Success Story: दृष्टिबाधित होने के बावजूद नहीं मानी हार, Microsoft से मिला 45 लाख का ऑफर, जानें इनकी सफलता की स्टोरी

HR Breaking News, New Delhi: अपने जीवन की डिक्शनरी से “दिव्यांग” और “विकलांग” शब्द निकाल दे. और दुनिया को दिखा दो आप वो कर सकते है जो सभी करते है.. मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग के मशहूर शब्द है कि विकलांगता को सफलता के लिए बाधा नहीं होना चाहिए. ऐसा ही कर दिखाया है 25 वर्षीय यश सोनकिया(Yash Sonkia) ने. इंदौर के इस युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर(software engineer) ने अपने जन्मजात ग्लूकोमा (जो जन्म से ही अपरिवर्तनीय अंधापन का कारण बना) पर विजय प्राप्त की. यश ने वैश्विक सूचना और प्रौद्योगिकी (आईटी) फर्म माइक्रोसॉफ्ट(Microsoft) से एक बेशकीमती नौकरी हासिल की है. इस साल मार्च से जून के बीच एक ऑनलाइन टेस्ट और तीन राउंड के इंटरव्यू को पास करने के बाद उन्हें सालाना 45 लाख रुपये का ऑफर मिला.
इसे भी देखें : माता पिता के कहने पर छोड़ी होम मिनिस्ट्री की नौकरी, ऐसे IAS बनी बहादुरगढ़ की बेटी
क्या करते हैं पिता
जिला अदालत के कैंटीन प्रमुख यशपाल सोनकिया और उनकी पत्नी, जो कि एक गृहिणी हैं, योगिता सोनकिया के तीन बच्चों में सबसे बड़े, यश अब जल्द ही एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर(software engineer) के रूप में कंपनी के बेंगलुरु परिसर में माइक्रोसॉफ्ट(Microsoft) में शामिल होने के लिए तैयार हैं. वह लंबे समय से दी जा रही सहायता, स्क्रीन रीडर सॉफ़्टवेयर के साथ घर से अपना काम शुरू करेंगे.
Read Also: ग्रेजुएशन में फेल होकर भी नहीं मानी हार, जानिएं आईएएस बनने वाले अनुराग की दिलचस्प कहानी
कैंपस इंटरव्यू में नहीं मिली जॉब
महत्वपूर्ण बात यह है कि यश को किसी भी कैंपस इंटरव्यू के माध्यम से इस आईटी प्रमुख कंपनी में प्लेसमेंट नहीं मिल था, लेकिन उसने अपने दम पर माइक्रोसॉफ्ट(Microsoft) के साथ काम करने के लिए आवेदन किया, जिसके बाद कोडिंग के माध्यम से अपने विश्लेषणात्मक कौशल के माध्यम से, वह ऑनलाइन परीक्षा और साक्षात्कार के तीन दौर पास करने में सफल रहा.
इंजीनियर बनने का सपना
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यश कहते हैं कि बचपन से ही उनका सपना एक सफल इंजीनियर बनने का रहा. लेकिन ग्लूकोमा से संबंधित सीमाओं के कारण, उन्हें पता था कि वे अपने सपने को मैकेनिकल, सिविल, केमिकल, मेटलर्जिकल या माइनिंग इंजीनियरिंग जैसे सेगमेंट पूरा नहीं कर पाएंगे. इसलिए उन्होंने स्कूल के दिनों से ही कंप्यूटर पर ध्यान दिया और पिछले साल श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इंदौर से बी.टेक पूरा किया.
इसे भी पढ़िए : कभी 150 रूपये में धोता था बर्तन, आज कमा रहा करोड़ो रूपये
माता-पिता ने कही ये बात
बड़े बेटे की उपलब्धि पर गर्व करते हुए पिता यशपाल और मां योगिता सोनकिया कहते हैं कि यश हमेशा से इंजीनियर बनना चाहता था. उनके जीवन के पहले सात वर्षों में आठ आई सर्जरी उसकी जन्मजात विकृति को दूर करने में विफल रही. माता-पिता ने यश को एक सहज भावना के साथ ये जताया कि वह अपने सपने को हासिल नहीं कर पाएगा. लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रति उनके आकर्षण ने उन्हें एक नया नाम 'चलता फिरता कंप्यूटर' दिया. अपनी दृढ़ दृढ़ता और गोड गिफ्टेड कौशल के साथ, उन्होंने वह हासिल किया है जिसकी उन्हें आकांक्षा थी.
और देखें : मार्केट में नहीं मिल रहा था अच्छा प्रोडक्ट तो; खुद शुरू किया बिजनेस अब, पति-पत्नी कमा रहे 100 करोड़
यश कहते हैं कि शुरुआत में यह एक कठिन काम था, लेकिन धीरे-धीरे और लगातार सब कुछ सामान्य हो गया. उनके कॉलेज और दोस्तों ने उनकी बहुत मदद की. इंटरनेट ने भी उनकी बहुत मदद की. उन्हें बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन लोगों का समर्थन भी मिला. वे कहते हैं कि नेत्रहीन असहाय महसूस करने वाले विकलांग लोगों को यह समझना चाहिए कि हर क्षेत्र हर किसी के लिए नहीं है. इसके बजाय, उन्हें अपना 100 प्रतिशत वहां देना चाहिए जहां वे अच्छा कर सकते हैं.