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इन 3 सेविंग स्कीम से Senior Citizens की हो गई बल्ले-बल्ले, नियमित इनकम के साथ्र मिलेगा गारंटीड रिर्टन

Senior Citizen Saving scheme : अगर आप भी वरिष्ठ नागरिक है तो ये खबर आपके लिए है। हम आज आपको उन तीन धांसू सेविंग स्कीम के बारे में बताने जा रहे है जिनमें इन्वेस्ट कर आपको मोटा मुनाफा होने वाला है। इसमें आपको ब्याज के रूप में एक तरह से नियमित आय मिलेगी। आइए अच्छे से जान लें इन सेविंग स्कीम के बारें में.....

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HR Breaking News (नई दिल्ली)। यदि आपकी आयु 60 साल से अधिक हैं तो इस खबर को ध्यान से पढ़ें। इस उम्र के बाद अधिकांश लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक नियमित इनकम (regular income) की तलाश में रहते हैं। इसमें बैंकों और सरकार की कुछ सेविंग और डिपॉजिट स्कीम (Saving schemes) आपकी मदद कर सकते हैं। इस स्कीम में निवेश करने पर आपको अच्छा-खासा पैसा नियमित ब्याज के तौर पर मिल जाता है। इसके अलावा, आपको टैक्स पर छूट (tax exemption) भी मिल जाती है। आइए जानते हैं ऐसे 3 स्कीम के बारे में जो आपको अच्छे इनकम की गारंटी देते हैं।


सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (Senior Citizen Saving Scheme)


सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) में 60 साल से अधिक आयु के ग्राहक निवेश कर सकते हैं। बता दें कि इस स्कीम में ब्याज तिमाही आधार पर मिलता है। जबकि पूरा पैसा आपको 5 साल की लॉक-इन पीरियड की अवधि पूरा होने पर ही मिलता है। इस स्कीम में ग्राहक मिनिमम 1,000 रुपये से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। इसके अलावा, इस स्कीम में आपको धारा 80c के तहत टैक्स छूट भी मिलता है। 

पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम (Post Office Monthly Income Scheme)


पोस्ट ऑफिस की, पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम (POMIS) एक छोटी सेविंग स्कीम में आती है जिसमें ग्राहक 5 साल के लिए निवेश कर सकते हैं। यहां आप सिंगल खाते में अधिकतम 9 लाख रुपये जबकि ज्वाइंट खाते में 15 लाख रुपये का निवेश कर सकते हैं। इस स्कीम में आपको मंथली बेसिस पर ब्याज मिलता है।


फिक्स्ड डिपॉजिट (fixed deposit)


यदि सीनियर सिटीजन ग्राहक अपनी जमा पूंजी को निवेश करके एक निश्चित अवधि के बाद गारंटीड रिटर्न पाना चाहते हैं तो फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) एक अच्छा विकल्प हो सकता है। एफडी करने पर अधिकांश बैंक आमतौर पर सीनियर सिटीजन को एफडी पर दी जाने वाली सामान्य ब्याज दरों के अलावा 0.50 पर्सेंट का अतिरिक्त ब्याज देते हैं। आपको ब्याज की राशि मासिक, तिमाही, छमाही और सालाना आधार पर मिलता है।