home page

Income Tax Free Income : इन 5 इनकम पर नहीं देना पड़ता टैक्स का एक भी रुपया, अधिकत्तर लोगों को नहीं है जानकारी

Income Tax Free Income : टैक्सपेयर्स को अपनी कमाई का एक हिस्सा टैक्स के रूप में सरकार को देना होता है। सरकार की ओर से इसको लेकर अलग अलग स्लैब बनाए गए हैं। वहीं कुछ ऐसी इनकम भी होती है जिनके ऊपर किसी प्रकार का कोई टैक्स नहीं लगता है। आज हम आपको ऐसी ही 5 इनकम के बारे में बता रहे हैं जिन पर आपको एक भी रुपया टैक्स के रूप में नहीं देना होगा साथ ही अगर आप अपनी इनकम की गलत जानकारी देते हैं तो इनकम टैक्स विभाग आप पर क्या कार्रवाई कर सकता है।
 | 

HR Breaking News (नई दिल्ली)। लोगों के पास इनकम कई स्रोत (Income Source) होते हैं।  कोई नौकरी करके पैसे कमाता है तो कोई अलग अलग बिजनेस से पैसे बनाते हैं। इन इनकम पर टैक्सेशन इनकम टैक्स एक्ट के प्रावधानों के अनुसार होता है। हालांकि सभी तरह की इनकम टैक्स-फ्री नहीं होती हैं, लेकिन कुछ खास तरह की इनकम (Tax Free Income) इसके दायरे में नहीं आती हैं लेकिन उसकी शर्तें अलग होती हैं।  जिनके तहत कुछ तरह की इनकम टैक्स-फ्री होती हैं। आइए, यहां पर जानते हैं कि कितने तरह की इनकम पर टैक्स नहीं लगाया जाता है और उसके लिए इनकम टैक्स के क्या नियम हैं...

 

 

 

 


 

भारत में टैक्स-फ्री इनकम कितने तरह की होती है?
 

एग्रीकल्चर इनकम


एग्रीकल्चर एक्टिविटीज से प्राप्त इनकम को इनकम टैक्स एक्ट के तहत टैक्स-फ्री (Tax Free Income) माना जाता है। हालांकि, यहां ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एग्रीकल्चर एक्टिविटीज से संबंधित कॉमर्शियल इंडस्ट्रीज, जैसे एग्रीकल्चर एक्टिविटीज यील्ड की बिक्री, से इनकम टैक्सेबल है।

गिफ्ट्स और विरासत


शादियों जैसे अवसरों पर या वसीयत और विरासत के माध्यम से प्राप्त गिफ्ट्स आम तौर पर इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं। हालांकि, टैक्स-फ्री गिफ्ट्स की राशि में अपवाद है, लेकिन इसकी भी एक लिमिट सेट की गई है।  

PPF और EPF पर मिलने वाला ब्याज


सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) और कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में निवेश पर अर्जित ब्याज टैक्स-फ्री होता है। PPF और EPF दोनों लोकप्रिय लॉन्ग-टर्म सेविंग्स के सोर्स हैं जिनपर टैक्स नहीं देना पड़ता। 

डिविडेंड


स्टॉक और म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट से प्राप्त डिविडेंड प्राप्तकर्ता के हाथ में Tax Free होता है। हालांकि, वितरण कंपनी डिविडेंड वितरण टैक्स का पेमेंट करने के लिए उत्तरदायी है।

इक्विटी पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स


एक वर्ष से अधिक समय तक रखे गए इक्विटी शेयरों की बिक्री से हुए प्रॉफिट पर कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता। हालांकि, शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्सेशन के अधीन हैं। 

इनकम की गलत जानकारी देने पर होगी ये कार्रवाई


दूसरी ओर अगर आप टैक्स छिपाने या बचाने की कोई भी गलत कोशिश आपके सामने बड़ी परेशानी खड़ी कर सकती है। Income Tax Department पहले ही इससे जुड़ी चेतावनी जारी कर चुका है। अगर कोई भी शख्स ऐसा कोई काम करता है तो इनकम टैक्स विभाग उससे जुर्माना वसूलेगा।  टैक्स से जुड़ी हेराफेरी करने पर टैक्स से बचाई गई कुल रकम पर जुर्माना लगाया जा सकता है। 
कई बार एक करदाता (Taxpayer) इनकम को कम या गलत बताकर कर देयता को कम करने का प्रयास करता है तो ऐसे में धारा 270A के आधार पर टैक्सपेयर्स को दंड के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा। जान लीजिए आयकर अधिनियम (Income Tax Act) के अनुसार करदाता द्वारा की गई हर चूक के लिए जुर्माना प्रावधान है।  सेल्फ असेसमेंट टैक्स का भुगतान नहीं करने, इनकम रिटर्न भरने में डिफॉल्ट ,टैक्स के भुगतान में डिफॉल्ट और अन्य पर जुर्माने (Penalty) के अलावा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इनकम की अंडररिपोर्टिंग और मिसरिपोर्टिंग के लिए पेनल्टी भी लगाता है। 

इनकम टैक्स विभाग लेगा ये एक्शन


इनकम टैक्स के अनुसार, टैक्स से चुराई गई कुल रकम पर 50 से 200 प्रतिशत तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है। सेक्शन 270A के अनुसार, अगर इनकम टैक्स रिटर्न में गलत जानकारी दी गई तो टैक्स देनदारी या छिपाई गई रकम पर 200 प्रतिशत जुर्माना वसूला जा सकता है। 
वहीं अगर कुछ अन्य कारणों की वजह से अलग इनकम कम बताई गई होगी तो देनदारी या छिपाई गई रकम पर 50 प्रतिशत जुर्माना लगेगा। इतना ही नहीं आईटी विभाग ने कहा है कि ऐसे टैक्सपेयर्स के एंप्लॉयर को भी इसकी जानकारी दी जाएगी कि उनके यहां काम करने वाला शख्स गलत इनकम टैक्स रिटर्न भर रहा है।


इनकम को गलत बताने के केस में ये सब चीजें भी हैं शामिल

  • गलत जानकारी देना या फिर छिपाना
  • निवेश का सही रिकॉर्ड न देना
  • कटौती को बढ़ा चढ़ाकर बताया पर प्रूफ नहीं देना
  • अकाउंट बुक में कोई भी झूठी एंट्री होना
  • किसी अंतरराष्ट्रीय या किसी खास लेन देन का रेकॉर्ड न देना