home page

Property Document : रजिस्ट्री कराने से आप नहीं बन जाएंगे मालिक, प्रोपर्टी के मालिकाना हक के लिए सबसे जरूरी हाेता है ये डॉक्यूमेंट

why mutation is important of property : आप अगर भी कोई प्रॉपर्टी (Property Purchase) खरीदने जा रहे हैं तो ये बेहद जरूरी है कि उसकी अच्छे से जांच पड़ताल कर लें। प्रॉपर्टी के मालिकाना हक और कागजात (Property Document) की भी जांच पड़ताल जरूरी है। मकान, दुकान या फिर जमीन जैसी अचल संपत्ति पर मालिकाना हक साबित करने के लिए रजिस्ट्री (Property Registry) एक बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज है।  लेकिन केवल इसी के दम पर खरीदार को प्रोपर्टी का मालिकाना हक मिल जाए, ऐसा भी नहीं होता है।  इसके लिए आपको एक और दस्तावेज की आवश्यकता होती है। आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से...

 | 

HR Breaking News (नई दिल्ली)।  हर किसी का अपने सपनों का घर खरीदना का सपना होता है। अधिकत्तर लोग घर बनाने के लिए जिंदगी भर की पूंजी (Savings) लगा देते हैं।  अगर आप भी कोई घर या प्रॉपर्टी खरीदने की सोच रहे हैं तो ये खबर आपके लिए ही है।  नई प्रॉपर्टी खरीदते (Property Buying) वक्त कुछ जरूरी बातों का खास ख्याल रखना जरूरी है। 

कई बार छोटी सी गलती के कारण लोग फ्रॉड का शिकार हो जाते हैं। एक आंकड़ें के अनुसार देश की अलग-अलग अदालतों में करीब 4.5 करोड़ केस चल रहे हैं, इनमें से बड़ी संख्या में प्रॉपर्टी से जुड़े मामले भी हैं।  ऐसे में घर या कोई भी प्रोपर्टी खरीदते समय कुछ सावधानियां है, जिनको ध्यान में रखकर हम कई मुश्किलों में पड़ने से बच सकते हैं।  इनमें प्रॉपर्टी के पेपर्स (Property Document) की जांच करना भी बहुत जरूरी है।

भले ही रजिस्ट्री घर-जमीन के संबंध में बुहत महत्वपूर्ण कागजात हो लेकिन यह आपको प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक दिलाना सुनिश्चित नहीं करता। अक्सर लोग प्रोपर्टी की रजिस्ट्री कराने के बाद निश्चिंत हो जाते हैं। वो प्रॉपर्टी खरीदते समय भी सबसे ज्यादा फोकस रजिस्ट्री के कागजातों पर ही रखते हैं।  हालांकि, म्यूटेशन कराना भी उतना ही जरूरी है जितना की रजिस्ट्री। इसका मतलब होता नामांतरण है।

 

 

 


आपको अगर लगता है कि रजिस्ट्री करा लेने भर से ही प्रॉपर्टी आपकी हो जाएगी तो आप गलतफहमी में हैं। आने वाले समय में किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए जरूरी है कि आप उसका नामंतरण यानी म्यूटेशन (Property Mutation) जरूर चेक कर लें। आपको ये भी पता होना चाहिए कि केवल सेल डीड से नामांतरण नहीं हो जाता है। 

 

 

 


बिना नामांतरण के प्रोपर्टी नहीं होती आपके नाम


नामांतरण और सेल डीड दो अलग-अलग चीजें हैं। आमतौर पर लोग सेल और नामांतरण को एक ही समझते हैं। ऐसा समझा जाता है कि रजिस्ट्री करवा ली और प्रोपर्टी अपने नाम हो गई जबकि यह ठीक नहीं है। किसी भी प्रोपर्टी का जब तक नामांतरण नहीं किया जाता है तब तक कोई भी व्यक्ति अपनी नहीं मान सकता भले ही उसने रजिस्ट्री करवा ली हो। फिर भी संपत्ति उसकी नहीं मानी जाती क्योंकि नामांतरण तो किसी दूसरे व्यक्ति के पास है।

कैसे करवाएं नामांतरण


अचल संपत्ति मुख्य रूप से 3 प्रकार की होती है। पहली खेती की जमीन (Farming Property) , दूसरी आवासीय जमीन (Residential Property), तीसरी औद्योगिक जमीन (Industrial Property) इस जमीन के साथ मकान भी सम्मिलित हैं। इन तीनों ही प्रकार की जमीनों का नामांतरण अलग-अलग प्रकार से अलग-अलग स्थानों पर किया जाता है। जब भी कभी किसी संपत्ति को सेल डीड के माध्यम से खरीदा जाए या फिर किसी अन्य साधन से अर्जित किया जाए तब उस डॉक्यूमेंट के साथ संबंधित कार्यालय पर उपस्थित होकर संपत्ति का नामांतरण करवा लेना चाहिए।

जानिये, कहां से मिलती है पूरी जानकारी


जो जमीन खेती की जमीन के रूप में दर्ज होती है ऐसी जमीन का नामांतरण उस हल्के के पटवारी द्वारा किया जाता है।  आवासीय जमीन का नामांतरण कैसे किया जाए। आवासीय भूमि से संबंधित सभी दस्तावेजों का रिकॉर्ड उस क्षेत्र की नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद या फिर गांव के मामले में ग्राम पंचायत के पास होता है।  वहीं औद्योगिक जमीन का रिकॉर्ड औद्योगिक विकास केंद्र जो प्रत्येक जिले में होता है उसके समक्ष रखा जाता है ऐसे औद्योगिक विकास केंद्र में जाकर ये जांच करनी चाहिए। 

अगर आप भी जमीन, मकान या फ्लैट खरीदना चाहते हैं तो एक जानकरी और आपको होनी चाहिए। ताकि बाद में आपको जमीन की रजिस्ट्री जैसे घोटालों का सामना ना करना पड़े। बहुत बार देखा गया है कि कई डीलर सरकारी जमीन (Government Land) की दो-दो रजिस्ट्री करवाकर लोगों को ठगते हैं। तो ऐसे में आपको जमीन के असली और नकली रजिस्ट्री के डॉक्यूमेंट में फर्क जरूर पता होना चाहिए।  बता दें कि भारत में जमीन की खरीद-बिक्री एक कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत होती है। लेकिन, बहुत से फर्जी करने वाले शातिर, लोगों के जमीन खरीदने की समझ में कमी का फायदा उठाते हुए उनसे धोखाधड़ी करते हैं।  ऐसे में जमीन की रजिस्ट्री के दौरान आपको इन बातों पर ध्यान देना चाहिए।


ऐसे चेक करें असली-नकली रजिस्ट्री


बहुत से लोग जमीन की रजिस्ट्री (Property Registry) के समय सिर्फ खतौनी के डॉक्यूमेंट ही चेक करते हैं। लेकिन, आपको इसके अलावा भी जमीन के सभी डॉक्यूमेंट की जांच कर लेना चाहिए क्योंकि इन दस्तावेजों से जमीन के असली मालिक के बारे में पता नहीं चल पाता है।  इसके लिए आपको सबसे पहले जमीन की रजिस्ट्री की नई और पुरानी रजिस्ट्री जरूर चेक करनी चाहिए। अगर उस व्यक्ति ने वो जमीन किसी और से खरीदा है तो उसके पास उस जमीन को बेचने का कानूनी अधिकार है।  

ये 7 डॉक्यूमेंट भी करें चेक


इसके अलावा भी कुछ कागजात हैं जो आपको चेक करने चाहिए। कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले विक्रेता के टाइटल और ओनरशिप का वेरिफिकेशन करना बहुत जरूरी है।
चेनल डाक्यूमेंट (Channel Document): चेनल डाक्यूमेंट को भी चेक करना बेहर जरूरी है।  चैनल डाक्यूमेंट का मतलब होता है X ने Y को बेची, Y ने Z को प्रोपर्टी बेची।  इस दौरान जो भी डील बनती है उसमें सबका विचारनाम बनता है। यानी किसको कहां से मिली इन सबका हवाला होना जरूरी है। 


एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate) : यह सर्टिफिकेट आपको बताता है कि जो प्रॉपर्टी को खरीद (Property Buy) रहे हैं उस पर कोई मोर्टगेज, बैंक लोन या कोई टैक्स तो पेडिंग नहीं है।  इसके अलावा कोई पेनाल्टी तो नहीं है ये जानकारी मिलती है। इसके अलावा रजिस्ट्रार के ऑफिस जाकर आप फॉर्म नंबर 22 भरकर जानकारी ले सकते हैं।


ऑक्यूपॅन्सि सर्टिफिकेट (Occupancy Certificate) : अऑक्यूपॅन्सि सर्टिफिकेट एक अहम कागजात हैं, जिसे बिल्डर से जरूर लेना चाहिए। अगर बिल्डर इसे नहीं देता तो खरीददारों को यह अधिकार है कि वो डिवेलपर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं। 


पजेशन लेटर : डिवेलपर खरीददार के हक में पजेशन लेटर जारी करता है, जिसमें प्रॉपर्टी पर कब्जे (Property Possession) की तारीख होती है।  होम लोन पाने के लिए इस दस्तावेज की असली कॉपी को पेश करना पड़ता है।  जब तक ओसी हासिल नहीं किया जाएगा, तब तक पोजेशन लेटर अकेले प्रॉपर्टी पर कब्जे के लिए काफी नहीं है।


मॉर्गेज : मॉर्गेज या गिरवी रखना एक प्रकार का ऋण है जिसका उपयोग उधारकर्ता किसी मकान की खरीद या रखरखाव या रियल एस्टेट के अन्य रूपों में करता है।  साथ ही समय के साथ इसका भुगतान करने पर सहमति जताता है। प्रॉपर्टी, लोन सिक्योर करने में कोलैटरल के रूप में काम करती है।


टैक्स पेमेंट का स्टेटस : प्रॉपर्टी टैक्स नहीं चुकाने से संपत्ति पर शुल्क लगता है, जिससे उसकी मार्केट वैल्यू (च्roperty Market Value) पर असर पड़ता है।  इस कारण प्रोपर्टी खरीददार को स्थानीय म्युनिसिपल अथॉरिटी में जाकर यह देख लेना चाहिए कि विक्रेता ने प्रॉपर्टी टैक्स में कोई डिफॉल्ट तो नहीं कर रख है।