Income Tax : नई टैक्स रिजीम में कैसे बचा सकते हैं मोटा टैक्स, जान लें 6 तरीके
HR Breaking News - (Income Tax New Tax Regime)। नए फाइनेंशियल ईयर की शुरू हो चुकी है और इनकम टैक्स भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। इसी के चलते टैक्सपेयर्स वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए अपना आईटीआर यानी इनकम टैक्स रिटर्न (income tax return) दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, फरवरी महीने में आम बजट में सरकार द्वारा सालाना टैक्स फ्री इनकम की सीमा को बढ़ाकर 7 से 12 लाख रुपये करने से टैक्सपेयर्स को इस नए वित्तीय वर्ष बड़ा फायदा मिला है।
वहीं, अब सवाल उठता है कि जिन टैक्सपेयर्स की वार्षिक आय 12 लाख या इससे अधिक है तो वह क्या करें। टैक्सपेयर्स निवेश करके अपनी आय वर्ग के आधार पर एक सही टैक्स रिजीम (tax regime) चुनकर इनकम टैक्स में अच्छी खासी बचत कर सकते हैं। इस खबर में हम आपको छह ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं, जिनके जरिए नए टैक्स रिजीम के तहत कर में मोटी बचत कर लें।
हर कोई अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा बचाना चाहते हैं, और कर नियोजन कर देनदारी को कम करने और अधिक बचत करने का एक तरीका है। आयकर अधिनियम, 1961 (Income Tax Act, 1961) के तहत, कुछ निवेश, बचत और व्यय कर-मुक्त हैं। हम अक्सर कुछ ऐसे निवेश करते हैं जो पुरानी और नई दोनों टैक्स रिजीम (new tax regime) के तहत टैक्स छूट दिला सकते हैं।
ओल्ड टैक्स रिजीम (old tax regime) 2025 के केंद्रीय बजट के बाद भी विभिन्न कटौतियों और छूटों के माध्यम से कर बचाने के लिए करदाताओं को कई विकल्प प्रदान करती है। दूसरी ओर, न्यू टैक्स रिजीम (new tax regime) में ओल्ड टैक्स रिजीम की तुलना में करदाताओं के लिए कम कटौतियां उपलब्ध हैं।
न्यू टैक्स रिजीम के तहत होगी टैक्स में बचत -
आईटीआर भरते समय न्यू टैक्स रिजीम (new tax regime) को चुनकर आप टैक्स में बचत कर सकते है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2025 में न्यू टैक्स रिजीम के लिए कुछ नई कटौतियों का ऐलान किया।
लेकिन फिर भी, अगर आपने कई निवेश विकल्पों में अपना पैसा लगाया है और कटौतियों और छूट लाभों का लाभ उठा रहे हैं तो आप ओल्ड टैक्स रिजीम (old tax regime) के तहत बेहतर स्थिति में हैं। वहीं, अगर आपने टैक्स बचाने के लिए ज्यादा निवेश नहीं किया है तो ऐसे में नई व्यवस्था आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि इसमें कर स्लैब की दरें ओल्ड टैक्स रिजीम से काफी कम हैं। नई टैक्स रिजीम में ये छह लाभ मिलते हैं -
स्टैंडर्ड डिडक्शन
न्यू टैक्स रिजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन (standard deduction) को फाइनेंशियल ईयर 2025-26 से प्रभावी रूप से 50,000 से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है। ओल्ड टैक्स रिजीम में, स्टैंडर्ड डिडक्शन अभी भी 50,000 रुपये ही है।
एनपीएस में नियोक्ता के योगदान पर छूट - सेक्शन 80CCD(2)
एनपीएस में नियोक्ता के योगदान पर छूट - सेक्शन 80CCD(2) के तहत केवल नौकरीपेशा लोग ही इसका लाभ ले सकते हैं। फ्रीलांसर या स्व-रोजगार वाले लोग इसका लाभ नहीं उठा सकते हैं. यदि आपके नियोक्ता ने आपके एनपीएस खाते में योगदान दिया है, तो आप इसके अतिरिक्त छूट का लाभ उठा सकते हैं:
सरकारी कर्मचारियों के लिए: मूल + महंगाई भत्ता का 14% तक
निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए: पहले 10% तक
अग्निवीर कॉर्पस फंड में योगदान पर छूट - सेक्शन 80CCH(2)
अग्निपथ योजना के तहत, अग्निवीर और सरकार दोनों द्वारा किए गए योगदान कर कटौती योग्य हैं. यदि इस योजना के तहत किसी लाभार्थी या उसके नामांकित व्यक्ति को राशि प्राप्त होती है, तो उस पर भी कर छूट दी जाती है. यह छूट दोनों टैक्स रिजीमओं में मान्य है.
फेमिली पेंशन पर छूट - सेक्शन 57(iia)
आयकर विभाग के सेक्शन 57(iia) के अनुसार अगर किसी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके परिवार को पेंशन मिलती है, तो वह पूरी तरह से टैक्स फ्री होगी।
न्यू टैक्स रिजीम में:
1/3rd या 25,000 रुपये तक (जो भी कम हो) टैक्स फ्री है।
ट्रांसपोर्ट अलाउंस (Transport & Conveyance Allowance)
परिवहन भत्ता: विकलांग कर्मचारियों को घर से कार्यालय आने-जाने के लिए प्रति माह 3,200 तक की छूट मिलती है.
वाहन भत्ता: कार्यालय के काम के दौरान किए गए खर्च वास्तविक खर्च के अनुसार कटौती योग्य हैं.
न्यू टैक्स रिजीम में सेक्शन 10 के तहत मिली छूट
पहले, न्यू टैक्स रिजीम में सेक्शन 10 के तहत कोई छूट नहीं थी, लेकिन अब कुछ शामिल की गई हैं:
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस): 5 लाख तक कटौती योग्य है.
ग्रेच्युटी: सरकारी कर्मचारियों के लिए पूरी तरह से टैक्स फ्री, निजी कर्मचारियों के लिए, स्थिति पर निर्भर करता है।
अवकाश नकदीकरण: सेवानिवृत्ति या इस्तीफा के समय अवकाश वेतन 25 लाख रुपये तक टैक्स फ्री है, जिसके ऊपर की राशि टैक्स योग्य होगी।
