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यौन शोषण : 35 प्रतिशत महिलाएं व 16 प्रतिशत पुरूष यौन शोषण के शिकार लेकिन केवल 11 प्रतिशत ही केस होते है दर्ज, लॉकडाउन के दौरान भारत में हर रोज 109 बच्चियों का हुआ शोषण

हिसार। यौन शोषण एक मौन महामारी है जिसमें बहुत ही कम लोग इसके प्रति अवाज उठाते हैं। पीडित या तो हालात से समझौता कर लेता है या फिर खुद को नुकसान पहुंचा लेता है। उन्हें संभालने के लिए हमें समझना जरूरी है कि यह एक अपराध है जिसे छुपाना नही खत्म करना है। यदि किसी
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यौन शोषण : 35 प्रतिशत महिलाएं व 16 प्रतिशत पुरूष यौन शोषण के शिकार लेकिन केवल 11 प्रतिशत ही केस होते है दर्ज, लॉकडाउन के दौरान भारत में हर रोज 109 बच्चियों का हुआ शोषण



हिसार। यौन शोषण एक मौन महामारी है जिसमें बहुत ही कम लोग इसके प्रति अवाज उठाते हैं। पीडित या तो हालात से समझौता कर लेता है या फिर खुद को नुकसान पहुंचा लेता है। उन्हें संभालने के लिए हमें समझना जरूरी है कि यह एक अपराध है जिसे छुपाना नही खत्म करना है। यदि किसी के साथ ऐसा हुआ है तो जरूरी है पीडित की उतनी ही उम्मीद बांधे जितनी आप मदद कर सकते हैं, उसे धैर्य से सुनें, समझे व विश्वास दिलाएं कि आप उसके साथ हैं। कुछ ऐसी ही जरूरी जानकारी दी ब्रिटिश साइकॉलॉजी सोसाइटी से एसोसिएट फैलो डॉ. मंजीत रैहल ने। जिन्होंने यौन शोषण के बारे में बताया।



ये हैं यौन हिंसा के रूप :
बलात्कार, मौखिक बलात्कार, यौन हमला,बचपन में यौन शोषण, यौन उत्पीड़न, रिलेशनशिप के दौरान रेप, शादी के बाद जबरदस्ती संबंध बनाना, जबरदस्ती शादी, अनैतिक स्पर्श, चाइल्ड सैक्शुअल एक्सपलॉइट इत्यादि।



व्यापकता :
विश्व में 35 प्रतिशत महिलाएं व 16 प्रतिशत पुरूष यौन शोषण से उत्पीडित हैं। विश्व भर में केवल 11 प्रतिशत रेप केस ही दर्ज होते है।
वहीं इस जघन्य अपराध से पीडित केवल 40 प्रतिशत महिलाओं को ही स्पोर्ट मिलता है। वहीं बात की जाए कोरोना महामारी के दौरान तो इस अपराध के आंकड़ों में 500 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।

यौन शोषण : 35 प्रतिशत महिलाएं व 16 प्रतिशत पुरूष यौन शोषण के शिकार लेकिन केवल 11 प्रतिशत ही केस होते है दर्ज, लॉकडाउन के दौरान भारत में हर रोज 109 बच्चियों का हुआ शोषण

भारत में यौन उत्पीड़न के मामले :
भारत सरकार के सर्वे के अनुसार 99 प्रतिशत केस दर्ज नही होते। एनसीआरबी डाटा के अनुसार लॉकडाउन के दौरान हर रोज 109 बच्चियां यौन शोषण का शिकार हुई। लॉकडाउन के 11 दिन के अंदर 3.07 लाख फोन कॉल आयी जिसमें एक तिहाई बच्चों के शोषण से जुडी थी। हरियाणा में 2015 के मुकाबले 45 प्रतिशत तक रेप केस व यौन उत्पीडन के मामलों में इजाफा हुआ। जिसमें यह पाया गया कि 92 प्रतिशत रेप केस में विक्टिम आरोपी को पहले से जानती है।

यौन शोषण : 35 प्रतिशत महिलाएं व 16 प्रतिशत पुरूष यौन शोषण के शिकार लेकिन केवल 11 प्रतिशत ही केस होते है दर्ज, लॉकडाउन के दौरान भारत में हर रोज 109 बच्चियों का हुआ शोषण
Boss harassing woman hold placard on the yellow background


भारत में केवल 27.8 प्रतिशत को ही मिल पाता है इंसाफ :
85 हजार महिलाएं 12 हजार पुरूष रेप केस व यौन उत्पीडन का शिकार हुए। जिसके अनुसार एक घंटे में करीबन 11 किशोरों का रेप हुआ। वहीं बात की जाए इन केस में इंसाफ की तो भारत में केवल 27.8 प्रतिशत केस में ही पीडित को इंसाफ मिल पाया है। 15 प्रतिशत युवाओं का बचपन में ही यौन शोषण हो चुका है।

यौन हिंसा के दौरान शरीर द्वार होने वाली प्रतिक्रिया के पांच एफ:
फाइट : लड़ते हैं
फ्लाइट : भाग जाते हैं
फ्रीज : सब कुछ भूल जाना
फ्लॉप : मस्तिष्क का काम न करना
फ्रेंड : किसी को भी अपना करीबी बना लेना

यौन शोषण : 35 प्रतिशत महिलाएं व 16 प्रतिशत पुरूष यौन शोषण के शिकार लेकिन केवल 11 प्रतिशत ही केस होते है दर्ज, लॉकडाउन के दौरान भारत में हर रोज 109 बच्चियों का हुआ शोषण

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पीडित पर पड़ने वाले प्रभाव :
भावनाएं : शर्म, दोषी, गुस्सा, अविश्वास की भावना हो जाना
सामना करने की रणनीति : खुद को नुकसान, हानि पहुंचाने वाले पदार्थों का सेवन, खान-पान में बदलाव व कमी हो जाती है।
रिलेशनशिप मुद्दा : अपने रिश्तेदारों का होना, लगाव, विश्वास
काम व पढ़ाई में परेशानी
स्वभाव में बदलाव : कुछ भी न कह पाना
खराब मानसिक स्वास्थ : डिप्रेशन, एनक्साइटी, आत्महत्या
शारिरिक प्रभाव : गर्भाधारण, घाव व चोट, लंबे समय तक बिमार
री-विक्टिमाइजेशन : घटना के बाद के जीवन में भी यौन व घरेलु उत्पीडन का सामना
फेटल आउटकम : रेप से मृत्यु, गर्भाधारण में समस्याएं

शोषण के बाद समाज के चुप रहने के कारण :
परिवार, संस्कृति, विक्टिम का खुद को दोष देना, छोटा समुदाय, उम्र, आइसोलेशन, दोषी के साथ लगाव व संबंध, गिल्ट, शर्म, डर, लिंग पहचान, यौन अभिविन्यास, वक्ता व श्रोता में अंतर, दोषी के द्वारा दिए गए संदेश, धमकी, सुरक्षा को खतरा, अक्षमता व विश्वास न करे जाने का डर।


एक विक्टिम व सर्वाइवर को किस तरह करें इलाज :


धैर्य से सुनें
विश्वास दिलाएं
उनका विश्वास व ताकत बनें
उनकी ताकत व विश्वास का आभास करवाएं
तुरंत फैसला न करें
गलत साबित न करें
उन्हें फिर से हिम्मत हासिल करने दें
अपनी क्षमता के अनुसार ही उन्हें हौसला व उम्मीद दें
स्पोर्ट करने के लिए सही रास्ता चुने।

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यौन शोषण के प्रति मिथक धारणा :
डॉ. मंजीत ने कहा कि यौन शोषण को लेकर समाज में विभिन्न प्रकार की मिथक धारणाएं बनी हुई हैं जिन्हे तोडना जरूरी है। कोरोना के विरूद्ध लड़ाई में जब दूसरे देश भी एक साथ खड़े रहे तो यौन शोषण के विरूद्ध भी विश्व भर में एकता की जा सकती है। समाज में समझा जाता है कि महिलाएं छोटे कपड़े, स्क्रट, डीप कट टॉप जैसे पहनावें धारण करती है तो वे उकसाती हैं। केवल यूवा व आकर्षक व सुंदर महिला के साथ ही रेप होता है। रेप इसलिए ही होता है क्योंकि पुरूष अपनी भावनाओं को कंट्रोल नही कर सकते। अगर कोई कोर्ट या पुलिस का सहारा नही लेता तो वह झूठा साबित कर दिया जाता है। समलैंगिक संबंध रेप की श्रेणी में नही आते। कुछ धर्मों में यौन संबंध को झूठलाना गलत है। घर के अंदर रहकर महिलाएं सुरक्षित है जब्कि 92 प्रतिशत केस में परिवार या पहचान वाले ही दोषी पाए जाते है।