home page

Gold Investment : 45 फीसदी रिटर्न दे चुका सोना, फिर भी लॉन्ग टर्म के लिए इनवेस्टमेंट को क्यों रिस्की बता रहे एक्सपर्ट, जानिए

Gold Investment : सोना एक कीमती धातु है, जिसे सेफ हेवन के नाम से जाना जाता है। सोने ने पिछले 11 साल में 8 बार पॉजिटिव रिटर्न दिया है। सोने के पॉजिटिव रिस्पोंस को देखते हुए भी एक्सपर्ट्स ने सोने में इन्वेस्ट करने को रिस्की बताया है। आइए जानते हैं सोने के बारे में एक्सपर्ट्स ऐसा क्यों कह रहे हैं।

 | 
Gold Investment : 45 फीसदी रिटर्न दे चुका सोना, फिर भी लॉन्ग टर्म के लिए इनवेस्टमेंट को क्यों रिस्की बता रहे एक्सपर्ट, जानिए

HR Breaking News (Gold Investment) सोने के दाम पिछले एक साल में में 47 प्रतिशत रिटर्न दे चुके हैं। यानी सोने की कीमत करीब डेढ़ गुणा बढ़ी है। वहीं, पिछले 28 महीने में सोने का रिटर्न दो गुणा है। परंतु, इतने रिटर्न के बाद भी सोना रिस्की निवेश का साधन हो सकता है। ऐसा ही एक्सपर्ट्स का मानना है। 

 

 

वैल्यू रिसर्च रिपोर्ट की चेतावनी- रहें सतर्क


इन दिनों सोने के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सोने की कीमतों में तेजी के बावजूद वैल्यू रिसर्च की रिपोर्ट ने निवेशकों को सतर्क रहने की चेतावनी दी है। लॉन्ग टर्म के लिए सोने में निवेश (Gold Investment) के नुकसान व कारण भी बताए गए हैं। 

 

 

12 महीने में दिया इतना रिटर्न


2025 में सोने की तेजी अलग ही है। इस साल सोने के दाम काफी तेजी से बढ़े हैं। साल की छमाही में ही सोना 35 प्रतिशत तक का रिटर्न दे चुका है। वहीं पिछले एक साल में सोने ने 47 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। साल की शुरुआत में सोना 76 हजार रुपये के आसपास था। परंतु, सोने के दाम अब 1 लाख को क्रॉस कर चुके हैं। 


हमेशा ऐसा रिटर्न नहीं देता सोना


परंतु, वैल्यू रिसर्च (Value Research) का मानना है कि सोने का प्रदर्शन हमेशा ऐसा नहीं रहता। रिसर्च के अनुसार इतिहास गवाह है कि सोना या कोई अन्य धातु लंबे समय तक बहुत कम रिटर्न (Gold Investment) दे सकता है। इसका रिटर्न जीरो भी हो सकता है। सोने को ग्रोथ एसेट नहीं माना जा सकता। 

इतने इतने वर्षों तक नहीं दिया रिटर्न


वहीं, हाल ही में वैल्यू रिसर्च की एक रिपोर्ट ने बताया है कि अक्टूबर 1979 से मार्च 1980 तक सोने के दाम छह महीने में ही 75 रुपये से 163 रुपये पर पहुंच गए थे। सोने ने दौगुना से ज्यादा रिटर्न दिया था। परंतु, इसके बाद आने वाले सात साल में सोने ने कोई नया ऊंचाई का रिकॉर्ड नहीं बनाया।

सोने में निवेश (Gold Investment) करने वाले परेशान हुए। ऐसा ही कुछ 1995 से 2000 के बीच देखने को मिला। सोने में प्रति वर्ष के औसत के हिसाब से मात्र 0.7% की बढ़ौतरी हुई। वहीं, जनवरी 2012 से नवंबर 2018 तक करीब 7 साल तक सोने के दाम एक ही दायरे में बने रहे।

शेयर बाजार की तरह रिटर्न नहीं देता सोना


एक्सपर्ट्स के अनुसार सोना एक कीमती धातु है। सोने में इन्वेस्ट (Gold Rate) करते हैं तो यह न तो डिविडेंड देता है और न ही बैंक की तरह ब्याज देता है। सोने के पीछे आय बढ़ाने का कोई खास मॉडल नहीं है। इसमें पूरी तरह से इसकी कीमतें ही जिम्मेदार होती हैं।

सोने की कीमत प्रमुख रूप से महंगाई, करेंसी मूवमेंट और भू-राजनीतिक जोखिम जैसे फैक्टर्स पर आधारित होती है। इसी वजह से वर्ल्ड में अनिश्चितता बढ़ते पर सोने की मांग और कीमत दोनों बढ़ जाती हैं। इसमें स्थिरता भी काफी लंबी चल सकती है।

सोने में कितना रखें निवेश


सोने में निवेश करना है तो यह एक तय लीमिट का रखना चाहिए। निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो का केवल 5 से 10 प्रतिशत हिस्सा ही सोने (Gold Rate) में निवेश के लिए लगाना चाहिए। सोने में इतना निवेश भी जोखिम से बचने के लिए लगाया जा सकता है।

अगर अच्छी ग्रोथ चाहिए तो शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड या दूसरे माध्यमों में ही सोने को एक विकल्प के रूप में रखे। सोने में इन्वेस्ट करना है तो फिजिकल गोल्ड की जगह ETF या फंड ऑफ फंड्स को ज्यादा तरजीह दें।

अभी की तेजी भरोसे लायक नहीं


सोने में निवेश सोने की हाल की तेजी को देखकर करना कोई समझदारी नहीं होगी। बीते साल से ही सोने में तेजी रही है। सोने में किसी एक अच्छे प्रदर्शन को देखकर सोने में अच्छे रिटर्न की गारंटी नहीं दी जा सकती है। निवेशकों को एक संतुलित ढंग से इसे देखना होगा।