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Youngest IAS Officer Of India : ये होती है लगन, ऑटो ड्राइवर के बेटे ने UPSC में बनाया ऐसा रिकॉर्ड, नहीं तोड़ पाया कोई

संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी सबसे चुनौतीपूर्ण भर्ती परीक्षाओं में से एक है। जहां कई लोगों को परीक्षा पास करने में सालों लग जाते हैं, वहीं 21 साल के अंसार शेख इतनी कम उम्र में परीक्षा पास करने और आईएएस बनने वाले सबसे कम उम्र के बन गए हैं।

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Youngest IAS Officer Of India : ये होती है लगन, ऑटो ड्राइवर के बेटे ने UPSC में बनाया ऐसा रिकॉर्ड, नहीं तोड़ पाया कोई 

HR Breaking News (ब्यूरो)। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा (CSE) न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी सबसे चुनौतीपूर्ण भर्ती परीक्षाओं में से एक है. जहां कई लोगों को परीक्षा पास करने में सालों लग जाते हैं, वहीं 21 साल के अंसार शेख इतनी कम उम्र में परीक्षा पास करने और आईएएस बनने वाले सबसे कम उम्र के बन गए हैं.

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सालों की कड़ी तैयारी के बाद, लाखों उम्मीदवार आखिरकार हर साल परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन कुछ चुनिंदा लोगों को ही फाइनली चुना जाता है. केवल मेहनत, दिशा और दृढ़ संकल्प का एक स्ट्रेटजी यूपीएससी कैंडिडेट्स को परीक्षा पास करने में हेल्प कर सकती है. ऐसी ही एक कहानी है अंसार शेख की, जिन्होंने 2016 में 21 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के आईएएस बनकर इतिहास रच दिया था. अपने पहले प्रयास में, यूपीएससी 2016 में, उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 361 हासिल की थी.

अंसार शेख के पिता, योनस शेख अहमद, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में एक ऑटोरिक्शा चालक के रूप में काम करते थे. उसकी मां खेत में काम करती थीं. अंसार शेख का पालन-पोषण एक परिवार में बहुत मुश्किलों से हुआ. उनके छोटे भाई ने सातवीं कक्षा में स्कूल छोड़ दिया और परिवार का सपोर्ट करने के लिए गैरेज में काम किया और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में अंसार की मदद की. अंसार शेख का बचपन किसी संघर्ष से कम नहीं था, लेकिन, इन तमाम चुनौतियों के बावजूद अंसार ने अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की.

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अंसार शेख ने पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएट किया है. पीजी के लिए उन्हें भेदभाव का एक्सपीरिएंस भी हुआ था. आवास प्राप्त करने में असमर्थ होने के कारण उन्हें अपना नाम बदलना पड़ा. अंसार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि "मैंने कहा था कि मेरा नाम शुभम था, जो वास्तव में मेरे दोस्त का नाम था. अब मुझे अपना असली नाम छिपाने की जरूरत नहीं है," 
तमाम बाधाओं के बावजूद अंसार अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटके.

अंसार ने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलने के बजाय एक अलग रास्ता चुना, इस प्रक्रिया में इतिहास रच दिया. उनका प्रदर्शन और भी प्रभावशाली है जब कोई इस तथ्य पर विचार करता है कि उनके परिवार ने शिक्षा को उच्च मूल्य नहीं दिया. अंसार शेख वर्तमान में पश्चिम बंगाल में तैनात हैं.
 

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