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Income Tax Notice : घर आ जाए इनकम टैक्स का नोटिस तो जानिये कैसे देने होता है जवाब

आयकर विभाग (Income tax department) से नोटिस मिलना भला किसे अच्छा लगेगा? सब चाहेंगे कि ऐसा न हो, लेकिन इन्कम टैक्स रिटर्न (ITR) भरते समय अपनी आय की कैलकुलेशन करते समय ज़रा-सी गलती आपको मुसीबत में डाल सकती है. आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से। 
 
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Income Tax Notice : घर आ जाए इनकम टैक्स का नोटिस तो जानिये कैसे देने होता है जवाब

HR Breaking News (ब्यूरो) : आपको आयकर विभाग से नोटिस मिल सकता है. जिसे भी नोटिस मिलता है उसे www.incometaxindiaefiling.gov.in की वेबसाइट पर जाकर जवाब दाखिल करने की सुविधा दी जाती है.


आम तौर पर इन्कम टैक्स रिटर्न भरते समय लोग टैक्स बचाने के चक्कर में गलत जानकारी भी दे देते हैं या फिर ज्यादा नुकसान दिखाते हैं. ऐसे में विभाग उन लोगों को नोटिस भेज सकता है, जिन पर गलत जानकारी भरने का शक होता है. यहां आम तौर पर आने वाले नोटिस ये होते हैं-

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सेक्शन 139(9) के तहत


दोषपूर्ण रिटर्न (defective return) के लिए सेक्शन 139(9) के तहत नोटिस भेजा जाता है. आईटीआर (ITR) को तब दोषपूर्ण माना जाता है यदि इसमें कोई जानकारी गायब हो (जानकारी न दी गई हो) या फिर ITR फॉर्म में दी गई जानकारी I-T विभाग के आंकड़ों से मैच न करती हो.

इस स्थिति में करदाताओं को इसका जवाब 15 दिनों के भीतर देना चाहिए. ऐसा न करने पर ITR खारिज कर दी जाती है. विभाग की तरफ से किए गए सवाल का अच्छे से जवाब देना चाहिए, ताकि समझने में कोई दिक्कत न हो.

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धारा 143(1) के तहत


यह एक सूचनात्मक (intimation) नोटिस होता है. यह तब भेजा जाता है जब अतिरिक्त कर का भुगतान किया जाता है और करदाता को धनवापसी की सूचना दी जाती है या जब वास्तविक टैक्स से कम का भुगतान किया जाता है, तो विभाग टैक्सपेयर (करदाता) को टैक्स लायबिलिटीज़ के बारे में सूचना देता है.


सेक्शन 143(1)(a) के तहत


यह भी एक सूचनात्मक नोटिस है. इसे तब भेजा जाता है जब फॉर्म 16 और फॉर्म 16A के ITR और TDS सर्टिफिकेट में इन्कम, छूट या कटौती (exemption or deductions) में कोई रिलेशन नजर न आए. मतलब करदाता ITR में कुछ और भरे और उसका TDS सर्टिफिकेट कुछ और ही कहानी बयां कर रहा हो.

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सेक्शन 142(1) के तहत


यह नोटिस तब दिया जाता है जब निर्धारण अधिकारी (Assessing Officer) को ITR पर करदाता से कोई अतिरिक्त जानकारी की आवश्यकता होती है. इसे तब भी भेजा जा सकता है जब करदाता किसी वर्ष में आईटीआर दाखिल नहीं करता है, लेकिन पिछले वर्षों के आधार पर, असेसिंग ऑफिसर ITR दाखिल करने की मांग करता है. धारा 142(1) के तहत नोटिस का जवाब नहीं देने पर 10,000 रुपये का जुर्माना या कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है.


धारा 156 के तहत


इस धारा के तहत, I-T विभाग एक डिमांड नोटिस भेजता है. इस नोटिस के जरिए पेनल्टी, जुर्माना या टैक्स मांगा जाता है, जोकि टैक्सपेयर को अदा करना होता है. नोटिस मिलने के 30 दिनों के अंदर आपको देय राशि (Due Amount) का भुगतान कर देना चाहिए.

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सेक्शन 143(2) के तहत


यह केवल एक सूचना नहीं है. यह एक स्क्रूटनी ऑर्डर है, मतलब जांच के लिए आदेश है. आयकर विभाग तब इस तरह का ऑर्डर देता है जब किसी ने ITR में आय को काफी कम हो या फिर नुकसान को बहुत अधिक बताए जाने संबंधित कोई गड़बड़ मिलती है.