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Income Tax : सेविंग अकाउंट और एफडी, जानिए ब्याज के पैसे पर कितना लगेगा टैक्स

Income Tax :  मौजूदा समय में लगभग हर इंसान को ब्याज से कमाई होती है. फिर चाहे वो सेविंग अकाउंट हो अथवा एफडी या बॉन्ड, ब्याज का लाभ मिलता है और इस कमाई पर टैक्स भी लगता है... लेकिन इसकी जानकारी अधिकतर लोगों को नहीं हैं. ऐसे में आज हम आपको अपनी इस खबर में बता दें कि आखिर ब्याज के पैसे पर कितना टैक्स लगता है-

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Income Tax : सेविंग अकाउंट और एफडी, जानिए ब्याज के पैसे पर कितना लगेगा टैक्स

HR Breaking News, Digital Desk-  ब्याज से कमाई पर भी टैक्स लगता है, जैसे मुख्य आय पर. लाखों लोग सेविंग्स अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट, पोस्ट ऑफिस स्कीम्स, और रेकरिंग डिपॉजिट में निवेश कर ब्याज कमाते हैं. यह ब्याज टैक्स के दायरे में आता है, लेकिन कई टैक्सपेयर इसकी जानकारी नहीं रखते और इसे रिटर्न में नहीं दर्शाते. ब्याज से कमाई पर किस तरह टैक्स लगता है, आइए जानते हैं...

सेविंग्स अकाउंट के ब्याज पर टैक्स-

आयकर कानून की धारा 80TTA के तहत, एक वित्त वर्ष में सेविंग्स अकाउंट (saving account) से मिला 10 हजार रुपये तक का ब्याज ही टैक्स-फ्री (tax free) है. डिडक्शन की ये लिमिट हर बैंक अकाउंट (bank account) के लिए अलग-अलग नहीं, बल्कि सभी सेविंग्स अकाउंट्स (saving accounts) से मिले ब्याज की रकम को मिलाकर है. यह कटौती 60 साल से कम के लोगों और HUF यानी Hindu Undivided Family के लिए है. बचत खातों का ब्याज (interest on saving accounts) 10 हजार रुपये से ज्यादा होने पर 10,000 ऊपर के अमाउंट पर टैक्स लगेगा.

टैक्सपेयर (taxpayer) को एक वित्त वर्ष में सभी बचत खातों से आए ब्याज की रकम को ITR में 'इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज' में दिखाना होगा. ब्याज की रकम आपके टोटल इनकम में जुड़ जाएगी. टैक्स स्लैब (tax slab) के हिसाब से आपको टैक्स भरना होगा.

एफडी से कमाई पर टैक्स-

बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (Bank Fixed deposit) यानी एफडी से कमाया ब्याज इंडिविजुअल्स (individuals) यानी आम लोगों के लिए पूरी तरह टैक्सेबल (taxable) यानी पूरी तरह से टैक्स के दायरे में है. सीनियर सिटीजन यानी 60 वर्ष से ऊपर के लोग सेविंग्स अकाउंट (saving account) और FD से कमाए ब्याज पर 50 हजार रुपये तक का डिडक्शन क्लेम (deduction claim) कर सकते हैं. डिडक्शन का फायदा लेने के लिए ब्याज को ITR में दिखाना होता है और सेक्शन 80TTB के तहत डिडक्शन लिया जा सकता है. 60 साल से कम उम्र के लोगों को 80TTB का फायदा नहीं मिलता है.

 FD का ब्याज एक निश्चित सीमा से ज्यादा होने पर बैंक 10 प्रतिशत की दर से टीडीएस काटते हैं. सीनियर सिटीजन के लिए यह लिमिट 50,000 रुपये और गैर-सीनियर सिटीजन के लिए 40,000 रुपये है. आपकी ब्याज समेत कुल कमाई बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट से कम होने पर फॉर्म-15G/15H फाइल करके टीडीएस कटने से रोक सकते हैं.

पुरानी यानी ओल्ड टैक्स रिजीम (old tax regime) में 60 साल से कम उम्र के करदाताओं के लिए बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट ढाई लाख रुपये है. 60 साल से अधिक यानी सीनियर सिटीजन (senior citizen) के लिए ये लिमिट 3 लाख रुपये, जबकि सुपर सीनियर सिटीजन यानी 80 साल और उससे ऊपर के लिए 5 लाख रुपये है. वित्त वर्ष 2023-24 से न्यू टैक्स रिजीम में बेसिक एग्जम्प्शन (Basic exemption in new tax regime) लिमिट 3 लाख रुपये है.

स्मॉल सेविंग स्कीम के ब्याज पर टैक्स-

स्माल सेविंग्स स्कीम जैसे रेकरिंग डिपॉजिट यानी RD, किसान विकास पत्र (KVP) और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) से मिले ब्याज पर भी टैक्स लगता है. ब्याज की रकम आपकी कमाई में जुड़ेगी और आप जिस इनकम स्लैब में आएंगे उस हिसाब से टैक्स देना होगा. इसी तरह, सीनियर सिटीजन के बीच खासी पॉपुलर सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम यानी SCSS है. इसमें निवेश करने पर उन्हें नियमित अंतराल पर ब्याज मिलता है. इस स्कीम में मिलने वाले ब्याज पर भी टैक्स लगता है. अगर ब्याज समेत कुल कमाई बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट (Basic Exemption Limit) से कम है तो टैक्स नहीं लगेगा.

पूरी तरह से टैक्स-फ्री ये स्कीम-

पब्लिक प्रोविडेंड फंड (PPF) भारतीय निवेशकों के लिए एक लोकप्रिय बचत योजना है जो EEE (Exempt-Exempt-Exempt) श्रेणी में आती है. इसमें जमा प्रिंसिपल अमाउंट, ब्याज और मैच्योरिटी (maturity) पर मिलने वाला पैसा पूरी तरह से कर-मुक्त है.