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EMI भरने वालों को RBI ने दी बड़ी राहत, 1 तारीख से नए नियम लागू

RBI Guidelines for loan EMI : अब 1 अप्रैल से नया फाइनेशिंयल ईयर शुरू हो रहा है और नए साल की शुरुआत से पहल ही आरबीआई ने लोन की ईएमआई भरने वालो के लिए राहत भरी खबर सुनाई है। आरबीआई (Reserve bank of india)की ओर से बैंक लोन डिफॉल्ट पर पेनाल्टी से जुड़े नए नियम लागू किए जाएंगे, जो 1 अप्रैल से प्रभावी होंगे। इसका फायदा कई लोनधारको को मिलेगा। आइए खबर के माध्यम से जानते हैं आरबीआई के इन नियमो के बारे में।
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EMI भरने वालों को RBI ने दी बड़ी राहत, 1 तारीख से नए नियम लागू

HR Breaking News - (Loan EMI) । आरबीआई की ओर से लोनधारको की राहत के लिए भी कई तरह के नियम लागू किए जाते हैं। आरबअीआई की ओर से ये  नए नियम लोन पेमेंट्स में चूक या अन्य लोन नियमों को तोड़ने के लिए उधारकर्ताओं से वसूली जाने वाली पेनाल्टी (loan penalty Charges) को लेकर बनाए गए हैं। इससे लोनधारको को राहत मिलेगी। ये नए 1 अप्रैल से लागू होंगे। आइए खबर के माध्यम से जानते हैं आरबीआई के इन नए नियमो के बारे में।

 

 

जानिए क्या है आरबीआई के नए नियम-


आरबीआई के नए दिशा-निर्देशों (RBI Guidelines) के तहत बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को पेनल इंटरेस्ट वसूलने पर रोक लगा दी गई है, ये ग्राहकों पर तब लगाया जाता है। जब समान मासिक किस्तों (EMI) के भुगतान में देरी होती है। हालांकि, आरबीआई (RBI new rules on loan emi) की ओर से लोनदाता को पेनाल्टी चार्ज लगाने की अनुमति दे दी गई है। बस बैंक को यह निश्चित करना चाहिए किइन चार्जेज (RBI new Guidelines penalty rates) को लोन अमाउंट में नहीं जोड़ना चाहिए या उस पर ज्यादा ब्याज दरों की केलकुलेशन नहीं करनी चाहिए।

रेवेन्यू बढ़ाने के लिए नहीं लगाना चाहिए चार्ज-


आरबीआई का कहना है कि पेनल ब्याज (RBI Penalty Charge ) और चार्ज इसलिए लगाया जाता है ताकि लोन अनुशासन बना रह सकें, लेकिन अगर इन चार्ज का यूज रेवेन्यू बढ़ाने के लिए किया जाए तो यह गलत होगा। केंद्रीय बैंक की रिव्यू (RBI Revenue)में यह देखा गया है कि बैंक और फाइनेंस कंपनियां अपनी आय को बढ़ाने के लिए ग्राहकों पर ये जुर्माना (Penalty Rates) और चार्ज लगाते हैं, जिससे ग्राहकों को परेशानी होती है और उनके शिकायतें और विवाद होते हैं।

पेनल चार्ज ओर पेनल ब्याज में अंतर-


आप भी जानते होंगे कि डिफॉल्ट या नॉन-कंप्लायंस के मामले में लेंडर्स पेनाल्टी वसूलते हैं, जो फिक्स्ड चार्ज (Fixed Charge )यानी पेनल चार्ज या ज्यादा ब्याज यानी की पेनल ब्याज (Penalty Charge on Loan Account)  के रूप में होते हैं। अगर बात करें पेनल चार्ज की तो ये एक निश्चित भुगतान चार्ज है, जिसे इसे ब्याज में नहीं जोड़ा जाता है। वहीं, इसके विपरित पेनल ब्याज ग्राहक से जो मौजूदा ब्याज दर ली जाती है, उसमे में जोड़ी जाने वाली दर है। इन दोनों के चार्जेज वसूलने के अपने नियम है। जिनका ग्राहकों को पालन करना चाहिए।