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इनकम टैक्स में छूट के बाद PF खाताधारकों को एक और बड़ा तोहफा

Provident Fund : हाल ही में सरकार ने मध्यम वर्ग खासकर सैलरीड क्लास को टैक्स छूट का बड़ा तोहफा दिया है। सैलरी क्लास के लिए 12 लाख 75 हजार की आय को टैक्स फ्री रखा गया है। यह ऐतिहासिक फैसला बजट के दौरान लिया गया था। अब इसके बाद सैलरी क्लास में पीएफ (PF) खाताधारकों को एक और बड़ा तोहफा मिलने जा रहा है।

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इनकम टैक्स में छूट के बाद PF खाताधारकों को एक और बड़ा तोहफा

HR Breaking News (Provident Fund) : कर्मचारियों के लिए पीएफ का पैसा बहुत जरूरी होता है। पीएफ का पैसा कर्मचारियों के भविष्य में काम आता है। पीएफ खाताधारक के लिए यह वह सेविंग होती है, जिसे वह कभी भी जरूरत पर इस्तेमाल कर सकते हैं। पीएफ (Provident Fund) में कुछ पैसा कर्मचारी का कटता है तो कुछ रुपया सरकार देती है। 

 

टैक्स में छूट के बाद अब पीएफ पर भी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी आने वाली है। कर्मचारी वर्ग को इसका बेसब्री से इंतजार है। उन कर्मचारियों को तगड़ा लाभ मिल सकता है, जिनका पीएफ (Provident Fund) कटता है। पीएफ खाताधारकों को इस बात का जरूर पता होना चाहिए। 

 


पीएफ की ब्याज दरों पर होगा फैसला
 

प्रोविडेंट फंड (PF) पर मिलने वाला ब्याज बढ़ने वाला है या स्थिर ही रहेगा। इसपर 28 फरवरी को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक होने वाली है। बैठक में पीएफ (PF) के ब्याज दरों पर फैसला लिया जाएगा। मीडियो रिपोर्ट्स के अनुसार केंद्रीय बोर्ड 28 फरवरी को प्रोविडेंट फंड (PF) की अपनी बैठक में 8.25 फीसदी ब्याज दर की सिफारिश कर सकता है। हालांकि कर्मचारियों को उम्मीद इसे बढ़ाए जाने की है।

स्थिर भी रह सकती हैं ब्याज दरें
 

पीएफ की ब्याज दरें भी स्थिर रह सकती हैं। ईपीएफओ के केंद्रीय बोर्ड की ओर से वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ब्याज दर को वित्त वर्ष 2023-24 के समान ही रह सकती हैं। यह फिलहाल 8.25 प्रतिशत चल रही है। पिछले 3 वित्त वर्षों में मौजूदा ब्याज दर (PF interest rate) सबसे अधिक है। ईपीएफ बोर्ड के प्रमुख यूनियन लेबर मिनिस्टर होते हैं। इसमें ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधि, राज्य और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि, कर्मचारी निकाय के सदस्य और नियोक्ता के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं।

किस साल कितनी रही है ब्याज दर

  • 2023-2024 - 8.25%

  • 2022-2023 - 8.15%

  • 2021-2022 - 8.10%

  • 2020-2021 - 8.50%

  • 2019-2020 - 8.50%

  • 2018-2019 - 8.65%

  • 2017-2018 - 8.55%

  • 2016-2017 - 8.65%

  • 2015-2016 - 8.80%

  • 2014-2015 - 8.75%

  • 2013-2014 - 8.75%

  • 2012-2013 - 8.50%

  • 2011-2012 - 8.25%

  • 2010-2011 - 9.50%

कभी 9.5 थी ब्याज दरें 


ईपीएफ से कर्मचारी को अच्छा खासा रिटर्न मिलता है। वित्त वर्ष 2012 के लिए घोषित 8.1 फीसदी की ब्याज दर निकट इतिहास में ईपीएफओ (EPFO) की ओर से दी गई सबसे कम ब्याज दरें थी। वित्त वर्ष 22 से पहले 1977-78 में पीएफ की ब्याज दरें ​​8 प्रतिशत थी। वहीं, ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2024 के लिए ब्याज दरें बढ़ाई थी। इनको 8.25 फीसदी कर दिया था। अंतिम तीन साल में यह सबसे ज्यादा है।  


वहीं, वित्त वर्ष 2010-11 के लिए ईपीएफओ ने  9.5 फीसदी की उच्चतम ब्याज दर को मंजूरी दी थी। कर्मचारी लगातार उन्हीं ब्याज दरों की मांग कर रहे हैं। 2019-20 से ब्याज दरों को 8.5 फीसदी से नीचे बरकरार रखा है। बता दें कि ईपीएफओ अपने निवेश के प्रदर्शन के आधार पर ब्याज दरें तय करता है। ईपीएफओ (Provident Fund) अपना पैसा बांड और इक्विटी में इन्वेस्ट करता है।
 

ब्याज दरें ऐसे की जाती है तय


पीएफ की ब्याज दरें तय करने के लिए सेंट्रल बोर्ड आफ ट्रस्टी की ओर से वित्त मंत्रालय को ब्याज दर की सिफारिश की जाती है। इसके बाद इनपर अंतिम फैसला लिया जाता है। हर साल ब्याज दरें नई तय होती है। ब्याज का कैलकुलेशन मंथली होता है। वित्त मंत्रालय की सहमति के बाद, ब्याज दर किसी विशेष वित्त वर्ष के लिए सदस्यों की ईपीएफ जमा पर लागू हो जाती है। साल के अंत में ब्याज दरें पीएफ (Provident Fund) खाते में ही जमा हो जाती है।