Home Loan Charges : होम लोन देते वक्त बैंक चुपके से वसूलते हैं ये 7 चार्जेज, लोन लेने वाले जान लें ये जरूरी बात
HR Breaking News - (Home loan) । अगर आप हाल फिलहाल में होम लोन के लिए अप्लाई करने के बारे में सोच रहे हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद काम की साबित होने वाली है। आप जानते ही है कि बैंकों की ओर से ग्राहकों को होम लोन पेश किया जाता है, लेकिन ग्राहकों को इस बारे में जानकारी नहीं होती है कि कई बैंक उन्हें लोन देते समय चुपके से उनसे 7 तरह के चार्जेज वसूलते हैं। लोन लेने वालों को इन चार्जेज (Home Loan hidden Charges) के बारे में जानकारी होना बेहद आवश्यक है। आइए जानते हैं इन चार्जेज के बारे में।
1- बैंकों की ओर से लिए जाते हैं अप्लाई चार्जेज-
कई ग्राहकों को इस हिडन चार्ज (Home Loan hidden charges) के बारे में जानकारी नहीं होती है। दरअसल, जब आप बैंक में लोन के लिए अप्लाई कराते हैं तो बैंकों की ओर से ग्राहकों के द्वारा आवेदन शुल्क लिए जाते हैं। ये आवेदन शुल्क 2,500 से 6,500 रुपए के बीच हो सकता है। कुछ बैंकों में इस चार्ज को लॉगिन चार्ज (login Charge kya hai) भी कहते हैं। कई ऐसे बैंक होते हैं जो लोन का अप्रूवल मिलने के बाद में आवदेन शुल्क को आपके लोन की प्रोसेसिंग फीस (Login Fee For Home Loan) में एडजस्ट कर देते हैं। अगर, लोन अप्रूव नहीं हुआ तो बैंक इस चार्ज को वापस नहीं करते हैं।
2-हर बैंक लेता है प्रोसेसिंग फीस-
आपने देखा होगा कि हर दूसरे बैंक लोन पर एक प्रोसेसिंग फीस (Home Loan Processing Fee) वसूलते हैं। ये प्रोसेसिंग फीस हर तरह के लोन पर वसूली जाती है। ठीक इसी तरह होम लोन (home loan tips) पर भी यह प्रोसेसिंग फीस लगती है। प्रोसेसिंग फीस आपके लोन पर निर्भर करती है। बैंकों का कहना है कि आपको लोन को प्रोसेस करने में जितना खर्चा आता है, इस चार्ज के द्वारा इसकी भरपाई की जाती है।
3- जानिए कैसे लगता है फोरक्लोजर चार्ज -
होम लोन पर लोनधारको को अधिक ब्याज चुकाना पड़ता है। वहीं हर महीने की ईएमआई (Rules for home loan) अलग से टेंशन देती है। जब व्यक्ति के पास एक बार में ज्यादा पैसा आ जाता है तो सबसे पहले व्यक्ति होम लोन को ही बंद कराता है। ऐसे में लोनधारकों के पास होम लोन को फोरक्लोज (prepayment charge) यानी समय से पहले पूरा भुगतान देकर बंद करने का आप्शन होता है। ऐसे में समय से पहले लोन बंद कराने पर ग्राहकों को 2-6 प्रतिशत तक का फोरक्लोजर चार्ज देना पड़ता है, ये चार्ज बकाया प्रिंसिपल अमाउंट पर लगता है।
4- जानिए क्या है स्विचिंग चार्ज-
आपको बता दें कि बैंक की ओर से होम लोन लेने वालों ग्राहकों द्वारा कन्वर्जन चार्ज भी वसूले जाते हैं। ये चार्ज तक लिए जाते हैं कि जब आप फ्लोटिंग रेट लोन को फिक्स्ड रेट लोन में या फिक्स्ड रेट लोन (Fixed rate loan) को फ्लोटिंग रेट लोन में कन्वर्ट करवाते हैं । एक तरीके से इसे स्विचिंग चार्ज (conversion charges kya hai) भी कहते है। ये चार्जेज ज्यादातर बची हुई लोन राशि के 025 प्रतिशत से 3 प्रतिशत तक हो सकता है। वैसे तो ज्यादातर बैंक फ्लोटिंग रेट पर ही लोन लेते हैं, लेकिन कुछ बैंक फिक्स्ड रेट पर भी ग्राहकों को होम लोन ऑफर करते हैं।
5- ग्राहकों को चुकाना पड़ता है रिकवरी चार्ज -
ब्याज दरें ज्यादा होने के चलते कई बार लोनधारक समय से होन लोन को नहीं चुका पाते हैं, जिसके चलते बैंक की ओर से उन्हें डिफॉल्ट घोषित कर दिया जाता है। लोन डिफॉल्टर (loan defaulter) घोषित होने पर उनके खिलाफा सख्त कार्रवाई की जाती है। ऐसे में ग्राहक से पैसों की वसूली की जाती है। इस प्रक्रिया में भी बैंक का पैसा खर्च होता है, लेकिन इस खर्चे को बैंक रिवकरी चार्ज (reclaim charge kya hai) के रूप में लोन डिफॉल्टर से ही वसूलता है।
6- कई जगहों पर लगता निरीक्षण शुल्क -
होम लोन लेने के लिए आपकी संपत्ति का आकलन किया जाता है, क्योंकि होम लोन कोई छोटा-मोटा लोन नहीं होता है। ऐसे में बैंक की ओर से आपको लोन प्रोवाइड कराने से पहले बैंक अपनी एक टीम को भेजकर आपकी संपत्ति का आकलन (Assessment of property) करती है।टीम के द्वारा संपत्ति की कई चीजों की जांच होती है। जैसे- वैधानिक अप्रूवल, लेआउट अप्रूवल, बिल्डिंग स्पेसिफिकेशन, कंस्ट्रक्शन मानदंड आदि । बैंकों की ओर से इस निरीक्षण कार्य के लिए भी आपसे चार्ज (Inspection Fee kb lgti hai) वसूले जाते हैं। कई बैंक तो ऐसे होते हैं जो इस चार्ज को को प्रोसेसिंग फीस में जोड़ देते हैं और वहीं कई बैंक इसका अलग से चार्ज लेते हैं।
7- एक्सपर्ट्स को देनी पड़ी है लीगल फीस -
आपकी संपत्ति के कागजात रखकर ही आपको होम लोन दिया जाता है। बैंक की ओर से आपकी संपत्ति में कोई कानूनी दिक्कत है या नहीं, इसे जांचने के लिए कानूनी विशेषज्ञों को नियुक्त (Appointment of legal experts) किया जाता है। इन विशेषज्ञों के द्वारा आपकी प्रोपर्टी की टाइटल डीड, प्रॉपर्टी ओनरशिप का इतिहास और डिप्रिसिएशन, नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (no objection certificate), ऑक्यूपेंसी प्रमाण पत्र आदि की जांच की जाती हैं। सारी जांच पड़ताल के बाद ये एक्सपर्ट्स बैंक को बताते हैं कि व्यक्ति को लोन देना चाहिए या नहीं देना चाहिए। ऐसे में विशेषज्ञों की इन सेवाओं के बदले फीस दी जाती है, इसे लीगल फीस (Legal Fees kya hai) कहा जाता है। कई बैंक विशेषज्ञों को दी जाने वाली इस फीस को आपके होम लोन पर भी लागू करते हैं।
