GST पर सरकार देनी जा रही बड़ी राहत, नियमों में किए जाएंगे ये बदलाव
केंद्र सरकार फिलहाल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) चोरी के मामलों में गिरफ्तारी और आपराधिक मुकदमा चलाने की सीमा में कुछ बड़े बदलाव पर विचार कर रही है.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

HR Breaking News (नई दिल्ली)। जानकारी के मुताबिक, इस प्रस्ताव का उद्देश्य टैक्स चोरी के कुछ पहलुओं को अपराध की कैटेगरी से बाहर करने, व्यवसायों पर अनुचित दबाव को कम करने और व्यापार को बेहतर वातावरण को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा सीमा को 2 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये करना है.
रिपोर्ट के मुताबिक, सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) समन जारी करने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए संशोधनों पर विचार कर रही है. इसके तहत संस्था समन को ज्यादा रीस्ट्रिक्टिव बनाने और केवल कुछ खास परिस्थितियों में ही जारी करने की अनुमति देने पर विचार कर रही है.
इंडस्ट्री ने की थी ढील की मांग
इन बदलावों को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच इंडस्ट्री की तरफ से मौजूदा दंड प्रावधानों की गंभीरता के बारे में चिंताएं जाहिर की गई हैं. उनका कहना है कि मौजूदा कानून का सख्त नेचर संभावित रूप से व्यावसायिक ऑपरेशन्स में बाधा डाल सकती है. इंडस्ट्री के दिग्गज रेग्युलेशन्स के प्रति अधिक संतुलित दृष्टिकोण का आग्रह करते हुए दंड संहिता में बदलाव पर काफी लंबे समय से जोर दे रहे हैं.
यह प्रस्ताव जल्द ही जीएसटी काउंसिल के सामने पेश होने की उम्मीद है. केंद्रीय और इंटीग्रेटेड जीएसटी अधिनियमों में कोई भी बदलाव 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले किए जाने की संभावना है. इस दौरान अलग-अलग राज्य भी अपने संबंधित जीएसटी अधिनियमों में अलग-अलग संशोधन कर सकते हैं.
अधिकतम सीमा और कानूनी प्रावधान
जानकारी के मुताबिक, इस चर्चा में आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की सीमा को 3 करोड़ रुपये तक बढ़ाने पर चर्चा हुई, जबकि इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने इसे 5 करोड़ रुपये तक करने का आग्रह किया था. फिलहाल, केंद्रीय जीएसटी (CGST) अधिनियम की धारा 132 के तहत 2 करोड़ रुपये से ज्यादा की जीएसटी चोरी को अपराध मानती है, जिसके लिए तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान है.
टैक्स फ्रॉड के मामले
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) ने नवंबर 2022 में इनपुट टैक्स क्रेडिट धोखाधड़ी को टारगेट करते हुए एक विशेष अभियान शुरू किया. इसके जरिये 57,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 6,000 मामलों का पता चला है, जिसमें 500 गिरफ्तारियां हुई हैं.