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income tax department : अब इनकम टैक्स विभाग नहीं खोल सकता इतने साल पुराने मामले, टैक्सपेयर्स को मिल गई बड़ी राहत

income tax rules : टैक्सपेयर्स के लिए राहत भरी खबर है। अब उन्हें आयकर विभाग की मनमानी से छुटकारा मिलेगा। नए नियमों के अनुसार आयकर विभाग तय की गई लिमिट (IT Reassesment limit) से पुराने मामले नहीं खोल सकेगा। अब तक विभाग किसी भी समय आयकर मामले खंगालते हुए करदाताओं को नोटिस (income tax notice) भेज देता था। इस परेशानी से अनेक टैक्सपेयर्स का राहत मिल सकेगी।

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income tax department : अब इनकम टैक्स विभाग नहीं खोल सकता इतने साल पुराने मामले, टैक्सपेयर्स को मिल गई बड़ी राहत

HR Breaking News - (Income Tax News)। आयकर मामलों की री-असेसमेंट को लेकर करदाताओं को बड़ी राहत मिली है। अब आयकर विभाग (income tax department) तय किए गए समय से अधिक पुराने मामले नहीं खंगाल सकेगा और न ही इन मामलों में किसी टैक्सपेयर को नोटिस भेज सकेगा।

आयकर विभाग की मनमानी पर अब रोक लग गई है और करदाताओं को विभाग की ओर से किसी भी समय की जाने वाली रीअसेसमेंट (IT Reassesment rules) की कार्रवाई से छुटकारा मिल गया है। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से इस खबर में।

ये तय किए गए हैं नए नियम -


आयकर विभाग नए नियमों (IT new rules) के अनुसार अब  3 साल से ज्यादा पुराने सामान्य टैक्स मामलों की री-असेसमेंट (IT Reassesment rules) नहीं कर सकेगा। आयकर से जुड़ा कोई मामला सीरियस फ्रॉड का है या फिर 50 लाख से अधिक सालाना इनकम (income tax ke niyam) को छिपाने का है तो विभाग के पास 10 साल तक भी मामले को खंगालने का अधिकार होगा। 

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसले में यह किया क्लियर-


दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से भी इनकम टैक्स (income tax) मामले की री-असेसमेंट को लेकर बड़ा फैसला सुनाया जा चुका है। दिल्ली हाईकोर्ट (delhi high court) के फैसले के अनुसार अब इनकम टैक्स विभाग मनमर्जी से किसी भी समय करदाता को किसी मामले को खंगालने के लिए नोटिस नहीं भेज सकता। नोटिस (IT notice rules) भेजने से पहले विभाग को री-असेसमेंट (reassessment rules 2025)  की समय सीमा को ध्यान में रखना होगा। 

इस धारा के तहत सुनाया है फैसला -


आयकर कानून (income tax act)  की धारा 148 के तहत सुनाए गए इस मामले में कोर्ट ने कहा है कि 50 लाख से कम की आय से जुड़े 3 साल पुराने आयकर मामले को विभाग फिर से नहीं खंगाल सकता। इसके साथ ही विभाग के पास यह पावर रहेगी कि वह 50 लाख से  ज्यादा की आय छिपाने का मामला (case of concealment of income) हो तो 10 साल में भी मामले को खंगाल सकता है। 


टैक्सपेयर्स को मिली यह राहत -


दिल्ली हाईकोर्ट (delhi high court decision on tax) ने सीबीडीटी के निर्देशों पर आधारित ट्रैवल बैक इन टाइम सिद्धांत पर भी टिप्पणी की है। इसे कोर्ट ने करदाताओं के हित में नहीं माना है। कानून की दृष्टि से इसे खरा नहीं बताया। हाईकोर्ट की इस टिप्पणी से देशभर के अनेक टैक्सपेयर्स को राहत मिली है। टैक्सपेयर्स (taxpayers update) को यह भी राहत मिली है कि  इनकम टैक्स अब पुराने मामलों में अचानक किसी भी समय नोटिस नहीं भेज सकेगा। 

री-असेसमेंट को लेकर पहले यह था प्रावधान- 


 री-असेसमेंट (new reassessment rules) को लेकर पहले अलग कानून था। नया IT कानून साल 2021-22 में बनाया गया। पहले किसी टैक्स मामले को  6 साल तक खोला जा सकता था। बाद में नए नियम अनुसार 3  साल की अवधि तय की गई। अब विभाग की मनमानी पर इस मामले में रोक लग गई है। विभाग अब नए नियमों (IT new rules) के अनुसार ही नोटिस भेज सकेगा

आयकर विभाग का तर्क -


दूसरी ओर आयकर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट (supreme court news) के फैसले के बाद मई, 2022 के एक मामले में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes) ने सर्कुलर जारी किया था। उस सर्कुलर के अनुसार ऐसे नोटिस वैलिड हैं। यहां पर यह समझना जरूरी है कि आयकर कानून में किए गए प्रावधानों के अनुसार ही किसी टैक्स मामले की री-असेसमेंट (reassessment ke niyam) की जा सकती है।