Income Tax विभाग इन लोगों को भेज रहा नोटिस, कहीं आप पर तो नहीं गिर जाएं गाज
HR Breaking News (ब्यूरो) : नया वित्तीय वर्ष, 2023-24, एक अप्रैल महीने से शुरू हो चुका है और इसे एक महीना पूरा हो गया है. साथ ही टैक्स सीजन आधिकारिक तौर पर शुरू हो गया है. आयकर विभाग (Income Tax Notice) पिछले वर्षों के रिटर्न की समीक्षा कर रहा है और उन लोगों को सूचित कर रहा है जिन पर कर चोरी का संदेह है जबकि करदाता अपनी रिपोर्ट दाखिल करने में व्यस्त हैं. यह समझना जरूरी है कि लोगों को ये नोटिस क्यों मिल रहे हैं ताकि कोई नोटिस प्राप्त न हो सके.
आयकर विभाग (Income Tax Department) का मूल सिद्धांत टैक्स चोरी को पकड़ना है, जिसका अर्थ है कि जब कोई व्यक्ति अपनी आय छुपा सकता है तो वह अपने खर्च या निवेश को छुपा नहीं सकता है. करदाताओं के खर्च और निवेश की निगरानी के लिए विभाग ने वित्तीय लेन-देन विवरण (SFT) नामक एक प्रणाली लागू की है. अलग-अलग तरह के ट्रांजैक्शन के लिए अलग-अलग लिमिट तय की गई है और अगर कोई ट्रांजैक्शन लिमिट से ज्यादा होता है तो संबंधित यूनिट इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को इसकी सूचना देती है.
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विभाग को पैन, मोबाइल नंबर और आधार के जरिए वित्तीय लेनदेन की जानकारी भी मिलती है, जिनका इस्तेमाल लगभग हर बड़े लेनदेन में होता है. उदाहरण के लिए, दोपहिया वाहन के अलावा किसी अन्य वाहन को खरीदने या बेचने, बैंक खाता या डीमैट खाता खोलने, क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने या जमा करने, बीमा प्रीमियम, म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) या 50,000 रुपये से अधिक की बांड खरीद के लिए पैन (PAN Card) की जरुरत होती है.
यदि किसी किरायेदार को संपत्ति से किराया प्राप्त होता है, तो उसे पैन प्रदान करना होगा. टीडीएस (TDS) भी करदाताओं की आय पर नजर रखने का एक तरीका है. बैंक या पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट पर या संपत्ति खरीदने सहित अन्य मामलों में एक साल में ब्याज 40,000 रुपये से अधिक होने पर टीडीएस काटा जाता है.
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आयकर विभाग निम्नलिखित मामलों पर सूचना प्राप्त करता है:
- अगर कोई व्यक्ति किसी एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये या उससे अधिक नकद बचत खाते में जमा या निकालता है तो बैंक इसकी सूचना विभाग को देता है. नकद का उपयोग करते हुए 10 लाख रुपये या उससे अधिक का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी), पे ऑर्डर, या बैंकर्स चेक बनाते समय भी जानकारी प्रदान की जाती है.अगर कोई व्यक्ति चालू खाते में 50 लाख रुपये या उससे अधिक की नकदी जमा या निकासी करता है तो इसकी सूचना आयकर विभाग को दी जाती है.
- एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या उससे अधिक की एफडी की जानकारी भी विभाग को दी जाती है, जो नकद और डिजिटल दोनों मामलों में लागू होती है.
- यदि कोई व्यक्ति 1 लाख रुपये या उससे अधिक के क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान नकद या 10 लाख रुपये या उससे अधिक के बिल का किसी भी माध्यम से भुगतान करता है, तो विभाग को सूचित किया जाता है.
- जब भी कोई 30 लाख रुपये या उससे अधिक की संपत्ति खरीदता या बेचता है तो संपत्ति रजिस्ट्रार विभाग को सूचित करता है. 50 लाख रुपये से अधिक के रियल एस्टेट अधिग्रहण पर, 1% टीडीएस काटा जाता है और विभाग को लेनदेन के बारे में सूचित किया जाता है.
- जब भी कोई व्यक्ति एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या उससे अधिक के शेयर, डिबेंचर, बॉन्ड या म्यूचुअल फंड खरीदता है, तो बिक्री के प्रभारी व्यवसाय या संगठन को आयकर विभाग को सूचित करना चाहिए.
- विक्रेता को 2 लाख रुपये से अधिक की कुल वस्तुओं या सेवाओं की खरीद के लिए किए गए किसी भी नकद भुगतान के बारे में आयकर विभाग को बताना जरूरी है. उदाहरण के लिए, दुकानदार को विभाग को सूचित करना आवश्यक है यदि कोई ग्राहक आभूषण खरीदता है और नकद में 2 लाख रुपये से अधिक का भुगतान करता है. 2 लाख रुपये से ज्यादा के किसी भी ट्रांजैक्शन के लिए भी पैन कार्ड जरूरी है.
आयकर विभाग से एक पत्र प्राप्त करने से बचने के लिए करदाताओं को अपनी आय के विरुद्ध अपनी लागत और निवेश का हिसाब देना चाहिए. आय और व्यय असहमत होने की स्थिति में विभाग नोटिस जारी कर सकता है. करदाता आयकर विभाग की वेबसाइट से अपना वार्षिक सूचना विवरण (AIS) डाउनलोड करके किए गए सभी खर्चों और निवेशों की बारीकियों की समीक्षा कर सकते हैं.