Richest Person Of India : मुकेश अंबानी को भी पछाड़ चुका है 2000 की उधारी से बिजनेस शुरू करने वाला ये शख्स
HR Breaking News (नई दिल्ली) : दवा कंपनी सन फार्मा (Sun Pharma) के प्रोडक्ट का इस्तेमाल अधिकांश लोगों ने किया होगा। क्या आप इस कंपनी की शुरुआत की कहानी जानते हैं? कंपनी के संस्थापक दिलीप संघवी (Dilip Shanghvi) ने दो हजार रुपये उधार लेकर यह दवा कंपनी शुरू की थी। आज संघवी के पास हजार अरब से ऊपर की दौलत है। एक समय ऐसा भी था, जब संघवी रिलायंस (Reliance) के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) को पछाड़कर भारत के सबसे अमीर व्यक्ति (Richest Person Of India) भी बन गए थे।
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2000 उधार लेकर Dilip Shanghvi ने शुरू की थी Sun Pharma गुजरात के एक दवा वितरक के घर में जन्मा यह शख्स एक समय पूरे दवा बाजार का सिरमौर बन जाएगा, कौन जानता था। कोलकाता से ग्रेजुएट करने के तुरंत बाद दिलीप संघवी ने व्यवसाय करने की ठान ली। अरबपतियों की दौलत का आकलन करने वाली पत्रिका फोर्ब्स की मानें तो दिलीप संघवी ने इसके लिए अपने पिता से 200 डॉलर (1983 के दो हजार रुपये) उधार लिए। इसके बाद उन्होंने पांच वितरकों को साथ लेकर दवा कंपनी सन फार्मा की शुरुआत की।
दो लाख करोड़ के करीब है Sun Pharma का MCap
शुरुआत में सन फार्मा सिर्फ मनोरोग की कुछ दवाएं बनाती थी। धीरे-धीरे कंपनी पोर्टफोलियो का विस्तार करते गई। आज कंपनी के पोर्टफोलियो में हजारों प्रोडक्ट शामिल हैं, जिनमें रिवाइटल (Revital) और वॉलिनी (Volini) जैसे आम हो चुके उत्पाद भी शामिल हैं। सन फार्मा शेयर बाजार में लिस्टेड सबसे बड़ी भारतीय दवा कंपनी है। आज कंपनी का मार्केट कैप दो लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुका है।
Mukesh Ambani को कभी पछाड़ चुके हैं Dilip Shanghvi
फोर्ब्स के अनुसार, अभी दिलीप संघवी के पास 14.4 अरब डॉलर (करीब 1,076 अरब रुपये) की दौलत है। संघवी अभी भले ही 10 सबसे अमीर भारतीय व्यक्तियों की सूची से बाहर हो गए हों, लेकिन एक ऐसा भी समय था, जब वह कुछ समय के लिए मुकेश अंबानी को हटाकर सबसे अमीर भारतीय बन गए थे। यह 2015 की बात है। हालांकि अंबानी की दौलत इसके बाद रफ्तार से बढ़ी और आज वह भारत ही नहीं बल्कि एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बने हुए हैं।
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Ranbaxy Laboratories के अधिग्रहण ने बनाया सिरमौर
दिलीप संघवी और सन फार्मा को व्यवसाय के मोर्चे पर 2014 में बड़ी सफलता हाथ लगी थी। तब संघवी ने चार अरब डॉलर में अपनी प्रमुख प्रतिद्वंदी कंपनी रैनबेक्सी लैबोरेटरीज का अधिग्रहण कर लिया था। इस सौदे ने संघवी को भारतीय फार्मा सेक्टर का निर्विवाद राजा बना दिया।