राम भरोसे सातरोड खुर्द के ग्रामीण, न दवा और न हो रही सैंपलिंग
एचआर ब्रेेकिंग न्यूज। हिसार शहर से सटे गांव सातरोड खुर्द के हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ रहे है। कोरोना संक्रमण से हर दिन औसतन चार से पांच मरीजों की मौत हो रही है। एक महीने में 100 लोग कोरोना महामारी से जान गवा चुके है। गांव वाले भय के साये में जी रहे है। सरकार और प्रशासन की तरफ से कोई सुविधा न मिलने के कारण वे अब अपने आप को राम भरोसे मान रहे है। ग्रामीणों का कहना है कि बीमार मरीजों को दवा तक नहीं मिल रही गांव को सेनिटाइज करने की बात तो दूर है। जबकी ये गांव नगर निगम में आता है।
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चिता की राख भी ठंडी नहीं हो रही
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कोरोना महामारी पांव पसार रही है। देखते ही देखते 100 लोग आंखों के सामने दम तोड़ चुके है। गांव में हालात ये है कि श्मशान घाट में चिता की राख ठंडी नहीं हो रही और शव अंतिम संस्कार के लिए आ रहे है। गांव के बुजुर्ग लोगों का कहना है कि ऐसा मंजर उन्होंने पहले नहीं देखा। बीमारी ने गांव में एक दूसरे से पराया कर दिया है। ऐसी बीमारी फैली है एक दूसरे के दुख दर्द में शरीक नहीं हो सकते।
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बड़े गांव में अस्पताल के नाम पर सिर्फ डिस्पेंसरी गांव वालों ने बताया कि गांव की आबादी ज्यादा जिसको देखते हुए यहा पर बड़ा अस्पताल होना चाहिए। ले किन यहां पर सिर्फ एक डिस्पेंसरी है जो की नाम की है। दवा के नाम पर वहां पर कुछ नहीं मिलता। कोरोना महामारी की दवा की बात की जाए तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई दवा मुहैया नहीं करवाई जा रही। ग्रामीण अपने स्तर पर गांव में क्लीनिक चलाने वालों से दवा ले रहे है। सरकार और प्रशासन की तरफ कोई सुविधा नहीं मिल रही। और न ही नगर निगम की तरफ से गांव को सेनिटाइज किया गया है।
