SBI को हाईकोर्ट ने दिया तगड़ा झटका, ग्राहक के हित में सुनाया बड़ा फैसला
State Bank of India : देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई को हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने ग्राहक के हित में बड़ा फैसला सुनाया है। ग्राहक को फैसले से बड़ी राहत मिली है, वहीं बैंक को नुकसान भी झेलना पड़ा है। हाईकोर्ट का फैसला बैंक के ऐसे मामलों में भी नजीर पेश करेगा। एसबीआई (SBI) के उपभोक्ता को बैंक से मुआवजा भी मिलेगा।

HR Breaking News (State Bank of India) देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई (SBI) को उनके ही कुछ अधिकारियों की लापरवाही बहुत महंगी पड़ गई। बैंक एक उपभोक्ता के सामने केस हार गया और साथ में बैंक (bank update) का आर्थिक नुकसान भी हुआ है। एसबीआई (SBI) के अन्य उपभोक्ताओं के साथ बैंक आगे से ऐसा नहीं कर पाएगा।
State Bank of India से लिया था कर्ज
दरअसल, एक उपभोक्ता ने एसबीआई से कर्ज लिया था। बैंक के कर्ज को उसने 14 वर्ष पहले ही वन टाइम सेटलमेंट स्कीम (OSS) के अनुसार चुकता कर दिया था। परंतु बैंक ने उपभेाक्ता के कागजात नहीं लौटाए। उनकी जो संपत्ति थी उसके कागज बैंक (SBI) के पास ही रहे।
72 हजार का लिया था लोन
दरअसल, मामला कटक का है। वहां पर 70 साल के सुजीत कुमार घोष ने 1986 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की कटक की ब्रांच से 72 हजार रुपये लिए थे। वह, लोन नहीं भर पाए। जिस कारण उपभोक्ता के अकाउंट को एनपीए कर दिया गया। बैंक ने स्थानीय अदालत (court) में केस कर दिया।
NPA होने के बाद चुका दिया बकाया
मुकदमें के दौरान ही उपभोक्ता ने वन टाइम सेटलमेंट स्कीम (OSS) के तहत लोन अकाउंट (Loan account) का कुल बकाया 1 लाख 6 हजार के करीब लौटा दिया। बैंक से एनओसी (NOC) भी मिल गई। लेकिन जब उन्होंने गिरवी रखी सपंत्ति के कागज मांगे तो वो नहीं मिले। बैंक (SBI) ने उनके खाते को एनपीए में वर्गीकृत किए जाने का हवाला दिया। यह कोर्ट में लंबित था। बैंक को बार बार कहने पर भी उपभोक्ता को राहत नहीं मिली।
SBI के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचा उपभोक्ता
उपभोक्ता ने कागजात न लौटाने पर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट जज एसके पाणिग्रही की बैंच ने मामले पर फैसला दे दिया है। कोर्ट (Court) ने स्पष्ट किया कि लोन चुकाने के बाद लंबित मुकदमे के चलते टाइटल डीड नहीं रोकी जा सकती है। दस्तावेज लौटाने से इनकार करना अनुचित है।
एसबीआई (SBI) को देने होंगे 1 लाख
एसबीआई (State Bank of India) की इस मनमानी के खिलाफ व्यक्ति हाईकोर्ट में पहुंचा। वहां उन्होंने कर्ज वापस किए जाने संबंधित सभी दलीलें दी। उन्होंने बताया कि बैंक ने गिरवी रखी संपत्ति के मूल दस्तावेज वापस नहीं किए हैं। उड़ीसा हाई कोर्ट ने पीड़ित व्यक्ति के पक्ष में फैसला सुनाते हुए एसबीआई को एक लाख रुपये का मुआवजा भी देने के आदेश दिए। याचिकाकर्ता की बढ़ती उम्र व उपभोक्ता की कोई गलती न होते हुए हो रही परेशानी को देखते हुए हाईकोर्ट (High Court) ने ये फैसला दिया है।
तीस दिन में मुआवजा और कागजात लौटाने होंगे
हाईकोर्ट ने कहा है कि उपभोक्ता के कागजात और उसको हो रही परेशानी के चलते एक लाख रुपये का मुआवजा 30 दिन में लौटाना होगा। होईकोर्ट एसबीआई (SBI) ने कहा कि एक महीने के भीतर मुआवजा और अन्य दस्तावेज लौटा दें।