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UPSC परीक्षा में 2 बार फेल होने पर नहीं मानी हार, बन कर मानी IAS

आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने अनेकों असफलताओं के बाद भी हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत से बड़ी कुर्सी हासिल की। 

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HR Breaking News (ब्यूरो)। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर आईएएस आईपीएस आईआरएस बनने का सपना रखने वाले युवा सालों साल इसकी तैयारी करते रहते हैं। बहुत से पहले दूसरे प्रयास में अपना ख्बाव पूरा कर लेते हैं तो बहुत से कई सालों की तैयारी की बाद। तैयारी के दौरान बहुत से ऐसे कई पड़ाव आते हैं जब इस मुश्किल और चुनौती भरी राह को छोड़ने का मन करता है।

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 ऐसे अभ्यर्थियों के लिए मध्य प्रदेश के रीवा की छाया सिंह की कहानी काफी सीख देने वाली है। छाया सिंह की सक्सेस स्टोरी आपको सिखाएगी कि असफलता और धैर्य से ही आपको इस लड़ाई में जीत मिलेगी। रीवा की छाया सिंह ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2021 में 288वीं रैंक हासिल की है। इस बार उन्हें इंडियन डिफेंस अकाउंट्स सर्विस (IDAS) अलॉट हुआ है। 

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अपने बारे में छाया बताती हैं, 'मुझे यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के चौथे प्रयास में 288वीं रैंक मिली है। पहले दो प्रयास में मैं प्रीलिम्स तक पास नहीं कर सकी थी। इसके बाद तीसरे प्रयास में दिल्ली पुलिस में एसीपी के पद पर चयनित हुई। मैं तीन बार एमपी पीसीएस का प्री तक नहीं निकाल पाई थी। इसलिए तैयारी कर रहे सभी अभ्यर्थियों को यह ध्यान में रखना चाहिए की असलफता ही सफलता की सीढ़ी है।' 


उन्होंने कहा, 'असफलता से ही आपको कामयाबी पाने का साहस मिलता है। यही मेरा अनुभव है। आप किसी भी फील्ड में जाएं, बहुत से दिन ऐसे आएंगे जब आप सोचेंगे कि आपसे नहीं होगा। यूपीएससी की तैयारी के दौरान मेरे भी ऐसा बहुत दिन आए थे। मेरे पापा तो ऑफिस चला जाया करते थे लेकिन मम्मी से काफी लड़ाई करती थी और कहती थी कि तुमने मुझे कहां फंसा दिया। ऐसा आपके साथ भी होता है। 

कामयाबी पाने में 50 फीसदी आपकी मेहनत काम करेगी और 50 फीसदी आपका समर्पित होना। गुंजन सक्सेना फिल्म की यह लाइन आपको भी याद रखनी चाहिए कि जो लोग मेहनत का साथ नहीं छोड़ते, किस्मत उनका हाथ नहीं छोड़ती।' 

छाया सिंह ने पटियाला से बीए-एलएलबी किया है। उनके पिता असिस्टेंट कमिश्नर हैं।

यूपीएससी सिविल सेवा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को IAS अवनीश शरण ने भी दिए टिप्स

- केवल एक हिंदी/अंग्रेज़ी राष्ट्रीय स्तर का पढ़ें। 


- एडिटॉरीयल पेज पर फ़ोकस करें।

- अधिकतम एक-दो घंटे पढ़ें ।


- पेपर से नोट्स बनाने की आदत ना डालें ।

- कोई एक मासिक पत्रिका ( क्रॉनिकल/ दर्पण) के साथ योजना, कुरुक्षेत्र, फ़्रंटलाइन पढ़ें।