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Income Tax : आयकर विभाग इस तरीके से ट्रैक करता है सभी लेनदेन, जानकर हैरान रह जाओगे

Income Tax Rules : छोटे-बड़े लेन-देनों सभी पर आयकर विभाग की कड़ी नजर होती है। आईअीआर में कोई भी गलत जानकारी शामिल करने या अन्य कारणों के चलते आयकर विभाग  कड़ी कार्यवाई का अधिकार रखता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आयकर विभाग (Income Tax Rules ) किस तरीके से लेनदेन को ट्रेक  करता है। आज हम आपको इस खबर में आयकर विभाग कैसे काम करता है, इस बारे में जानकारी देने वाले हैं।

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Income Tax : आयकर विभाग इस तरीके से ट्रैक करता है सभी लेनदेन, जानकर हैरान रह जाओगे

HR Breaking News (ITR Filing Rules) अगर आपकी आय टैक्स विभाग के अंतर्गत आती है तो आपके लिए इनकम टैक्स भरना जरूरी है। आयकर विभाग द्वारा हर एक छोटी बड़ी ट्रांजेक्शन पर कड़ी नजर रखी जाती है।

 

अगर आप भी आईटीआर भरते (ITR Filling Rules) हैं तो आपके मन में यह सवाल तो जरूर आता होगा कि आखिर कैसे आयकर विभाग हमारी कमाई को ट्रैक करता है। आइए जानते हैं इस बारे में।

 

 

बीते वर्ष कितने लोगों ने फिल किया था आईटीआर
 

वैसे तो फाइनेंशियल ईयर 2023-24 (Financial Year 2023-24) के आंकड़ों के मुताबिक भारत के 6।68 प्रतिशत लोगों ने इनकम टैक्स (Income Tax) को फिल किया था।

 

अगर आप आईटीआर में कोई गड़बड़ी करते पाए जाते हैं तो इसी डाटा के आधार पर आपके खिलाफ आईटीआर जांच कर सकता है और अगर दोषी पाए जाते हैं तो आपको मोटी जुर्माना भी देना पड़ सकता है। 

कौन देता है आयकर विभाग को जानकारी
 

एक्सपर्ट का कहना है कि वित्तीय लेन-देन की जानकारी का स्त्रोत बैंक है। आयकर विभाग (Income Tax Department) बैंकों के जरिए ही आपकी कमाई और आपके खर्चों पर नजर गड़ाए रखता है। नियमों के अनुसार सभी बैंकों को कुछ जरूरी और खास लेनदेन की जानकारी आयकर विभाग को देना बेहद जरूरी है। जैसे कि -

अगर आप सेविंग अकाउंट  (Savings Account) में 10 लाख रुपये से अधिक का कैश डिपॉजिट करते हैं तो बैंक इसकी सूचना इनकम टैक्स को देता है। वहीं, करंट अकाउंट से  50 लाख रुपये से ज्यादा की नकद जमा या विड्रॉ करने पर बैंक आयकर विभाग (ITR Rules Updates) को इसकी जानकारी देता है। इसके अलावा 10 लाख ज्यादा की नकद FD या फिर RD कैश में कराते हैं तो बैंक इसकी सूचना इनकम टैक्स विभाग को देता है।


कितने लेन-देन पर देनी होती है जानकारी
 

एक्सपर्ट का कहना है कि जो व्यक्ति टैक्स के दायरे के अंतर्गत आता है, वह किसी भी प्रकार की वस्तु या सेवा की बिक्री के लिए भुगतान के रूप में 2 लाख रुपये से ज्यादा का कैश देता या लेता है तो उसकी सूचना आयकर विभाग (Income Tax Department)को देनी होती है।

उनका कहना है कि सभी जानकारी मिलने के बाद आयकर विभाग जांच (Income Tax Department Investigation) करता है कि आपने जो लेन-देन किया है, वो आपकी इनकम के अनुरूप है या नही। अगर इसमे कुछ गड़बड़ी पाई जाती है तो इनकम टैक्स से जुड़े व्यक्ति या संस्था को इसकी नोटिस भेजता है और इसका जवाब मांगा जाता है।


किस कारणवश भेजा जाता है नोटिस
 

हम एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं। जेसे कि अगर कोई व्यक्ति अपने करंट अकाउंट से 1 करोड़ रुपये से अधिक कैश विड्रॉ (Cash Withdraw Rules) करता है, लेकिन उसका बिजनेस लॉस में चल रहा है और वह नियम के अनुसार टैक्स का भुगतान नहीं कर रहा है तो उसे कंप्यूटर असिस्टेड स्क्रूटनी सिलेक्शन (Computer Assisted Scrutiny Selection) के तहत नोटिस भेजा जा सकता है।

कैसे बच सकते हैं इनकम टैक्स के नोटिस से 
 

उन्होंने आईटीआर को ठीक तरीके से फिल करने और इनकम टैक्स की नोटिस से कैसा बचा जाए, इस बारे में भी जानकारी दी है। उनका कहना है कि एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट में आपके हर एक फाइनेंसियल एक्टिविटी की जानकारी होती है। जैसे बड़े ट्रांजैक्शन, प्रॉपर्टी खरीद और इन्वेस्टमेंट आदि।

अगर आपने जो आईटीआर भरा है, उस ITR में दी गई जानकारी AIS से मैच नहीं करती तो इसके खिलाफ इनकम टैक्स सख्त कार्रवाई कर सकता है। ऐसा होने पर आयकर विभाग जुर्माना, बकाया टैक्स पर ब्याज तो लगाएगा ही और साथ ह आपके खिलाफ कानूनी जांच हो सकती है।


आईटीआर को सही तरीके से भरने के नियम
 

जब भी आईटीआर भर रहे हैं तो ITR (Income Tax Return ) भरने से पहले AIS और फॉर्म 23AS को सबसे पहले चे करें। इन दोनों का सही तरीके से मिलान करें।  अगर दोनों में फर्क है तो उसे सही करें।  इसके साथ ही अपने सभी इनकम सोर्स को सही बताएं।

खासकर ऐसे इनकम सोर्स को जरूर बताएं जो फॉर्म 26AS में मेंशन नहीं हैं। कई करदाता (rules for taxpayers)  ऐसे होते हैं, जो सिर्फ TDS वाली आय ही दिखाते हैं और बाकी अन्य कमाई गई इनकम के बारे में नहीं बताते हैं। 


इसके अलावा  अपनी बैंक स्टेटमेंट, किराए की रसीदें, लीज एग्रीमेंट, निवेश रिकॉर्ड, और लोन के पेपर को सुरक्षित रखें और तैयार रखें, क्योंकि जरूरत पड़ने पर इन्हें दिखाना पड़ा सकता है।अगर आप आईअीआर भरते समय इन आसान नियमों (Rules Of ITR Filling) का पालन कर अपने ITR को सटीक रख सकते हैं और आयकर  विभाग की जांच से बच सकते हैं।