लोन लेने के लिए अकेले Cibil Score से नही चलेगा काम, होगी इन चीजों की भी जांच

HR Breaking News - (Cibil Score news) लोन लेने के लिए वैसे तो सिबिल स्कोर एक अहम भुमिका निभाता है, लेकिन केवल सिबिल स्कोर से ही आपको लोन नहीं मिलता इसके लिए कुछ अन्य चीजों की भी जरूरत होती है। लोन अप्रूवल (loan aproval tips) के लिए सिबिल स्कोर के साथ-साथ कई ऐसी अहम चिजें होती हैं जिनके न होने से आपकी लोन रिक्वेस्ट ऐप्लिकेशन को रिजेक्ट किया जा सकता है।
ऐसे में अगर आपको भी पैसो की जरूरत है और आप लोन लेने की प्लानिंग कर रहे है तो आइए खबर में आपको बताते है कि लोन लेते वक्त सिबिल स्कोर के अलावा और किन-किन चीजों की जांच होती है।
Cibil Score के साथ इन चीजों की भी होगी जरूरत
कभी भी लोन लेने की बात होती है, तो आमतौर पर लोगों को लगता है कि सिर्फ सिबिल स्कोर (how to inprove Cibil Score) को ही देखकर बैंक आपको लोन दे देता है। बैंक लोन देने से पहले उधार लेने वाले की वित्तीय स्थिति का पूरा आकलन करता है।
इसमें कुछ महत्वपूर्ण रेश्यो शामिल होते हैं, जिनसे यह पता चलता है कि उधारकर्ता की आय, खर्च और भुगतान क्षमता कैसी है। इस बात से बैंक को ये पता चलता है कि उधारकर्ता लोन का भुगतान (loan payment) कर पाएगा या नहीं। यह प्रक्रिया बैंक को जोखिम को कम करने और सही निर्णय लेने में मदद करती है और आपको पर्सनल लोन (Personal Loan tips) मिलने के चांस बढ़ जाते हैं।
1- डेट-टू-इनकम रेश्यो जरूर चेक
बैंक किसी को लोन देने से पहले उसकी मासिक लोन की राशि और कुल आय का अनुपात यानी डेट-टू-इनकम रेश्यो देखता है। यह रेश्यो (Debt-to-Income Ratio) इस बात का संकेत देता है कि व्यक्ति की ग्रॉस सैलरी में से कितनी राशि लोन की पेमेंट कट होने से पहले ही खर्च हो जाती है।
अगर यह रेश्यो कम होगा तो लोन मिलने के अवसर बढ़ जाते हैं। इसका मतलब होता है कि व्यक्ति के पास लोन चुकाने के बाद खर्च करने के लिए अधिक धन बचता है। इस आंकड़े से बैंक यह अनुमान लगाता है कि लोन चुकाने (loan repayment tips) की क्षमता कितनी है।
2- EMI/NMI रेश्यो
बैंक आपकी मासिक आय का एक हिस्सा लोन की किस्तों पर खर्च होने की संभावना को देखते हुए लोन देने का निर्णय लेते हैं, ऐसा EMI/NMI (Equated Monthly Interest) रेश्यो के तहत देखा जाता है। अगर आपका खर्च आय के आधे से अधिक यानी 50-55 प्रतिशत ज्यादा है, तो बैंक आपको लोन देने में संकोच करते हैं। ऐसा होने पर अगर बैंक फिर भी लोन देता है, तो वह ऊंची ब्याज दर लागू कर सकते हैं। यह दर आपकी मौजूदा किस्तों (EMI bharne ka asan tarika) और नए लोन की किस्तों का रेश्यो (EMI ratio) देखकर तय होती है। इससे बैंक की जोखिम भी बढ़ जाती है और ग्राहक को अधिक खर्च करना पड़ता है।
3 - LTV रेश्यो
LTV रेश्यो का उपयोग खासतौर पर संपत्ति खरीदने के लोन यानी की हाउसिंग लोन में किया जाता है। यह रेश्यो (Loan-to-Value Ratio) बताता है कि उधारी की राशि की तुलना में आपके पास कितनी संपत्ति है। इससे बैंक को यह समझने में मदद मिलती है कि उधारी कितनी सुरक्षित है।
इस जानकारी से लोन देने वाले संस्थान को लोन (loan repayment tips in hindi) देने के दौरान उचित निर्णय लेने में सहायता मिलती है। यह प्रक्रिया संस्थान को जोखिम का सही आकलन करने और सही शर्तें तय करने में मदद करती है, जिससे दोनों पक्षों के लिए सुरक्षित समझौता हो पाता है।
4 - क्या होता है सिबिल स्कोर?
सिबिल स्कोर एक अंक प्रणाली है, जो 300 से 900 के बीच होती है। यह आपके वित्तीय व्यवहार को दर्शाती है, खासकर लोन और भुगतान (cibil score role in loan) के संदर्भ में। अगर आप समय पर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते हैं, तो यह अंक बढ़ते हैं, जिससे आपकी वित्तीय स्थिति मजबूत होती है।
दूसरी ओर, अगर आप कोई भुगतान समय पर नहीं करते, तो अंक घटते हैं। इस अंक से लोन और क्रेडिट कार्ड (Credit card tips) के लिए आपकी पात्रता का पता चलता है। सही तरीके से वित्तीय प्रबंधन करने से आपका अंक सुधरता है, जो भविष्य में बेहतर वित्तीय अवसरों को खोलता है।
5 - प्री-अप्रूव्ड लोन ऑफर कब आता है?
अगर आपकी वित्तीय स्थिति मजबूत है और आप समय पर भुगतान करते हैं, तो आपको बैंक से लोन लेने में आसानी हो सकती है। अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री (good credit history) होने पर लोन के लिए प्रक्रिया सरल हो जाती है। इसके साथ ही कम ब्याज दर पर लोन मिलने की संभावना होती है।
कई बार, बैंक आपको प्री-अप्रूव्ड लोन ऑफर (Pre-Approved Loan Offer) यानी पहले से ही लोन देने का प्रस्ताव भेज सकते हैं। इसके अलावा, कुछ मामलों में, आप लोन जल्दी प्राप्त कर सकते हैं और पैसा तुरंत आपके खाते में ट्रांसफर हो सकता है। इस प्रकार, एक मजबूत वित्तीय रिकॉर्ड से कई फायदे मिलते हैं।
6 - सिबिल स्कोर खराब है तो लोन पर पड़ेगा ये असर
अगर आपकी क्रेडिट रिपोर्ट और सिबिल स्कोर ठीक नहीं है तो वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बैंक से जुड़ी कई सेवाओं में मुश्किलें आ सकती हैं। लोन लेने में परेशानी हो सकती है और अगर लोन मिल भी जाए तो ज्यादा ब्याज शुल्क (high interest loan) चुकाने पड़ सकते हैं।
इसके अलावा, लोन की मंजूरी में समय लग सकता है और आपको अधिक दरों पर भुगतान करना पड़ सकता है। घर या कार के लिए लोन प्राप्त करना भी कठिन हो सकता है। इस प्रकार, खराब क्रेडिट हिस्ट्री (bad credit history) से कई तरह की परेशानियां होती हैं।