Income Tax : पुश्तैनी संपत्ति बेचने पर कितना देना होगा टैक्स, जानिए इनकम टैक्स के नियम
Income Tax : अक्सर कई लोगों के मन में ये सवाल होता है कि आखिर पुश्तैनी संपत्ति को बेचने पर कितना टैक्स देना होता है।ऐसे में आपको बता दें कि विरासत की संपत्ति को लेकर आयकर अधिनियम (Income Tax Act regarding inherited property) में भी कुछ नियम है। जिन्हें जान लेना आपके लिए बेहद जरूरी है-
HR Breaking News, Digital Desk- (Tax On Inherited Property) पूर्वजों की संपत्ति हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है, परंतु इसे बेचना कठिन होता है। इसकी बिक्री पर टैक्स की स्थिति अक्सर लोगों को भ्रमित करती है। आम तौर पर, हमें विरासत की संपत्ति पर टैक्स (property tax) का भुगतान केवल तब करना होता है जब हम उसे बेचते हैं। यह जानना आवश्यक है कि संपत्ति की बिक्री के समय टैक्स कैसे लागू होता है, ताकि आप सही जानकारी के साथ फैसले ले सकें।
इसे ऐसे समझिए कि अगर मेरे पास कोई विरासत की संपत्ति है तो मैं उसपर कोई टैक्स का भुगतान (payment of tax) नहीं करूंगी। मुझे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income tax department) को भले ही उस संपत्ति के बारे में बताना होगा, लेकिन मैं उसके लिए कोई टैक्स का भुगतान नहीं करूंगी। अगर मैं अपनी विरासत ती संपत्ति बेचती हूं तब मुझे उस संपत्ति का टैक्स देना होगा।
विरासत की संपत्ति में कौन शामिल होता है?
विरासत की संपत्ति को लेकर एक मुख्य कंफ्यूजन यह है कि इसे क्या माना जाए। विरासत की संपत्ति में वह जमीन या संपत्ति शामिल होती है जो हमें पिता, दादा या परदादा से मिलती है। जबकि, यदि संपत्ति माता के परिवार से आती है, जैसे नाना या मामा, तो वह विरासत की संपत्ति नहीं होती। ऐसी संपत्तियों की जानकारी देने का प्रावधान इनकम टैक्स एक्ट 1961 में है। इस प्रकार, विरासत की सही पहचान महत्वपूर्ण है। (Who is included in the inherited property?)
विरासत संपत्ति पर कर कौन देगा?
विरासत में मिली संपत्ति को बेचने पर आर्थिक टैक्स देना होता है। संपत्ति पर टैक्स के लिए जिम्मेदारी उसके मालिक की होती है। आमतौर पर, विरासत में मिली संपत्ति को उपहार माना जाता है और इस पर टैक्स नहीं लगता। लेकिन यदि विरासत में मिली संपत्ति को बेचा जाता है, तो इस बिक्री से प्राप्त राशि पर कर लागू होता है। इस तरह, बेची गई संपत्ति पर टैक्स की देनदारी उत्पन्न होती है।
यह टैक्स पूंजीगत (tax capital) लाभ के श्रेणी में आ जाता है। आपको पूंजीगत लाभ को दीर्घकालिक या अल्पकालिक के रूप में वर्गीकृत भी करना होता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पास कितने समय के लिए कोई भी संपत्ति होती है।
मान लीजिए कि आप के पास दो साल तक पैतृक संपत्ति (ancestral property) होती है, उसके बाद आप इसे बेच देते हैं। जब आप संपत्ति को बेचते हैं तो आपके पास जो भी राजस्व आता है यानी बिक्री की राशि आती है वह दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ माना जाता है।
विरासत की संपत्ति को लेकर आयकर अधिनियम (Income Tax Act regarding inherited property) में भी कुछ नियम है। आयकर अधिनियम के अनुसार अगर कोई संपत्ति 1 अप्रैल, 1981 से पहले विरासत में मिली थी तो फिर संपत्ति के मालिक के पास संपत्ति के उचित बाजार मूल्य को बदलने का ऑप्शन होता है। वहीं अगर संपत्ति 1 अप्रैल 2001 के बाद विरासत में मिली है तब अधिग्रहण की लागत 50,000 रुपये मानी जाती है।
1 अप्रैल, 1981 के बाद विरासत में मिली संपत्ति (inherited property) के मामले में आप कर उद्देश्यों के लिए मालिकों द्वारा भुगतान की गई राशि को प्रतिस्थापित नहीं कर पाएंगे। कुछ मामलों में, आप जिस साल से विरासत की संपत्ति पाते हैं उसी साल से आप इंडेक्सेशन से लाभ पाने के हकदार हो जाते हैं।
