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Success Story : 8वीं पास मज़दूर, आज कमा रहा है 1 करोड़ हर महीने, दूसरे लोगों के लिए बन रहे है प्रेरणा

कामयाबी हासिल करने के लिए जरूरी नहीं है हम बड़ी बड़ी डिग्रियां करे, ऐसा ही कर दिखाया है 8 वीं पास मजदूर ने जो मजदूरी छोड़ करने लग गए थे ये विचित्र फल की  खेती और आज हर महीने कमा रहे हैं करोड़ रूपए।  जानते हैं इनकी ये कहानी 
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HR Breaking News, New Delhi : आज आधुनिकता के दौर में खेती-किसानी का स्वरूप एक दम बदल चुका है. अब हमारे किसान भाई भी खेत-खलिहानों से निकलकर सफलता की नई गाथा लिख रहे हैं. इस काम में मोबाइल फोन और इंटरनेट भी काफी अहम भूमिका निभा रहा है. ये इंटरनेट ही है, जिसने पढ़ाई-लिखाई से लेकर घर बैठे नौकरी करना भी आसान बना दिया है.

Internet  की इसी ताकत ने खेती की दुनिया को भीन खूब चमकाया है और इसी चमक के पीछे कई बेरोजगार, मजदूर और प्रशिक्षित युवा भी नौकरी छोड़कर खेती-किसानी में जुट गये हैं. हाल ही में एक ऐसा ही उदाहरण सामने आया है राजस्थान के जालोर से, जहां पालड़ी गांव के मजदूर भावराम  ने youtube से आइडिया लेकर खेती में बड़े मुकाम हासिल किया है.

Youtube ने दिखाया रास्ता


राजस्थान के निवासी भावराम की पढ़ाई 8वीं तक ही हुई, जिसके बाद ये अपनी आजिविका कमाने के लिये गुजरात चले गये. गुजरात के अहमदाबाद में भावराम को मजदूरी करने के बाद भी कुछ खास मेहनताना नहीं मिलता था, जिसके बाद उन्होंने मजदूरी छोड़ने का निर्णय लिया.

नौकरी छोड़ने से पहले भावराम काफी समय से सोशल मीडिया और youtube पर एक्टिव रहते थे. एक दिन वीडियो स्क्रॉल करते समय उन्हें ताइवानी पपीता रेडलेडी के बारे में जानकारी मिली. बस यहीं से भावराम का सफल किसान बनने का सफर शुरु हो गया.


ताइवानी पपीता की खेती 


भावराम बताते हैं कि उन्होंने ताइवानी पपीता रेडलेडी से जुड़ी कई जानकारियां हासिल कीं और पता चला कि इस किस्म को उगाने में बेहद कम लागत आती है, जिससे पपीता के बेहतर क्वालिटी के फल मिलते हैं. ये फल स्वाद में इतने अच्छे होते हैं कि हाथोंहाथ बिक जाते हैं. बस भावराम ने गांव 25 रुपये प्रति पौधा की दर से रेडलेडी के 2500 पौधे मंगवाये और ताइवानी पपीता की खेती शुरु कर दी.

किसान भावराम ने साल 2021 के खरीफ सीजन में 2.35 हेक्टेयर जमीन पर ताइवानी पपीता रेडलेडी के पौधों की रोपाई की. 
खेती की लागत को कम करने के लिये भावराम किसान ने टपक सिंचाई पद्धति का इस्तेमाल किया.
इस बीच वे पपीते के खेत में  रासायनिक उर्वरकों से अलग सिर्फ जैविक खाद से पौधों को पोषण देकर बड़ा किया. 
इस प्रकार सिर्फ 6 महीने के अंदर पपीते के पौधों का तेजी से विकास होने लगा और सालभर के अंदर ही काफी तरक्की देखने को मिली.


फेमस हो गये भावराम के पपीते


ताइवानी पपीते के पौधों से पहले उत्पादन काफी अच्छा मिला, लेकिन भावराम को मंडी में ताइवानी पपीता के सही भाव नहीं मिल पाये. इसके बाद भावराम ने खुद ही अपनी उपज बेचने का बेड़ा उठाया और सड़क किनारे ट्रेक्टर या ट्रॉली में पपीता बेचना शुरु कर दिया. एक बार बिक्री होने के बाद लोगों को इस ताइवानी पपीते की पहचान हो गई, जिसके बाद किसान भावराम ने दिनभर में 5 क्विंटल पपीते बेच दिये.

घर-घर में ताइवान का पपीता इतना फेमस हुआ कि आज तक जालोर के बाजार में ग्राहक भावराम के पपीता की मांग करके खरीदते हैं. इस प्रकार मजदूरी से लेकर सफल किसान बनने का सफर दूसरे किसानों के लिये भी प्रेरणादायक बन रहा है. 

ताइवानी पपीता से 1 करोड़ की आमदनी


अद्भुत सफलता के बाद किसान भावराम ताइवानी पपीता की खेती को गेम चेंजर मानते हैं. बता दें कि ताइवानी पपीता रेडलेडी की खेती के लिये भावराम ने 25 रुपये प्रति पौधे की कीमत पर 2500 रुपये लगाये थे.

इस प्रकार ताइवानी पपीता की खेती  में 62,500 रुपये की शुरुआती लागत आई थी, जिसके बाद अभी तक भावराम एक करोड़ रुपये के ताइवानी पपीते बेच चुके हैं. आज आस-पास के किसान भी भावराम से खेती की ट्रेनिंग लेने और ताइवानी पपीते के बाग का दीदार करने आते हैं.