बॉर्डर पार कर 250 बकरियां गईं पाकिस्तान, जानिए अब क्या होगा?
जैसलमेर। भारत पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे राजस्थान के जैसलमेर जिले के कई ग्रामीणों को इन दिनों मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। सीमावर्ती गांव में पशुपालन ही एकमात्र कमाई का जरिया है। जबकि इन गांव में ढाई सौ बकरियां राजस्थान बॉर्डर पार करके पाकिस्तान चली गई हैं।
बता दें कि जैसलमेर जिला रेगिस्तान में स्थित है। यहां भारत और पाकिस्तान की सरहद भी रेगिस्तान से होकर गुजरती है। दूर-दूर तक रेत के समंदर के सिवा कुछ नजर नहीं आता। इसी के बीच दोनों देशों की सरहद पर तारबंदी की गई है। समस्या यह है की तेज आंधीयों के कारण रेत उड़कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर एकत्रित हो जाती है। कई बार इस प्रक्रिया में तारबंदी भी 10 से 15 मीटर तक रेत में दब जाती है। इससे शिफ्टिंग सैंड ड्यून्स कहा जाता है शिफ्टिंग सैंड ड्यून्स से न केवल ग्रामीण बल की सुरक्षा में तैनात जवान भी परेशान रहते हैं।
ग्रामीणों के मवेशी चरते हुए तारबंदी रेत में दबे होने के कारण शरहद लांग कर पाकिस्तान में प्रवेश कर जाते हैं। जिन्हें लाने के लिए ग्रामीण शरहद कर जाएं तो घुसपैठियों के नाम पर मार दिए जाने का खतरा बना रहता है। वहीं बीएसएफ के जवानों को सीमा की चौकसी करने में दिक्कत आती है।
पशुपालक बलवीर सिंह बताते हैं कि जैसलमेर जिला मुख्यालय से करीब 120 किलोमीटर दूर बॉर्डर पर स्थित गांव मिठू, केरला, सुंदरगढ़ गांव की करीब 250 बकरियां सीमापार कर पाकिस्तान में चली गई हैं। जिसे पशुपालक काफी परेशान हैं। 10 दिन हो गए हैं मगर बकरियां वापस नहीं आई हैं।
बलवीर सिंह कहते हैं कि जैसलमेर जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर 10 व 11 अगस्त को पाकिस्तान गई बकरियां वापस पशुपालकों को दिलाई जाने के बारे में सूचित किया गया है। पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं एक साथ सबसे अधिक ढाई 250 बकरियां पहली बार पाकिस्तान में गई हैं। सरकार को शरहद की तारबंदी से बाहर निकालने का काम भी करना चाहिए ताकि अन्य ग्रामीणों को ऐसी परेशानी का सामना न करना पड़े।
ग्रामीणों को ग्रामीणों के मुताबिक गांव के लाल सिंह की 80 चतुर सिंह के 40 हुकम सिंह की 20 सुजान सिंह की बकरियों समेत कई पशुपालकों की बकरियां पाकिस्तान में पहुंच गई हैं। पशुपालक दिनेश पाल सिंह ने बताया है कि तारबंदी रेत में होने के कारण पूर्व में कई गाय ऊंट व अन्य पशु भी पाकिस्तान में जा चुके हैं।
