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Tenant Rights : अगर किरायेदार को पता होंगे अपने अधिकार तो मकान मालिक नहीं करेगा परेशान

property rights : अगर आप कोई प्रॉपर्टी किराए पर ले रहे हैं तो आपको कुछ अधिकार मिलते है जिनके बार में पता होना चाहिए नहीं तो मकान मालिक आपको परेशान कर सकते हैं | आइये जानते हैं क्या है किरायेदारों के अधिकार 
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किरायेदार को पता होने चाहिए अपने ये अधिकार

HR Breaking News, New Delhi : आसमान छूते प्रॉपर्टी के दामों के चलते घर खरीदने अब आसान नहीं रह गया है. रोजी-रोटी की तलाश में महानगरों में आगे अधिकांश लोग किराये पर रहकर ही अपनी जीवन बसर करते हैं. लोगों की इसी बेबसी के चलते किरायेदारी भी एक बड़ा उद्योगक बन गया है. खासकर महानगरों में तो ऐसे हजारों-लाखों लोग मिल जाएंगे जिनकी कमाई का माध्यम ही किरायेदार हैं. किरायेदारी ही उनका कारोबार है. अपनी प्रॉपर्टी को किराये पर चढ़ाकार लोग लाखों रुपये महीना कमा रहे हैं. लेकिन किरायेदारों के बल पर रोटी खाने वाले मकान मालिक हमेशा किरायेदारों को ओच्छी निगाहों से देखते हैं और किसी ना किसी तरह से उनका शोषण करने में लगे रहे हैं.

दिल्ली में किरायेदारों की स्थिति की बात करें तो यहां दिल्ली सरकार ने 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली की योजना चलाई हुई है. सरकार पानी भी मुफ्त दे रही है, लेकिन किरायेदारों को 10 रुपये प्रति युनिट के हिसाब से बिजली का बिल भरना होता है. अगर कोई इसका विरोध करे तो तुरंत मकान खाली करने का फरमान जारी हो जाता है. अब आए दिन सामान लेकर कहां-कहां भटका जाए, इससे बचने के लिए मजबूरीवश बेचारा किरायेदार मकान मालिक के हाथों शोषण का शिकार होता रहता है. ज्यादातर मकान मालिक तो किराये की कोई रसीद वगैरह भी नहीं देते हैं.

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हालांकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि हर बार किरायेदार ही मकान मालिक के हाथों शोषण का शिकार बने. कई बार तो किरायेदार भी मकान मालिक पर भारी पड़ते हैं. स्थिति ऐसी हो जाती है कि मकान मालिक को किरायेदार के सामने डर-डर कर रहना पड़ता है. आए दिन ऐसे मामले भी सामने आते रहते हैं जहां किरायेदार ने मकान मालिक की प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लिया हो. कुछ वर्ग तो ऐसे हैं जिन्हें मकान मालिक अपनी प्रॉपर्टी किराये पर देने से बिल्कुल मना कर देते हैं. इनमें वकील और पुलिसकर्मी तो हैं ही साथ ही कुछ स्थानों पर पत्रकारों को भी लोग अपने मकान किराये पर नहीं देते हैं.

किरायेदारों के भी होते हैं अधिकार
बेबस किरायेदार अपना शोषण करवाने के लिए मजबूर हैं. ऐसे में सरकार उनका सबसे बड़ा संबल बनकर सामने आती है. सरकार के किरायेदारों के हक में ऐसे पुख्ता कानून बनाए हुए हैं जिनकी मदद से वह अपने अधिकारों के लिए लड़ सकता है.
केंद्र सरकार ने Model Tenacny Act यानी मॉडल किरायेदारी अधिनियम लागू किया हुआ है. इस कानून के अंतर्गत राज्य सरकारों को नए नियम लागू करने की अनुमति भी दी गई है.

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क्या हैं किरायेदारों के अधिकार (What is Tenant Rights)
आदर्श किराएदारी अधिनियम के मुताबिक, किरायेदारों को सिक्योरिटी मनी यानी जमानत राशि दो महीने के किराये से ज्यादा नहीं देनी चाहिए. किरायेदार के मकान छोड़ने के एक महीने के अंदर मकान मालिक को सिक्योरिटी मनी वापस देनी होगी. मकान मालिक द्वारा किराया बढ़ाने के लिए कम से कम तीन महीने पहले किरायेदार को नोटिस देगा. इस नोटिस के दौरान अगर दोनों पक्षों में आपसी संबंधों के आधार पर सहमति हो जाती है तो हो सकता है किराया न भी बढ़े.

बिना जानकारी के मकान मालिक की एंट्री नहीं
ऐसा नहीं है कि प्रॉपर्टी मकान मालिक है तो जब चाहे किरायेदार के मकान में धमक जाए. अगर मकान मालिक को अपनी किराये की प्रॉपर्टी का मुआयना करना है तो उसे अपने आने से 24 घंटे पहले किरायेदार को सूचित करना होगा.

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रेंट एग्रीमेंट की अवधि में किराया नहीं बढ़ाया जा सकता है. मकान मालिक और किरायेदार की आपसी सहमति के बाद ही किराया बढ़ाया जा सकता है.

नहीं काट सकेगा बिजली-पानी कनेक्शन
कई बार ऐसा देखने में आया है कि कोई विवाद होने पर मकान मालिक किरायेदार के बिजली-पानी के कनेक्शन काट देता है. कानूनन यह बिल्कुल गलत है. किसी भी विवाद की स्थिति में मकान मालिक किरायेदार को दी जा रही बिजली-पानी की आपूर्ति को रद्द नहीं कर सकता है.
रेनोवेशन के बाद किराये में इजाफा
कानून कहता है कि किराये पर चढ़ी प्रॉपर्टी की देखभाल के लिए किरायेदार और मकानमालिक, दोनों ही जिम्मेदार होंगे. अगर प्रॉपर्टी का स्वामी प्रॉपर्टी में कुछ सुधार कराता है तो वह रेनोवेशन का काम खत्म होने के एक महीने बाद किराया बढ़ाने की पेशकश कर सकता है. लेकिन किराया बढ़ाने के लिए उसे किरायेदार से विचार-विमर्श करना होगा.

हां, अगर रेंट अग्रीमेंट लागू होने के बाद बिल्डिंग के ढांचे में कोई खराबी आती है और प्रॉपर्टी मालिक उसे दुरुस्त कराने की स्थिति में नहीं है तो किरायेदार किराया कम करने को कह सकता है.

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मकान की रिपेयरिंग जिम्मेदारी
किराये की प्रॉपर्टी की देखभाल प्रॉपर्टी स्वामी और किरायेदार, दोनों को मिलकर करनी होती है. पानी के कनेक्शन को ठीक करवाना, बिजली कनेक्शन की मरम्मत, खिड़की-दरवाजों के शीशे बदलवाने, गार्डन या खुली जगहों के मेंटेनेंस, प्रॉपर्टी को जानबूझकर होने वाले नुकसान से बचाने आदि की जिम्‍मेदारी किरायेदार की ही होगी. पुताई-रंगरोगन आदि की जिम्मेदारी मकान मालिक की होगी.

प्रॉपर्टी मालिक के अधिकार (House Owner Rights)
मॉडल किरायेदारी अधिनियम के मुताबिक, अगर किरायेदार तय समय पर मकान खाली नहीं करता है तो किराया पहले दोगुना और फिर चार गुना हो सकता है. किराये के मकान का रखरखाव किरायेदार को ही कराना होगा. रख-रखाव नहीं कराने पर मकान मालिक रख-रखाव का काम करेगा और रख-रखाव पर हुए खर्चे की राशि को किरायेदार का जो पैसा जमानत राशि के रूप में जमा करवाया हुआ है, उसमें काट सकता है.

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