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Bank Update : अब ये सरकारी बैंक होगा प्राइवेट, जानिए ग्राहकों पर क्या होगा असर और कितने करोड़ में हुई डील

Bank Update : देश का ये सरकारी बैंक बिकने जा रहा है. इस बैंक के प्राइवेटाइजेशन का अंतिम चरण चल रहा है. शेयर खरीद समझौते को आईएमजी से मंजूरी मिल गई है. यानी जल्द ही यह बैंक प्राइवेट हो जाएगा. ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि इससे ग्राहकों पर क्या असर होगा-

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Bank Update : अब ये सरकारी बैंक होगा प्राइवेट, जानिए ग्राहकों पर क्या होगा असर और कितने करोड़ में हुई डील

HR Breaking News, Digital Desk- देश का सरकारी बैंक IDBI बिकने जा रहा है. इस बैंक के प्राइवेटाइजेशन का अंतिम चरण चल रहा है. शेयर खरीद समझौते को आईएमजी से मंजूरी मिल गई है. यानी जल्द ही यह बैंक प्राइवेट हो जाएगा.  शेयर खरीद समझौते को IMG (Inter-Ministerial Group) से मंजूरी मिल गई है, जिसका मतलब है कि बैंक जल्द ही निजी हो जाएगा.

दुबई का Emirates NBD बैंक इसे खरीदने की दौड़ में सबसे आगे बताया जा रहा है. हालांकि, डील को लेकर कंपनी अभी कन्फर्म नहीं हुई है. आइए आपको बताते हैं कि अगर बैंक प्राइवेट होता है तो इसका असर आम खातों पर क्या पड़ेगा.

सरकार ने आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया को और तेज कर दिया है. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इंटर-मिनिस्टीरियल ग्रुप (आईएमजी) ने दो मीटिंग्स के बाद शेयर परचेज एग्रीमेंट (एसपीए) को मंजूरी दे दी है. अब इसे कोर ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज ऑन डिसइन्वेस्टमेंट के पास भेजा जाएगा. इसके बाद सितंबर के पहले हफ्ते में वित्तीय बोली शुरू होने की उम्मीद है.

अधिकारी के अनुसार, एसपीए की अंतिम मंजूरी के बाद वित्तीय बोली प्रक्रिया शुरू होगी. इसके लिए एक गोपनीय रिजर्व प्राइस तय किया जाएगा, जो बोलीदाताओं को नहीं बताया जाएगा. ड्राफ्ट एसपीए पर तीन शॉर्टलिस्टेड बोलीदाताओं द्वारा उठाए गए सवालों के कारण प्रक्रिया में थोड़ी देरी हुई है.

लेकिन अब सरकार को भरोसा है कि प्रक्रिया सुचारू रूप से चलेगी. पोटेंशियल खरीदारों ने जनवरी 2024 में अपनी रुचि (एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट) जमा की थी. मार्केट में उतार-चढ़ाव के बावजूद सरकार का मानना है कि ये साइक्लिकल इश्यूज डिसइन्वेस्टमेंट की टाइमलाइन को प्रभावित नहीं करेंगे.

इतने करोड़ की होगी डील-

सरकार इसी फाइनेंशियल ईयर (financial year) में इस डील को पूरा करने का प्लान बना रही है. इस सौदे से सरकार को 40,000 से 50,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद है. फिलहाल, केंद्र सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (Life Insurance Corporation of India) के पास आईडीबीआई बैंक की 95 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इसमें से 60.72 प्रतिशत हिस्सेदारी इस डिसइनवेस्टमेंट प्रक्रिया के जरिए बेची जा रही है.

आम आदमी पर क्या होगा असर?

जब कोई सरकारी बैंक निजी होता है, तो ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं और भुगतान प्रक्रियाओं में सुधार मिल सकता है. निजी बैंक ब्याज दरों और शुल्कों में अधिक लचीलेपन की पेशकश कर सकते हैं, जिससे कुछ ग्राहकों को फायदा हो सकता है, जबकि अन्य को नुकसान. कुल मिलाकर, निजीकरण से ग्राहक सेवा में सुधार और अधिक कुशल संचालन की संभावना है, लेकिन इसका मतलब अधिक शुल्क या बदलती ब्याज दरें भी हो सकती हैं.