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RBI : 25 फिसदी बढ़ गया नोट छापने का खर्च, RBI ने इन 3 नोटों की छपाई की बंद

RBI : कैश जरा संभालकर खर्च करें! दरअसल हाल ही में जारी हुई भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक आपको बता दें कि नोट छापने का खर्च एक सालभर के भीतर 25 प्रतिशत बढ़ गया है... साथ ही आरबीआई की ओर से इन तीन नोटों की छपाई बंद कर दी गई है-

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RBI : 25 फिसदी बढ़ गया नोट छापने का खर्च, RBI ने इन 3 नोटों की छपाई की बंद

HR Breaking News, Digital Desk- (RBI) - कैश संभालकर खर्च करें! क्‍योंकि नोट छापने का खर्च एक सालभर के भीतर 25 प्रतिशत बढ़ गया है. आरबीआई ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया कि वित्तवर्ष 2024-25 में बैंक नोट की छपाई पर होने वाला खर्चा सालाना आधार पर करीब 25 प्रतिशत बढ़कर 6,372.8 करोड़ रुपये हो गया है. इससे पहले वित्तवर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 5,101.4 करोड़ रुपये था. आरबीआई ने बताया कि उसने तीन नोटों की छपाई भी बंद कर दी है.

- आरबीआई (RBI) की 2024-25 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2024-25 के दौरान प्रचलन में मौजूद बैंक नोट का मूल्य एवं मात्रा क्रमशः 6 फीसदी और 5.6 प्रतिशत बढ़ी.

- 2024-25 के दौरान 500 रुपये के बैंक नोट की हिस्सेदारी 86 प्रतिशत रही, जो मूल्य के हिसाब से मामूली रूप से घटी है. इसमें कहा गया है कि मात्रा की दृष्टि से प्रचलन में मौजूद कुल बैंक नोट में 500 रुपये मूल्यवर्ग के नोट की हिस्सेदारी सबसे अधिक 40.9 प्रतिशत रही.

- इसके बाद 10 रुपये मूल्यवर्ग के नोट की हिस्सेदारी 16.4 प्रतिशत रही. कम मूल्यवर्ग के बैंक नोट (10 रुपये, 20 रुपये और 50 रुपये) की प्रचलन में बने कुल बैंक नोट में हिस्सेदारी 31.7 प्रतिशत रही.

बढ़ रहा सिक्‍कों का चलन-
आरबीआई ने मई 2023 में ₹2,000 के नोटों को प्रचलन से हटाना शुरू किया था. 31 मार्च 2025 तक, ₹3.56 लाख करोड़ के कुल नोटों में से 98.2% बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए हैं. वित्तीय वर्ष 2024-25 में, प्रचलन में सिक्कों का मूल्य 9.6% और उनकी मात्रा 3.6% बढ़ी. इसी अवधि में, ई-रुपी का मूल्य भी 334% बढ़ गया.

चलन में कौन-कौन से नोट-
प्रचलन में मौजूद मुद्रा में बैंक नोट, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) और सिक्के शामिल हैं. वर्तमान में दो रुपये, पांच रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये और 500 रुपये के मूल्यवर्ग के नोट प्रचलन में हैं. रिजर्व बैंक अब दो रुपये, पांच रुपये और 2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोट नहीं छाप रहा है. सिक्कों की बात करें तो 50 पैसे और एक रुपये, दो रुपये, पांच रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये मूल्यवर्ग के सिक्के अभी प्रचलन में मौजूद हैं.

5 प्रतिशत जाली नोट पकड़े गए-
जाली नोटों के संबंध में कहा गया कि 2024-25 के दौरान बैंकिंग क्षेत्र में जब्त किए गए कुल जाली भारतीय मुद्रा नोट (एफआईसीएन) में से 4.7 प्रतिशत रिजर्व बैंक में पकड़े गए. वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये और 2000 रुपये मूल्यवर्ग के जाली नोटों में कमी आई. वहीं, 200 रुपये और 500 रुपये मूल्यवर्ग के जाली नोटों में पिछले वर्ष की तुलना में क्रमशः 13.9 और 37.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.

क्‍यों महंगा हुआ नोट छापना-
आरबीआई (Reserve Bank Of India) ने कहा कि वह बैंक नोट के लिए नई/उन्नत सुरक्षा विशेषताएं शुरू करने की प्रक्रिया को सक्रियतापूर्वक आगे बढ़ा रहा है. वह विदेशी स्रोतों पर निर्भरता कम करने के लिए पिछले कुछ वर्षों से बैंक नोट छापने के स्वदेशीकरण पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है.

लगातार प्रयासों के कारण, बैंक नोट छापने के लिए आवश्यक सभी प्रमुख कच्चे माल - जैसे बैंक नोट पेपर, विभिन्न प्रकार की स्याही (ऑफसेट, नंबरिंग, इंटैग्लियो, और रंग बदलने वाली इंटैग्लियो स्याही), और अन्य सुरक्षा-संबंधी वस्तुएं - अब भारत में ही खरीदे जा रहे हैं. इन सभी कच्चे मालों की बढ़ती कीमतें और सुरक्षा प्रणालियों में लगातार हो रहे अपडेट ही नोट छापने की लागत में वृद्धि का मुख्य कारण हैं.