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Bank Account : खाताधारक की मौत के बाद किसे मिलता है बैंक खातें में रखा पैसा? अधिकतर को नही है जानकारी

Banking Tips : लोग अपने जीवन की कमाई का एक बड़ा हिस्सा बैंकों में सेविंग के तौर पर रखते हैं। लेकिन खाताधारक की अचानक मौत पर कई बार यह लोगों को समझ में नहीं आता है कि यह धन राशि का असली हकदार कौन होगा? इसे लेकर भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का एक नियम है। इस नियम के मुताबिक, ये साफ बताया गया है कि बैंक अकाउंट के खाताधारक की मृत्यु होने पर जमा पूंजी पर किसका हक होता है।
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HR Breaking News (नई दिल्ली)। आज भारत में करोड़ों लोगों के बैंक अकाउंट हैं, जिसमें लाखों करोड़ रुपये जमा हैं। बैंक में लोगों का पैसा सुरक्षित रहता है। हालांकि कई बार ऐसा भी देखने को मिला है कि बैंक खाताधारक की मौत (death of bank account holderहो जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर किसी बैंक खाताधारक की मौत हो जाए तो बैंक में रखा हुआ जमा पैसा किसे मिलता है? आइए जानते हैं।

बैंक अकाउंट


जब भी बैंक अकाउंट खोला जाता है तो उस वक्त बैंक अकाउंट खुलवाने वाले शख्स से कई सारी डिटेल मांगी जाती है। इन डिटेल में से एक डिटेल नॉमिनी की भी होती है। नॉमिनी के तहत उस शख्स का नाम दिया जाता है जो कि बैंक खाताधारक की मौत के बाद उस बैंक अकाउंट में रखी जमा राशि का उत्तराधिकारी होगा।


नॉमिनी की डिटेल


ऐसे में लोगों को बैंक अकाउंट खुलवाते वक्त नॉमिनी की डिटेल डालनी काफी जरूरी है। अक्सर लोग नॉमिनी के तहत अपने परिवार के सदस्यों का नाम डालते हैं। ऐसे में बैंक खाताधारक की मौत के बाद बैंक में जमा राशि उस बैंक अकाउंट के नॉमिनी को मिल जाती है। हालांकि तब क्या होगा जब बैंक अकाउंट खुलवाते वक्त नॉमिनी की डिटेल नहीं डाली जाती है?


बैंक अकाउंट डिटेल


वहीं अगर नॉमिनी की डिटेल बैंक अकाउंट में नहीं डली है और बैंक खाताधारक की मौत हो जाती है तो उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को अकाउंट विरासत में मिलेगा। खाता ट्रांसफर करने के लिए उत्तराधिकारी को मृत्यु प्रमाण पत्र और कानूनी उत्तराधिकारियों का प्रमाण जैसे कानूनी दस्तावेज जमा करने होंगे। मृत्यु के बाद नॉमिनी का मुख्य नियम यह है कि नॉमिनी को खाताधारक की मृत्यु के बाद ही खाते तक पहुंच प्राप्त होती है।

कानूनी मालिक


खाताधारक के जीवित रहते हुए नॉमिनी खाते का कानूनी मालिक नहीं बनेगा। अगर मृत्यु के बाद बैंक खाते में कोई नॉमिनी नहीं है तो खाताधारक के पैसे ट्रांसफर करने में परेशानी हो सकती है। खाते को कानूनी उत्तराधिकारियों को ट्रांसफर करने में कानूनी विवाद या देरी हो सकती है।