home page

property knowledge : प्रोपर्टी में पत्नी, बच्चों और मां-बाप का कितना हक, जानिये प्रोपर्टी से जुड़े हर जरूरी सवाल के जवाब

property rights : अलग-अलग तरह की प्रोपर्टी पर अलग-अलग अधिकारों को लेकर कानून में प्रावधान किए गए हैं। प्रोपर्टी के अधिकतर मामले व विवाद पत्नी, बच्चों व मां-बाप के हक को लेकर सामने आते हैं। कुछ विवाद ऐसे भी होते हैं जिनमें प्रोपर्टी के मालिक (property nominee rights) का निधन हो जाता है और उस प्रोपर्टी का नॉमिनी कोई एक या अन्य पर्सन होता है। ऐसे में ये सवाल खड़े होते हैं कि इन सगे-संबंधियों और नॉमिनी में से उस प्रोपर्टी पर किसका कितना अधिकार होता है। इन्हीं सवालों के जवाब जानिये इस खबर में।

 | 
property knowledge : प्रोपर्टी में पत्नी, बच्चों और मां-बाप का कितना हक, जानिये प्रोपर्टी से जुड़े हर जरूरी सवाल के जवाब

HR Breaking News - (property rights news)। प्रोपर्टी के कुछ मामले ऐसे होते हैं, जिनमें लोग अपने-अपने हक को लेकर जद्दोजहद करते रहते हैं और विवाद के सिवा कोई निर्णय नहीं निकलता। खासकर ऐसा तब होता है, जब प्रोपर्टी (property rights in law) के मालिक का निधन हो जाए और मृतक ने कोई वसीयत भी न लिखी हो।

ये भी जानें : सिबिल स्कोर को लेकर बदले नियम, RBI गवर्नर ने किया ऐलान

ये मामले तब और भी ज्यादा उलझ जाते हैं जब मृतक की प्रोपर्टी का कोई नॉमिनी बनाया गया हो। ऐसे में मृतक की प्रोपर्टी में उसकी पत्नी, मां-बाप व बच्चे हक (pita ki property par bacho ka hak) जता सकते हैं या नहीं, यह अहम सवाल है। इसी तरह के कुछ सवालों के जवाब आप विशेषज्ञों के दिए जवाब से जान सकते हैं।

 

इन सवाल-जवाब से जानिये प्रोपर्टी में हक होने का प्रावधान-

 

 

 

सवाल - मेरे भाई ने अपने द्वारा खरीदी गई प्रॉपर्टी में मां को नॉमिनी के रूप में चयनित किया था। बाद में बिना कोई वसीयत लिखे भाई की मौत हो गई। ऐसे में क्या उनकी पत्नी उस प्रोपर्टी में हक ले सकती है?

 

जवाब - अगर किसी प्रोपर्टी के असली मालिक का किसी कारण से निधन हो जाता है तो नॉमिनी को मृतक की संपत्ति उस प्रोपर्टी पर कानूनी अधिकार (Legal provisions of property) रखने वाले मालिक को हर हाल में ट्रांसफर करनी होगी। इसका कारण यह है कि नॉमिनी संपत्ति उस संपत्ति के लिए देखभाल कर्ता यानी केयर टेकर की भूमिका में होता या फिर ट्रस्टी के रोल में, लेकिन वह उस प्रोपर्टी का कानूनी मालिक नहीं हो सकता।

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) के अनुसार बिना वसीयत लिखे संपत्ति के मालिक के निधन होने पर वह संपत्ति इसी अधिनियम की  धारा 10 के अनुसार बांटी जाती है। इसमें मृतक की पत्नी का भी हक होता है। इसके अलावा लिनियल डिसेंडेंट यानी प्रत्यक्ष वंशज का भी हक होता है। अगर प्रत्यक्ष वंशज नहीं है तो दूसरी श्रेणी के उत्तराधिकारी यानी कोई नजदीकी है तो उसका भी आधा हक होता है। इतना ही नहीं मृतक की प्रोपर्टी पर मां का भी हक (mother's property rights) होता है और वह आधे हिस्से की हिस्सेदार होती है।

 

ये भी जानें : wheat price : हाईलेवल पर पहुंचे गेहूं के अधिकत्तम दाम, रोटी हुई महंगी 

सवाल - मेरे भाई के कोई बच्चे नहीं हैं और उनकी मौत हो चुकी है। उन्होंने म्यूचुअल फंड और ईपीएफ में निवेश किया हुआ है और नॉमिनी में माता-पिता का नाम है। इसमें मेरे भाई की पत्नी का कोई हक है या नही?

जवाब : वैसे तो किसी भी तरह की प्रोपर्टी में नॉमिनी केवल केयर टेकर के रूप में ही भूमिका निभाते हैं। वह सीधे तौर पर प्रोपर्टी पर कानूनी हक (legal rights in law) नहीं जता सकता। ईपीएफ (EPF rules) से मिलने वाली राशि पर मां-बाप का भी हक होता है और वसीयत न लिखे जाने की स्थिति में पत्नी का हक भी होता है। बिना वसीयत लिखे व्यक्ति की मौत हो जाती है तो म्यूचुअल फंड (mutual fund investment) से मिलने वाली राशि पर सभी कानूनी उत्तराधिकारियों का हक (legal heirs rights) होता है। यानी उनकी पत्नी भी हक रखती है और दावा भी जता सकती है।

 

सवाल - कुछ साल पहले, मेरे पिता ने मेरे और मेरे भाई के नाम पर एक फ्लैट खरीदा था। जिसे मैंने हमारे पिता के निधन के बाद अपने भाई को पैसे देकर अपने नाम करवा लिया। जिसे ध्यान में रखते हुए हाउसिंग सोसायटी ने भी मेरे नाम पर शेयर सर्टिफिकेट जारी किया। अब मैं अपने परिवार के साथ इस फ्लैट में रहता हूं और मेरी दो बेटियां हैं। चूंकि यह संपत्ति (property rights news) मेरे पिता की थी, तो उनके निधन के बाद मुझे इसके 50 प्रतिशत हिस्से का अधिकार मिला है। मेरा सवाल यह है कि क्या मैं इस हिस्से का आधा हिस्सा अपनी एक बेटी को दे सकता हूं या नहीं?

 

 

उत्तर - यदि प्रॉपर्टी का डीड (legal Property deed) कानूनी तरीके से जारी किया गया है और उसे बाकायदा रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के तहत रजिस्टर किया गया है, तो आप उस संपत्ति के वैध मालिक माने जाएंगे। इसका मतलब है कि अब वह आपकी व्यक्तिगत संपत्ति (self acquired property) बन गई है और आप इसका कोई भी हिस्सा किसी भी व्यक्ति को देने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। यानी आप अपनी बेटी को उसमें हिस्सा दे सकते हैं।