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RBI Governor : आने वाले थे 5 हजार और 10 हजार के नोट, इस कारण अटका मामला

भारतीय रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये नोटों को चलन से बाहर करने का काम शुरू कर दिया है. इसी के साथ एक कहानी फिर चर्चा में है कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन देश में ₹5000 और ₹10000 के नोट क्यों लाना चाहते थे. आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
 
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RBI Governor : आने वाले थे 5 हजार और 10 हजार के नोट, इस कारण अटका मामला

HR Breaking News (नई दिल्ली)। भारत में अभी सबसे बड़ा नोट ₹2000 रुपये का है. आरबीआई ने अब इसे चलन से बाहर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और देशभर में इन नोटों को बदला जा रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आजादी से पहले और बाद में एक दौर ऐसा भी रहा जब देश में सबसे बड़ा नोट ₹10000 का था, और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी 5,000 और 10,000 रुपये का नोट लाने की इच्छा रखते थे. आखिर क्या थी वजह?

 

 

रघुराम राजन को मनमोहन सरकार में आरबीआई गवर्नर बनाया गया था. वह 2013 से 2016 तक इस पद पर बने रहे. हालांकि उम्मीद की जा रही थी कि उन्हें दूसरा कार्यकाल मिलेगा, लेकिन मोदी सरकार ने उनकी जगह उर्जित पटेल को नया गवर्नर नियुक्त किया.

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राजन का था ₹10000 का नोट लाने का प्लान


भारतीय रिजर्व बैंक ने संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) को दी सूचना में बताया था कि रघुराम राजन के गवर्नर रहते अक्टूबर 2014 में 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोट हो लाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था. इसकी वजह उस वक्त मौजूद 1,000 रुपये के सबसे बड़े नोट की महंगाई के चलते वैल्यू खत्म होना थी.


हालांकि इस प्रस्ताव पर आगे नहीं बढ़ा गया. बल्कि 18 महीने बाद मई 2016 में सरकार ने आरबीआई को सूचना दी कि वह 2000 रुपये मूल्य की नई नोट सीरीज को लॉन्च करने के ‘सैद्धांतिक रूप से पक्ष’ में है. वहीं जून 2016 में ही 2000 रुपये के नए नोटों की छपाई के आदेश दे दिए गए.

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तब देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली थे. उन्होंने कहा था कि सरकार ने ₹5000 और ₹10000 के नोट छापने के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया है. बल्कि तत्काल प्रभाव से मुद्रा की अदला-बदली करने के लिए ₹2000 के नोट छापने पर सहमति बनी है.

राजन ने माना बढ़ जाती नकली करेंसी


इस आइडिया को लेकर बाद में रघुराम राजन ने स्वीकार किया कि बड़ी राशि का नोट अर्थव्यवस्था में होने से इनके नकली नोट चलन में आने की संभावना ज्यादा थी. इससे इकोनॉमी को नुकसान होता. वैसे भी भारत के पड़ोसी देशों से नकली नोटों के आने की समस्या काफी बड़ी है.

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₹10000 का नोट लाने की ये थी वजह


मनमोहन सिंह की सरकार के समय देश के भीतर रिटेल महंगाई का स्तर 10% को पार कर गया था. इसलिए रघुराम राजन ने ‘बड़े नोट’ लॉन्च करने की योजना बनाई थी. रघुराम राजन जब आरबीआई गवर्नर बने तब देश में महंगाई 10.7 प्रतिशत पर थी, जो उनके पद छोड़ने तक करीब आधी हो गई.
बताते चलें, देश में सबसे पहले ₹10000 का नोट 1938 में लाया गया, जो 1946 तक चलन में रहा. इसके बाद इसे 1954 में दोबारा लॉन्च किया गया और ये 1978 में बंद हुआ.