Loan Settlement Rule : बैंक से लोन सेटलमेंट करने को ना समझ लें राहत, लोन लेने वाले पहले जान लें इसके नुकसान
HR Breaking News : (Loan Settlement Rules)। लोन की ईएमआई चुकाने में असमर्थ होने पर लोनधारकों को बैंक (bank Loan EMI ) की ओर से की जाने वाली कई तरह की कार्रवाई का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उनकी परेशानी बढ़ने लगती है और कई लोग इस स्थिति में राहत पाने के लिए अक्सर लोन सेटलमेंट का रास्ता अपनाते हैं।
लोन सेटलमेंट के बाद वे लोन चुकाने में कुछ हद तक कामयाब भी हो जाते हैं, लेकिन इस कदम के उठाने से उन्हें कई तरह का नुकसान भी होता है। इसके परिणाम देरी से सामने आते हैं, आइये जानते हैं लोन सेटलमेंट (effects of Loan Settlement) के कारण लोनधारक को क्या हानि होती है।
क्या है लोन सेटलमेंट -
लोन सैटलमेंट (Loan Settlement) एक समझौता या प्रक्रिया है है, जो लोन लेने वाला व्यक्ति लोन की पूरी राशि चुकाने में असमर्थ होने पर अपनाता है। बैंक या लोन देने वाली संस्था भी इस स्थिति में लोन सेटलमेंट का ऑप्शन ग्राहक को अपनी बची खुची लोन राशि रिकवर (loan recovery rules) करने के लिए देती हैं। इस प्रक्रिया में लोनधारक बकाया लोन की राशि का कुछ हिस्सा चुकाकर लोन को बंद करता है। यही लोन सेटलमेंट करना कहलाता है।
पूरी लोन राशि चुकाने से मिलता है छुटकारा-
लोन सेटलमेंट में पूरी लोन राशि चुकाने (loan repayment rules) के बजाय कम राशि चुकानी पड़ती है। बैंक भी लोन ईएमआई चुकाने में असमर्थ रहने वाले लोनधारकों के अनुरोध पर लोन सेटलमेंट के लिए तैयार हो जाता है। इसे वन टाइम सेटलमेंट (one time Settlement) भी कहा जाता है।
लोन सेटलमेंट से होने वाला नुकसान -
लोन सेटलमेंट (Loan Settlement demerits) करना बेशक राहत भरा लगता हो लेकिन इसके कई नुकसान हैं। लोन सेटलमेंट परमानेंट समाधान नहीं है, इसे लोन क्लोजर नहीं माना जाता। यह तो एक विकल्प या तरीका है जो बैंक (loan settlement process) अपने लोन के फंसे हुए पैसे निकालने के लिए यूज करते हैं।
लोन मिलने की संभावना होती है खत्म-
एक बार लोन सेटलमेंट (loan settlement letter) कर लिया तो आपकी क्रेडिट हिस्ट्री में 'सेटल' लिख दिया जाता है। बैंक की ओर से ग्राहक की क्रेडिट रिपोर्ट बनाकर सिबिल एजेंसी के पास भेजी जाती है। इससे सिबिल स्कोर खराब होता है और बैंक समझते हैं कि ग्राहक की आर्थिक स्थिति सही नहीं है और वह लोन या ईएमआई चुकाने में सक्षम नहीं है। इस कार भविष्य में भी बैंक ऐसे ग्राहक को लोन (loan settlement ke nuksan) देने से कतराते हैं। ग्राहक का यह पूरा डेटा सभी बैंकों व अन्य लोन प्रदाताओं के पास पहुंच जाता है।
इतना गिर जाता है सिबिल स्कोर-
एक बार लोन सेटलमेंट (loan settlement rules) कर लिया तो सिबिल स्कोर 100 अंक तक गिर जाता है। अगर बड़ी लोन राशि के लिए लोन सेटलमेंट करते हैं तो सिबिल स्कोर और अधिक गिर जाता है। इसके बाद यह आंकड़ा क्रेडिट हिस्ट्री (credit history) में सात साल तक बना रहता है यानी अगले सात साल तक आप लोन के लिए वंचित रह सकते हैं। लोन सेटलमेंट का एक फायदा यह हो सकता है कि लोनधारक को वसूली के लिए घर आने वाले रिकवरी एजेंटों (rules for recovery agent) से छुटकारा मिल जाता है।
इस स्थिति में कौन सा विकल्प बेहतर-
अगर आप लोन सेटलमेंट (loan settlement) का ऑप्शन नहीं चुनते हैं तो फिर क्या करें? यह भी एक बड़ा सवाल है, आप इसे चुनने से बचें और कोई अन्य उपाय नहीं है तो ही लोन सेटलमेंट करें। आप यह भी विचार कर सकते हैं कि आपके पास कब तक पैसों का प्रबंध हो जाएगा और लोन या ईएमआई (loan EMI) चुका पाएंगे। अगर सही समय पर पैसों का प्रबंध होता है तो लोन सेटलमेंट से बचें। पैसों का प्रबंध होता दिख रहा है तो आप बैंक अधिकारी से मिलकर बची अमाउंट की किस्त बनवाने की रिक्वेस्ट कर सकते हैं। इससे आपका सिबिल स्कोर (cibil score news) भी गिरने से बच जाएगा।
ऐसे सुधारें सिबिल स्कोर-
अगर आप लोन सेटलमेंट कर भी लेते हैं और इस कारण गिरे हुए सिबिल स्कोर (cibil score) को सुधारना चाहते हैं तो भी आपके पास विकल्प है। इसके लिए आपको कुछ कारगर कदम उठाने होंगे। सबसे पहले तो आपको आर्थिक रूप से समृद्ध होना पड़ेगा, जब आपके पास पैसों का प्रबंध हो जाए तो बैंक (bank news) में जाकर आप बकाया राशि, ब्याज, पेनाल्टी व अन्य चार्जेज का भुगतान कर दें। इससे आपका लोन क्लोज करके बैंक से नो ड्यूज सर्टिफिकेट (Loan NOC) ले लें और सिबिल स्कोर अपडेट करा लें। इससे आपका सिबिल स्कोर सुधर जाएगा।
