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Salary Account Benefits : सैलरी अकाउंट के फायदे जान चौंक जाएंगे आप, अधिकत्तर लोगों को नहीं है इसकी जानकारी

Salary Account Benefits: आज हम आपको सैलरी अंकाउट से मिलने वाले फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल, जिस अकांउट में कर्मचारियों की तनख्वाह आती है, उसे सैलरी अकाउंट कहा जाता है. और इसके अनेकों फायदे मिलते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में डिटेल से....
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Salary Account Benefits : सैलरी अकाउंट के फायदे जान चौंक जाएंगे आप, अधिकत्तर लोगों को नहीं है इसकी जानकारी

HR Breaking News (नई दिल्ली)। Salary Account Benefits : कई तरह के बैंक अकाउंट्स में एक सैलरी अकाउंट भी होता है. जी हां, वह अकाउंट जिसमें कर्मचारियों की तनख्वाह आती है, उसे सैलरी अकाउंट कहा जाता है. इस अकाउंट के बहुत सारे फायदे होते हैं मसलन फ्री एटीएम ट्रांजैक्‍शन्स, अनलिमिटेड ऑनलाइन ट्रांजैक्‍शन और न्यूनतम बैलेंस की छूट.


वेतन खाते अथवा सैलरी अकाउंट एक प्रकार का विशेष बचत खाता है, जो वेतनभोगी ग्राहकों को दिया जाता है. यह नियोक्ता अथवा कंपनी द्वारा कर्मचारी को मासिक वेतन देने का एक सुविधाजनक तरीका है. वेतन खाता होने से नियोक्ताओं के लिए पैसा ट्रांसफर करना आसान हो जाता है और कर्मचारी को भी कई बेहतर सेवाएं मिलती हैं.


कौन खोल सकता है सैलरी अकाउंट? (Who can Open a Salary Account?)
एक संगठन (नियोक्ता) को अपने कर्मचारियों के लिए वेतन खाता खोलने के लिए बैंक के साथ टाई-अप करना होता है. नियोक्ता एकमुश्त राशि के रूप में हर महीने कर्मचारियों के बैंक खातों में वेतन ट्रांसफर करता है. यदि कर्मचारियों का उस बैंक के साथ कोई मौजूदा खाता नहीं है, जिसके साथ उनके नियोक्ता का टाई-अप है, तो नियोक्ता उन कर्मचारियों का उस बैंक में खाता खोलने की प्रक्रिया में मदद करता है. इस तरह, हर व्यक्ति सैलरी अकाउंट खोल सकता है, लेकिन उसे किसी संगठन का कर्मचारी होना चाहिए.


सेविंग अकाउंट से कैसे अलग है सैलरी अकाउंट?
1. सेविंग अकाउंट कोई भी व्यक्ति खुलवा सकता है, जबकि सैलरी अकाउंट वह व्यक्ति खोल सकता है, जो किसी संगठन का कर्मचारी हो. संगठन की सिफारिश पर ही व्यक्ति का सैलरी अकाउंट खुलता है.
2. सेविंग अकाउंट में एक न्यूनतम राशि रखने की जरूरत होती है, जबकि सैलरी अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखने की कोई जरूरत नहीं होती है.
3. सेविंग अकाउंट के साथ मिलने वाली अन्य सुविधाओं के लिए आम तौर पर शुल्क लिया जाता है, जबकि सैलरी अकाउंट में आम तौर पर सुविधाओं के लिए अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता.
4. सेविंग अकांउट खोलने का मुख्य उद्देश्य सेविंग्स को बढ़ाना होता है, जबकि सैलरी अकाउंट में हर महीने कर्मचारी की तनख्वाह आती है.


सैलरी अकाउंट के फायदे (Benefits of Salary Account)
>> सैलरी अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखने पर कोई नियम नहीं है. न ही इसके तहत आप पर कोई पेनल्टी लगती है.
>> अगर आपके सैलरी अकाउंट में तीन महीने से ज्यादा समय तक आय नहीं आती है, तो ये सैलरी अकाउंट से जनरल अकाउंट में बदल जाता है. ऐसे में आपके बैंक के सेविंग खातों के हिसाब से न्यूनतम बैलेंस रखना अनिवार्य हो जाता है.
>> सैलरी अकाउंट के साथ आपको पर्सनलाइज़्ड चेक-बुक मिलती है.
>> 2 साल या इससे ज्‍यादा अवधि वाले सैलरी अकाउंट पर ओवरड्राफ्ट की सुविधा मिलती है. ओवरड्राफ्ट रकम की लिमिट दो महीने के बेसिक सैलरी जितनी होती है. ओवरड्राफ्ट की सुविधा के तहत अगर आपके बैंक आकउंट में कोई बैलेंस नहीं है, तो भी आप एक तय लिमिट तक पैसे निकाल सकते हैं.
>> सैलरी अकाउंट पर प्राइवेट और पब्लिक सेक्‍टर के कई बैंक फ्री एटीएम ट्रांजैक्‍शन की सुविधा देते हैं. >> इस सुविधा के तहत आपको टेंशन नहीं लेनी होगी कि महीने में कितने बार एटीएम से लेनदेन करना है.
>> सैलरी अकाउंट पर पर्सनल लोन्‍स से संबंधित स्‍पेशल ऑफर्स भी म‍िलता है. सैलरी अकाउंट पर कई बैंक प्री-अप्रूव्ड लोन मुहैया कराते हैं.
>> सैलरी अकाउंट होल्‍डर्स को मृत्‍यु होने पर 20 लाख रुपये तक का पर्सनल एक्‍सीडेंट इंश्‍योरेंस मिलता है. यह सुविधा लगभग हर बैंक में सैलरी अकाउंट पर मिलता है.

 

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