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क्या है Form 15G और Form 15H? FD में निवेश करने वालों को जरूर होना चाहिए पता

Tax Saving Form : बैंकों ने ग्राहको को एफडी पर दी जाने वाले ब्याज दरों को लगातार बढ़ाया है, जिसकी वजह से डिपॉजिट स्कीम (fixed deposit) में निवेशकों का रुझान भी काफी बढ़ा है। एफडी से होने वाली कमाई पर भी टैक्स काटा जाता है। इसलिए अगर आप बाजार में मौजूद सेविंग स्कीम की जगह बैंक एफडी में पैसा लगाते हैं तो आपको इससे जुड़े नियमों के बारे में भी पता होना जरूरी है। इसके लिए सबसे पहले आपको Form 15G और Form 15H की अहमियत के बारे में जरूर मालूम होना चाहिए।

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क्या है Form 15G और Form 15H? FD में निवेश करने वालों को जरूर होना चाहिए पता

HR Breaking News, Digital Desk : हमारे देश में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को निवेश का सबसे सुरक्षित ऑप्शन माना जाता है. इस समय बैंकों ने भी एफडी पर ब्याज में जमकर बढ़ोत्तरी की है. जिसके चलते ज्यादातर लोग फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करना पसंद कर रहे हैं. भारत में एक बड़ा वर्ग Fixed Deposit में यकीन करता है.

इसका बड़ा कारण है कि एफडी में निवेश सुरक्षित रहता है, साथ ही इसमें गारंटीड रिटर्न (guaranteed return in FD) भी मिलता है. जो लोग निवेश को लेकर किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते, उनके पोर्टफोलियो में FD जरूर शामिल होती है. वहीं पिछले कुछ समय से एफडी पर ब्‍याज दरें भी काफी बेहतर हुई हैं. ऐसे में लोगों का रुझान एफडी की ओर बढ़ा है. 


यदि आपने भी एफडी में निवेश (investment in FD) किया है, तो आपको मालूम होना चाहिए कि एफडी से होने वाली कमाई पर इनकम टैक्‍स लगता है. जब फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट पर ब्‍याज के जरिए होने वाली कमाई तय सीमा से ज्‍यादा होती है, तो उसमें से टीडीएस काट लिया जाता है. इससे बचने के लिए एफडी कराते समय में फॉर्म 15H और फॉर्म 15G भरना जरूरी होता है. यहां जानिए एफडी पर टीडीएस काटे जाने का नियम और Form 15G और Form 15H के बारे में-

जानिए कब काटा जाता है TDS


एफडी के नियमों के अनुसार अगर एफडी पर ब्‍याज (interest on FD) के जरिए होने वाली कमाई सालाना 40,000 रुपए से ज्‍यादा है तो टीडीएस कटता है. सीनियर सिटीजंस के लिए ये लिमिट 50,000 रुपए है. ये टीडीएस व्यक्ति की कुल आय में जोड़ा जाता है और इसके बाद उस पर टैक्स स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है. 


लेकिन यदि किसी व्यक्ति की ये इनकम टैक्सेबल लिमिट से कम है तो उन्हें फॉर्म 15G और 15H भर कर बैंक में जमा कर टीडीएस कटौती न करने के लिए रिक्वेस्ट करना होता है.


क्‍या है Form 15G?


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Form 15G और Form 15H भरकर व्यक्ति बैंक को यह बताता है कि उसकी इनकम टैक्स (Income Tax) के दायरे में नहीं आती है. फॉर्म 15G को हिन्दू अविभाजित परिवार, 60 साल से कम आयु का कोई भी व्यक्ति भर सकता है. फॉर्म 15G इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अंडर सेक्शन 197A के अंडर सब सेक्शन 1और 1(A) के भीतर आने वाला डीक्लेरेशन फॉर्म है. 


इसके जरिए बैंक को आपकी सालाना इनकम (annual income) के बारे में पता चलता है. अगर आपकी आय टैक्‍स के दायरे में नहीं आती है, तो बैंक एफडी पर TDS नहीं काटता है. अगर आप टैक्‍स के दायरे में नहीं आते हैं, तो इस फॉर्म को भर सकते हैं.

जान लें क्‍या है Form 15H?


बता दें कि फॉर्म 15H 60 साल या उससे ज्‍यादा उम्र के लोगों (Form 15H for people aged 60 years and above) के लिए होता है. इसे जमा करके सीनियर सिटीजंस एफडी के ब्‍याज पर कटने वाले टीडीएस को रोक सकते हैं. लेकिन ये फॉर्म सिर्फ उन्हीं के द्वारा जमा किया जाता है जिनकी टैक्सेबल इनकम शून्य है. फॉर्म को उन सभी बैंक ब्रांच में जमा करना होता है जहां से पैसा जमा किया जा रहा है. अगर जमा के अलावा किसी अन्य सोर्स से इंटरेस्ट इनकम जैसे कि लोन, एडवांस, डिबेंचर, BONDS आदि पर इंटरेस्ट इनकम 5,000 रुपए से ज्यादा है तो फॉर्म 15H जमा करना होगा.

आपको पहले ब्याज का भुगतान होने से पहले 15H फॉर्म सबमिट किया जाना चाहिए. हालांकि ये अनिवार्य नहीं है. लेकिन अगर आप ऐसा करते हैं तो शुरुआत से ही बैंक से टीडीएस कटौती (tds deduction) को रोका जा सकता है. कोई कस्टमर अगर इन फॉर्म्‍स को भरने से चूक जाते हैं तो इनकम टैक्स रिटर्न में आकलन वर्ष में टीडीएस क्लेम कर सकते हैं. ऐसे में आयकर विभाग से रिफंड मिल जाएगा.