख्ता करते हुए इस उत्तराधिकार कानून में 2005 में हुए संशोधन (AmendmentLaw) ने पिता की संपत्ति पर बेटी के अधिकारों को लेकर किसी भी तरह के संशय को खत्म कर दिया है।
इस स्थिति में बेटियों को नहीं मिलेगा पिता की संपत्ति में हिस्सा
वहीं दूसरी ओर स्वअर्जित संपत्ति (Self Acquired Property) के मामले में बेटी का पक्ष कमजोर होता है। अगर पिता ने अपने पैसों से प्रोपर्टी खरीदी है तो वो जिसे चाहे ये संपत्ति दे सकता है।
पिता द्वारा स्वअर्जित संपत्ति को अपनी मर्जी से किसी को भी देना का कानूनी अधिकार (Legal Rights) है। पिता चाहे तो अपनी सारी प्रोपर्टी एक औलाद के नाम कर सकता है। यानी, अगर पिता ने बेटी को खुद की संपत्ति में हिस्सा देने से मना कर दिया तो बेटी कुछ नहीं कर सकती है।
विवाहित बेटी का पिता की संपत्ति में अधिकार
2005 से पहले हिंदू उत्तराधिकार कानून (Hindu Succession Law) में बेटियां सिर्फ हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) की सदस्य मानी जाती थीं, हमवारिस यानी की समान उत्तराधिकारी नहीं।
हमवारिस या समान उत्तराधिकारी वे होते/होती हैं जिनका अपने से पहले की 4 पीढ़ियों की अविभाजित संपत्तियों (Undivided Assets) पर हक होता है। बेटी का विवाह हो जाने पर उसे हिंदू अविभाजित परिवार () का भी हिस्सा नहीं माना जाता है। 2005 के संशोधन के बाद बेटी को हमवारिस यानी समान उत्तराधिकारी (equal rights of daughter in property) माना गया है। अब बेटी के विवाह के बाद पिता की संपत्ति पर उसके अधिकार रहेगा, यानी, जितना बेटे का प्रोपर्टी में अधिकार है उतना ही बेटी को भी मिलेगा।