RBI Rule : क्या बैलेंस मेनटेन नहीं करने पर माइनस में जा सकता है बैंक अकाउंट, जानिए RBI के नियम
RBI Rule : बचत खाते में बैलेंस कम होने पर बैंकों द्वारा चार्ज वसूलना और निगेटिव बैलेंस (negative balance) बनाना विवादास्पद है. RBI की गाइडलाइंस के मुताबिक अगर आपके अकाउंट में मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं है तो बैंक आपके अकाउंट बैलेंस (account balance) को माइनस में नहीं कर सकते हैं... आरबीआई के इस नियम को विस्तार से जानने के लिए इस खबर को पूरा पढ़ लें-

HR Breaking News, Digital Desk- (RBI Rule) बचत खाते में बैलेंस कम होने पर बैंकों द्वारा चार्ज वसूलना और निगेटिव बैलेंस (negative balance) बनाना विवादास्पद है. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve bank of India) के नियम इस प्रकार के व्यवहार को नियंत्रित करते हैं. हाल ही में यस बैंक (yes bank) पर 91 लाख रुपये का जुर्माना (fine) इसलिए लगाया गया, क्योंकि उसने ग्राहकों के खातों को माइनस में किया, जो आरबीआई के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन था.
RBI की गाइडलाइंस के मुताबिक अगर आपके अकाउंट में मिनिमम बैलेंस मेंटेन (minimum balance maintain) नहीं है तो बैंक आपके अकाउंट बैलेंस (account balance) को माइनस में नहीं कर सकते हैं. इससे जुड़े नियमों का पालन नहीं करने के लिए ही हाल में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने यस बैंक पर 91 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. इसे लेकर पूरे नियम क्या हैं? आइए ये जानते है-
बचत खातों में मिनिमम बैलेंस न रखने पर बैंकों द्वारा गलत तरीके से चार्ज नहीं लगाया जा सकता, यह निर्णय पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट (High court) ने स्पष्ट किया है. वकील प्रीथि सिंगला के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने 2014 में इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए थे. इन दिशा-निर्देशों के तहत, बैंकों को किसी भी बचत खाता में मिनिमम बैलेंस न होने पर अकाउंट को माइनस में नहीं करने का आदेश दिया गया है.
ये है RBI के नियम-
आरबीआई के 2014 के सर्कुलर के अनुसार, यदि ग्राहकों का मिनिमम बैलेंस पूरा नहीं होता है, तो बैंकों को तुरंत सूचित करना होगा. बचत खातों में मिनिमम बैलेंस न होने पर ग्राहकों को संभावित फाइन के बारे में जानकारी देना अनिवार्य है. इसके अलावा, बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मिनिमम बैलेंस कम होने पर खाते से पैसे तब तक काटे जा सकते हैं जब तक कि बैलेंस शून्य न हो जाए; इसे माइनस बैलेंस में नहीं बदला जा सकता.
मिनिमम बैलेंस (minimum balance) न रखने पर फाइन लगाने के बजाय, बैंक ऐसे खातों पर उपलब्ध सेवाओं को बंद कर सकते है. वहीं जब बैलेंस (balance) वापस आ जाए तो सेवाएं बहाल कर सकते हैं. साथ ही अगर कोई अपना बैंक खाता बंद (bank closed) करवाना चाहता है तो बैंकों को उसे बिल्कुल फ्री (free) में बंद करना पड़ेगा. यानी बैंक इसके लिए आपसे कोई भी चार्ज नहीं ले सकते हैं.
बेसिक खाता बनाने का ऑप्शन-
बैंकों के पास एक विकल्प होता है कि वे ग्राहकों से अनुमति लेकर उनके खातों को बेसिक बचत खाते में बदल सकते हैं. इस खाते में शून्य बैलेंस (zero balance in account) की सुविधा होती है और ग्राहकों को कुछ सीमित सुविधाएं मिलती हैं. इससे लोग बिना किसी मेंटेनेंस चार्ज के अपने बचत खाते का संचालन कर सकते हैं, जो वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देता है.