Income Tax : 17 लाख की कमाई पर नहीं देना पड़ेगा कोई टैक्स, बस कर लें ये काम

HR Breaking News - वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी महीने की पहली तारीख को बजट 2025-26 में टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए 12 लाख रुपये तक की वार्षिक कमाई को टैक्स फ्री करने का ऐलान किया। लेकिन जिनकी इनकम सालाना 12 लाख रुपये से अधिक है उनका क्या? अब सवाल उठता है क्या नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) या पुरानी टैक्स रिजीम (Old tax regime) दोनों में से एक ऑप्शन चुनकर टैक्स की बचत हो सकती है। या फिर सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करके 12 लाख से अधिक की आय को टैक्स मुक्त किया जा सकता है। हां, यह संभव हो सकता है।
यदि आपकी कंपनी आपके सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करती है, तो कुछ भत्तों का लाभ उठाकर इस इनकम लिमिट (Income Limit) को 17 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। आयकर अधिनियम के अनुसार, न्यू टैक्स रिजीम के तहत कुछ अलाउंस टैक्स (Allowance Tax) के दायरे से बाहर हैं। हालांकि, इसका लाभ सिर्फ तभी उठा सकते हैं, जब तय की गई शर्तों को पूरा किया जाए। चलिए विस्तार से जानते हैं कि कैसे आप सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करके करीब 17 लाख रुपये की सालाना इनकम को टैक्स (TAX) फ्री कर सकते हैं।
इन भत्तें की सहायत से बचा सकते हैं टैक्स -
नई टैक्स रिजीम (new tax regime) के तहत, आयकर अधिनियम में कुछ भत्ते हैं जो टैक्सपेयर्स को अपनी सेलरी स्ट्रक्चर को फिर से व्यवस्थित करने में सहायता कर सकते हैं। यदि कुछ शर्तें पूरी की जाती हैं तो ये भत्ते यानी अलाउंस टैक्स फ्री (Allowance Tax Free) हो सकते हैं।
टेलीफोन और मोबाइल बिल से मिलेगी टैक्स में छूट -
कर्मचारी अपने द्वारा भरे गए टेलीफोन और मोबाइल बिल के आधार पर टैक्स में छूट (Tax Exemption Tips) ले सकते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि किसी भी टैक्स रिजीम के तहत टेलीफोन और इंटरनेट बिलों की छूट के संबंध में कोई लिमिट निर्धारित नहीं की गई है। हालांकि, कर्मचारियों को एक उचित रकम का ही दावा करना चाहिए। उनके अनुसार अगर कर्मचारी अपनी सैलरी स्ट्रक्चर में टेलीफोन, मोबाइल, इंटरनेट बिलों (Internet Bills) को एड करने के लिए बदलाव करते हैं, तो यह कदम उन्हें टैक्स में राहत दिला सकता है।
ट्रांसपोर्टेशन अलाउंस -
आयकर अधिनियम (Income Tax Act) के तहत दिव्यांग लोगों के लिए टैक्स-फ्री ट्रांसपोर्टेशन अलाउंस (Transportation Allowance) का प्रावधान है। वह घर से ऑफिस और ऑफिस से घर की यात्रा पर होने वाले खर्चे का दावा कर सकते हैं। दिव्यांग कर्मचारियों को मिलने वाले परिवहन भत्ते पर 3,200 रुपये मंथली या 38,400 रुपये सालाना तक की छूट दी जाती है। बता दें कि सिर्फ ऐसे कर्मचारी इस छूट के पात्र हैं, जो नेत्रहीन/मूक-बधिर हैं या जिनके शरीर का निचला हिस्सा काम नहीं करता है।
कन्वेंस अलाउंस (Conveyance Allowance) -
यह कंपनियों मालिकों की ओर से कर्मचारियों को उनके काम के लिए दीजाने वाली सुविधा है। यह दिव्यांग कर्मचारियों को दिए जाने वाले ट्रांसपोर्टेशन अलाउंस (Transportation Allowance) से अलग होता है। कर्मचारी को मिलने वाला कन्वेंस रिम्बर्समेंट (Conveyance Reimbursement) उस स्थिति में टैक्स फ्री है, अगर यह खर्चा आफिस से घर और घर से ऑफिस आने-जाने के दौरान किया जाता है। कर्मचारी को रिम्बर्समेंट का दावा करने के लिए बिल जमा करना जरूरी है। जिससे वह टैक्स में भारी छूट पा सकता है।
नियोक्ता की कार लीज पॉलिसी -
कार लीज़ नीति (Car Lease Policy) के अनुसार, कुछ कंपनी मालिक कर्मचारियों को व्यक्तिगत और आधिकारिक इस्तेमाल के लिए कार देते हैं। हालांकि, इसे आयकर के तहत एक अनुलाभ या पर्क्विज़िट (Perquisite) माना जाता है, लेकिन इसकी वैल्यू बहुत कम है। कंपनी मालिक द्वारा कर्मचारी के व्यक्तिगत और आधिकारिक इस्तेमाल के लिए दी जाने वाली कार की पर्क्विज़िट वैल्यू बहुत कम है। पुरानी और नई व्यवस्थाओं के तहत वैल्यूएशन मैकेनिज्म (Valuation Mechanism) एक ही रहता है। अगर कार के इंजन की क्यूबिक कैपिसिटी 1.6 लीटर से ज्यादा नहीं है, तो ऐसे पर्क्विज़िट की टैक्सेबल वैल्यू 1,800 रुपये मंथली है। अगर कैपिसिटी 1.6 लीटर से ज्यादा है, तो वैल्यू 2,400 रुपये मंथली होगी। अगर ड्राइवर भी उपलब्ध कराया जाता है तो पर्क्विज़िट वैल्यू में 900 रुपये मंथली अतिरिक्त जोड़े जाएंगे।
यहां पहले केस में CTC यानी कॉस्ट टू कंपनी का 30 प्रतिशत मूल वेतन और दूसरे में 40 प्रतिशत मूल वेतन। इसके लिए, सैलरी स्ट्रक्चर में मोबाइल रिम्बर्समेंट, ट्रांसपोर्टेशन रिम्बर्समेंट (Transportation Reimbursement), कन्वेंस रिम्बर्समेंट, NPS निवेश और PF निवेश शामिल होना चाहिए।
मौजूाद में, नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) के अनुसार कुछ डिडक्शन का दावा किया जा सकता है। इनमें 75,000 रुपये का स्टैण्डर्ड डिडक्शन (Standard Deduction), 25,000 रुपये का फैमिली पेंशन के तहत डिडक्शन, नियोक्ता का NPS योगदान 14 प्रतिशत और नियोक्ता का PF योगदान 12 प्रतिशत शामिल है।
ऐसे किया जाएगा सैलरी का कैलकुलेशन -
जब वित्त वर्ष 2026 में 12 लाख रुपये तक की सालाना सैलरी कमाई टैक्स मुक्त है, तो अगर आप इस टैक्स संरचना का पालन करते हैं तो आपका पूरा वेतन 16,64,959 रुपये टैक्स फ्री हो सकता है।