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कर्मचारियों की पेंशन के मामले में Supreme Court का सुप्रीम फैसला, इन लोगों को नहीं मिलेगा पेंशन का लाभ

Supreme Court decision : कर्मचारियों की नौकरी के कार्यकाल में जिस प्रकार से सैलरी उनके लिए अनमोल होती है, उसी प्रकार सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन बहुकीमती होती है। वहीं, कैसा हो अगर आपको वो पेशन न मिले। पेंशन के लेकर कई नियम बने हुए हैं। दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Rules) ने भी पेंशन के मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है। इसमें साफ कर दिया है कि किन कर्मचारियों के केंद्रीय पेंशन नहीं मिलेगी।

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Supreme Court decision : कर्मचारियों की पेंशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला

Hr Breaking News (supreme court employees pension case) : पेंशन के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बदल दिया है। कोर्ट ने फैसला पलटते हुए स्पष्ट कर दिया है कि किन कर्मचारियों को केंद्रीय पेंशन (Supreme Court on centre pension rule) नहीं मिलेगी। ऐसे कर्मचारियों को कोर्ट से झटका लगा है। ऐसे कर्मचारियों को केंद्रीय पेंशन (Pension) का अधिकार नहीं है। कलकत्ता हाईकोर्ट (Court) का फैसला इसके उलट था, जिसको पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसा दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने बताया किन्हें नहीं मिलेगी केंद्रीय पेंशन


सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि केंद्रीय विभाग में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत राज्य सरकार के कर्मचारी को केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन (Central civil pension) नियम के अनुसार पेंशन नहीं मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना व जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने मामले की। 


सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया है। हाईकोर्ट (High court decision) ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के आदेश को ठीक करार दिया था। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के आदेश में प्रतिवादी कर्मचारी की पेंशन को केंद्रीय वेतनमान अनुसार तय करने की बात कही थी। 

यह था मामला


सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पहुंचा मामला प्रतिनियुक्ति की व्याख्या और पेंशन पात्रता से संबंधित था। 1968 से प्रतिवादी फणी भूषण पश्चिम बंगाल सरकार में कार्यरत कर्मचारी थे। फिर फणी भूषण को 1991 में केंद्र सरकार के विभाग में पशुपालन आयुक्त प्रतिनियुक्ति नियुक्त किया गया था। 1992 में वह सेवानिवृत्त हो गए। इसके बाद भी उनको मूल विभाग में नहीं भेजा गया। वहीं, उनकी पेंशन राज्य सरकार से बनाई गई। 


 

कैट और हाईकोर्ट में दी याचिका


राज्‍य सरकार की पेंशन को फणी भूषण कुंडू ने कैट (CAT) में चैलेंज किया। जहां से कैट (CAT) ने पेंशन को पशुपालन आयुक्त के पद के हिसाब से केंद्रीय वेतनमान के अनुसार तय करने को कहा। वहीं, कलकत्ता हाईकोर्ट (High court decision) ने भी कैट के आदेश को बरकरार रखा। जिससे उनको केंद्रीय वेतनमान के अनुसार पेंशन मिलता तय हुआ। 

 

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाईकोर्ट का फैसला


कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रूख किया। इसमें सवाल उठा कि प्रतिनियुक्ति पर प्रतिवादी की राज्य से केंद्र सरकार में सेवा क्या उनको केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम 1972 का हकदार बनाती है या नहीं। क्या उनको राज्य के रूल के हिसाब से ही पेंशन मिलेगी। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बदल दिया और केंद्रीय पेंशन के वेतनमान (pay scale) को खारिज कर दिया। 

 

सुप्रीम कोर्ट ने दी ये प्रतिक्रया


हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने  कहा कि प्रतिनियुक्ति अस्थायी तौर पर होती है। प्रतिनियुक्ति से राज्य सरकार का कर्मचारी केंद्र सरकार का स्थायी कर्मचारी नहीं बन जाता है।  प्रतिनियुक्ति खत्म होने पर कर्मचारी अपने विभाग में चला जाता है। इससे साफ हो गया कि वह केंद्रीय पेंशन के नियम के लाभ का हकदान नहीं है।