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प्रोपर्टी गिरवी रख बैंक से Loan लेने वाले जान लें अपने अधिकार, बैंक नहीं कर सकेगा मनमानी

होमलोन या अन्य किसी लोन की किस्त नहीं चुकाने की स्थिति में बैंक ग्राहकों की संपत्ति जब्त करके उन्हें नीलाम करता है और उसके जरिए लोन वसूली की जाती है. हालांकि, प्रॉपर्टी को नीलाम करने की एक प्रोसेस होती है, जिसे बैंक को फॉलो करना पड़ता है.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

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प्रोपर्टी गिरवी रख बैंक से Loan लेने वाले जान लें अपने अधिकार, बैंक नहीं कर सकेगा मनमानी

 HR Breaking News (नई दिल्ली)।  हर आदमी अपनी जीवन की जमा पूंजी से घर जैसी संपत्ति बनाता है. कहते हैं मकान जिंदगी का सबसे बड़ा इन्वेस्टमेंट होता है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपने ख्वाबों के आशियाने को तैयार करने के लिए काफी पैसा लगाता है. इसलिए घर बनाने या खरीदने के लिए हर व्यक्ति बैंक से लोन लेता है. होम के वक्त गारंटी के तौर पर आपको किसी प्रॉपर्टी को गिरवी रखना होता है. यदि लोन लेने वाला व्‍यक्ति किसी कारण से कर्ज नहीं चुका पता है तो बैंक उस घर या संपत्ति को नीलाम करके लोन की रकम हासिल करता है.

हालांकि, ऐसा नहीं है कि कर्ज की एक किस्त नहीं चुकाने पर ही बैंक आपकी संपत्ति जब्त कर ले. इसकी एक पूरी प्रोसेस होती है. अगर जिंदगी में ऐसी नौबत आए या किसी परिचित को ऐसी परिस्थिति का सामना करना पड़े तो जरूरी है कि आप प्रॉपर्टी की नीलामी को लेकर अपने अधिकारों के बारे में जानें.


बैंक कब और क्यों करता है संपत्ति जब्त


घर या किसी अन्य संपत्ति के लिए बैंक से लिया जाने वाला लोन तय समय पर चुकाना होता है. होमलोन या अन्य किसी लोन की किस्त नहीं भरने पर बैंक आपकी प्रॉपर्टी को जब्त करके अपनी रकम की भरपाई करता है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि लोन की किस्त नहीं जमा करने पर बैंक तुरंत आपके घर पर कब्जा करके उसे नीलाम कर देगा. कर्ज नहीं चुकाने की स्थिति में बैंक लोन लेने वाले व्‍यक्ति को कई मौके देता है. बस नीलामी आखिरी विकल्‍प होता है. लेकिन फिर भी अगर किसी कारण से प्रॉपर्टी नीलाम होने की नौबत आ जाती है, तो भी लोन लेने वाले व्यक्ति के पास कई तरह के विकल्‍प होते हैं.

यदि कोई व्‍यक्ति लगातार 2 महीने तक लोन की ईएमआई नहीं देता तो बैंक उसे रिमाइंडर भेजता है यानी इस बारे में याद दिलाता है. इसके बाद भी जब तीसरी किस्‍त जमा नहीं होती है तो ग्राहक को कानूनी नोटिस भेजा जाता है. फिर भी यदि ईएमआई का भुगतान नहीं किया जाता है तो बैंक संपत्ति को एनपीए घोषित कर देता है और लोन लेने वाले व्‍यक्ति को डिफॉल्‍टर घोषित कर दिया जाता है.


प्रॉपर्टी की नीलामी से जुड़े नियम


हालांकि, ऐसा नहीं कि एनपीए घोषित होने के बाद आपकी प्रॉपर्टी को नीलाम कर दिया जाएगा. क्योंकि इसमें भी 3 कैटेगरी होती है- सबस्टैंडर्ड असेट्स, डाउटफुल असेट्स और लॉस असेट्स. ईएमआई नहीं चुकाने की स्थिति में सबसे पहले लोन अकाउंट 1 साल तक सबस्टैंडर्ड असेट्स खाते की कैटेगरी में रहता है, इसके बाद डाउटफुल असेट्स बनता है और जब लोन रिकवरी की उम्मीद नहीं रहती तब उसे ‘लॉस असेट्स’ मान लिया जाता है. याद रखें लॉस असेट बनने के बाद ही प्रॉपर्टी को नीलाम किया जाता है. नीलामी के लिए बैंक पब्लिक नोटिस जारी करती है.

नीलामी को कब दी जा सकती है चुनौती


किसी भी तरह की संपत्ति की बिक्री से पहले बैंक या उस वित्तीय संस्थान जहां से आपने लोन लिया है, उसे असेट का सही प्राइस बताते हुए नोटिस जारी करना पड़ता है. इसमें रिजर्व प्राइस और नीलामी की तारीख-समय व शर्तों का करना पड़ता है. जिस व्यक्ति की प्रॉपर्टी नीलाम हो रही है और उसे ऐसा लगता है कि मेरी असेट का दाम कम रखा गया है तो वह इस नीलामी की प्रक्रिया को चुनौती दे सकता है.


अगर लोन नहीं चुकाने के हालात में बैंक आपकी संपत्ति नीलाम करता है तो इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रखें क्‍योंकि नीलामी के जरिए लोन वसूलने के बाद बची हुई अतिरिक्त रकम को बॉरोअर को पाने का अधिकार होता है और बैंक को वह पैसा लौटाना होता है.