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55 साल पुराने पिता पुत्र के प्रोपर्टी विवाद में Supreme Court ने सुनाया बड़ा फैसला, बताए पिता और बेटे के संपत्ति में क्या है अधिकार

Supreme Court Decision : ये तो आपको पता होगी की पिता की संपत्ति (Father's Property) में बेटा बेटी का बराबर का अधिकार है। लेकिन क्या पिता प्रोपर्टी बंटवारा (Property Division) करने से पहले ही अपनी प्रोपर्टी बेच सकता है। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने 53 साल पुराने मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने पिता का अधिकार रेखांकित किया है। 

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Supreme Court Decision :  पैत़़ृक संपत्ति संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

HR BREAKING NEWS (ब्यूरो)। कई बार ऐसे हालत बन जाते हैं कि व्यक्ति को अपनी प्रोपर्टी तक बेचनी पड़ जाती है। वैसे तो पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) में 4 पीढियों का अधिकार होता है, लेकिन क्या कोई एक पीढ़ी इस संपत्ति को बेच सकती है। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Verdict) ने अपने फैसले में स्थिति क्लीयर की है।

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बेटा नहीं दे सकता कोर्ट में चुनौती

सुप्रीम कोर्ट ने 55 साल पहले दायर एक याचिका को खारिज करते हुए कहा कि पारिवारिक कर्ज (Family Debt) चुकाने या कानूनी जरूरतों के लिए यदि परिवार का मुखिया (पिता) पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) बेचता है तो ऐसे में पुत्र और अन्य हिस्सेदार उसे कोर्ट में चुनौती नहीं दे सकते। 
Supreme Court ने कहा कि एक बार यह सिद्ध हो गया कि पिता ने कानूनी जरूरतों के लिए संपत्ति बेची (Ancestral Property) है तो हिस्सेदार इसे कोर्ट में चुनौती नहीं दे सकते। बेटे ने इसको लेकर 1968 में अपने पिता के खिलाफ याचिका लगाई थी। मामले के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने तक पिता और पुत्र दोनों इस दुनिया में नहीं रहे। लेकिन दोनों के उत्तराधिकारियों ने इस मामले को जारी रखा ।

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फैसले के दौरान कोर्ट ने बताए कानूनी प्रावधान

  • जस्टिस एएम सप्रे और एसके कौल की बेंच ने कहा कि हिंदू कानून के अनुच्छेद 254 (Article 254 of Hindu law) में पिता द्वारा संपत्ति बेचने (Property Sell Right ) के बारे में प्रावधान है।
  • Article 254(2) में प्रावधान है कि कर्ता चल/अचल पैतृक संपत्ति (movable/immovable ancestral property) को बेच सकता है। वो पुत्र और पौत्र के हिस्से को कर्ज चुकाने के लिए ऐसा कर सकता है, लेकिन ये कर्ज भी पैतृक (Ancestral Debt) होना चाहिए।
  • ये कर्जा (Loan) किसी अनैतिक और अवैध कार्य के जरिए पैदा न हुआ हो ।

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कब-कब बेची जा सकती है पैतृक संपत्ति, जानिये

  • पैतृक कर्ज चुकाने के लिए पिता प्रोपर्टी बेच सकता है।  
  • संपत्ति पर सरकारी देनदारी (Government Liability) होने पर बेची जा सकती है।
  • परिवार के सदस्यों के भरण-पोषण के लिए भी प्रोपर्टी बेची जा सकती है।  
  • पुत्र, पुत्रियों के विवाह, परिवार के समारोह या अंतिम संस्कार के लिए प्रोपर्टी बेची जा सकती है।
  • संपत्ति पर चल रहे मुकदमे के खर्चे के लिए प्रोपर्टी बेच सकते हैं।
  • संयुक्त परिवार के मुखिया के खिलाफ गंभीर आपराधिक मुकदमे में उसके बचाव के लिए संपत्ति बेची जा सकती है।

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हाईकोर्ट ने सुनाया था ये फैसला

हाल ही में हाईकोर्ट ने भी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये स्पष्ट कर दिया कि जब तक बच्चे की भलाई के लिए जरूरी न हो तब तक नाबालिग के नाम Property को बेचने के आदेश कोर्ट भी जारी नहीं कर सकता है।  हालांकि मां की ओर से बताई गई परिस्थितियों पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट (High Court Decision) ने प्रापर्टी बेचने की अनुमति दे दी।

कोर्ट के सामने बताई अपनी मजबूरी

याचिका दाखिल करते हुए नाबालिग की मां ने High Court  को बताया कि उसके ससुर ने बैंक से 50 लाख रुपये का कर्ज लिया था। इस दौरान उन्होंने अपनी वसीयत (Property Will) अपने पोते के नाम कर दी थी। बैंक का कर्ज चुकाने से पहले ही उनकी मौत हो गई। इस दौरान बैंक लगातार पैसे की अदायगी के लिए दबाव बना रहा था। यहां तक की बैंक ने प्रापर्टी को बेचने का निर्णय ले लिया।


इसे बचाने के लिए याचिकाकर्ताओं ने बाहर से पैसा लेकर बैंक का कर्जा उतारा। यदि बैंक प्रापर्टी बेचता तो वो औने-पौने दामों पर बिकती जबकि इसकी प्रोपर्टी की कीमत 70 लाख से अधिक है। अब बाहर से लिए गए पैसे का भुगतान करने के लिए उनके पास प्रापर्टी  बेचने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। बैंक की ओर से बताया गया कि प्रापर्टी की एवज में लिए गए कर्ज का भुगतान हो चुका है। इसी को देखते हुए हाइकोर्ट ने संपत्ति बेचने का अधिकार दिया। 

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