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Success Story : अस्पताल में नौकरी करनें के साथ - साथ की UPSC की तैयारी, ऐसे बनी अक्षिता IAS अफसर

Akshita Gupta IAS Officer : आज हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी बताने वाले हैं। जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएगें। आज हम IAS अधिकारी डॉ. अक्षिता गुप्ता के बारे में बात करेंगे, जिन्होंने अपने पहले ही अटेंप्ट में यूपीएससी UPSC परीक्षा पास करने में सफलता हासिल की. जानिए पुरी कहानी...
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HR Breaking News (नई दिल्ली)। IAS Success Story : लाखों भारतीय यूपीएससी UPSC परीक्षा को क्रैक करने और आईएएस IAS अधिकारी बनने का सपना देखते हैं लेकिन यूपीएससी परीक्षा को क्रैक करना आसान नहीं है, जिसे कई लोग भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानते हैं. हर साल देश के अलग अलग हिस्सों से लाखों उम्मीदवार यूपीएससी UPSC परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही यूपीएससी UPSC परीक्षा को पास करने में सफल होते हैं और आईएएस अधिकारी बनते हैं. 

डॉ. अक्षिता गुप्ता चंडीगढ़ की रहने वाली हैं और उनके पिता पवन गुप्ता पंचकूला के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में प्रिंसिपल हैं. आईएएस अधिकारी डॉ अक्षिता गुप्ता की मां मीना गुप्ता एक सरकारी सीनियर माध्यमिक विद्यालय में गणित की लेक्चरर हैं. आईएएस IAS अधिकारी अक्षिता जब यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रही थीं, तब वह एक अस्पताल में डॉक्टर के रूप में काम कर रही थीं. डॉ. अक्षिता ने 2020 में अपने पहले अटेंप्ट में यूपीएससी परीक्षा पास की और ऑल इंडिया रैंक 69 हासिल की.

आईएएस अधिकारी अक्षिता ने तीसरे साल में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी और वह अपना सारा खाली समय यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में लगाती थीं. चूंकि आईएएस IAS अधिकारी अक्षिता गुप्ता एक मेडिकल छात्रा थीं, इसलिए उन्होंने मेन्स परीक्षा में मेडिकल साइंस को एक ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में चुनने का फैसला किया. डॉ अक्षिता गुप्ता ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के पार्ट के रूप में अपनी सभी मेडिकल बुक्स को रिवाइज किया. आईएएस अधिकारी डॉ. अक्षिता गुप्ता ने अस्पताल में 14 घंटे काम किया और अपने काम से लिए गए 15 मिनट के ब्रेक में यूपीएससी UPSC परीक्षा के लिए पढ़ाई करती थीं.

अक्षिता गुप्ता ने एक शानदार स्ट्रेटजी बनाई और उन सब्जेक्ट पर फोकस किया जिनमें वह कमजोर थीं. एक इंटरव्यू में अक्षिता ने कहा, “मैंने अपनी सभी मेडिसिन की किताबें लीं और यूपीएससी UPSC सिलेबस से संबंधित पेज फाड़ दिए. अपनी किताबों को फाड़ना दर्दनाक था, लेकिन यह अच्छे के लिए था. मैंने सभी पन्ने लिए, उन्हें स्टेपल किया और चैप्टर बनाए ताकि मुझे हर चीज के लिए नोट्स न बनाने पड़ें. इस तरह, मैंने मेडिकल साइंस ऑप्शनल के लिए तैयारी की."