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Success Story : मेहनत से हासिल किया मुकाम, मसाले बेचने वाले ने खड़ी की 27 हजार करोड़ की कंपनी, आपके भी काम आएगी ये सफलता की कहानी

Malabar Gold Brand : मालाबार का नाम तो आपने सुना ही होगा आज हम आपको इस बिजनेस की असफलता से सफलता तक की कहानी बताने जा रहे हैं। एमपी अहमद ने अपने बिजनेस की शुरुआत मसालों से की थी। जानिए इनकी पुरी कहानी...
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HR Breaking News (नई दिल्ली)। अगर कोई सफल होने की ठान ले तो उसे सफलता जरूर मिलती है। ऐसे लोग जो असफलता से घबराते नहीं है, उसका मुकाबला करते हैं, उनके सपने जल्द ही पूरे होते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो कभी मसाले बेचा करते थे। लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। आज वह 27 हजार करोड़ रुपये की कंपनी के मालिक हैं। हम बात कर रहे हैं मालाबार गोल्ड कंपनी के फाउंडर एमपी अहमद की। मालाबार गोल्ड आज एक नामचीन ब्रांड है। एमपी अहमद का जन्‍म एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां शुरुआत से ही छोटा-मोटा कारोबार चलता था।

अहमद के पिता मम्माद कुट्टी हाजी थे और माता का नाम फातिमा था। अहमद का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था, जो छोटा मोटा बिज़नेस करता रहता है। यही कारण था कि अहमद के मन में बचपन से ही बिज़नेस करने की ललक थी। 20 साल तक पहुंचते-पहुंचते एमपी अहमद ने 1979 में मसालों का कारोबार शुरू किया था।

नहीं मानी हार:

केरल के कोझीकोड में उन्‍होंने काली मिर्च, धनिया और नारियल का बिजनेस शुरू किया था। कुछ दिन तो इस बिजनेस को चलाया, लेकिन जल्‍द ही उन्‍हें अहसास हो गया कि यह कारोबार चलने वाला नहीं है। उन्होंने मार्केट रिसर्च की और तब उन्होंने पाया कि सोने और ज्वेलरी का आगे चलकर बहुत स्कोप हैं। उन्होंने इसी बिज़नेस को चुना और आज उनकी कंपनी मालाबार गोल्ड एक ब्रांड बन चुका है।

ऐसे की शुरुआत:

बिजनेस कोई भी हो उसे करने का एक जरूरी नियम है मार्केट रिसर्च। अहमद इस बारे में अच्छे से जानते थे, इसलिए अगले बिज़नेस को शुरू करने से पहले उन्होंने अपने आसपास मार्केट रिसर्च की। उन्होंने पाया कि मालाबार में कोई त्योहार हो या किसी को इन्वेस्टमेंट करना हो, तो वहां के लोग सोना खरीदते हैं। तब उन्होंने खुद का ज्वेलरी का बिज़नेस शुरू करने का फैसला लिया।

कारोबार के लिए पैसों को ऐसे जुटाया:

एमपी अहमद ज्वेलरी का बिजनेस करना चाहते थे। लेकिन इसके लिए उतनी पूंजी नहीं थी। इसके लिए उन्होंने प्रॉपर्टी बेचने का फैसला किया। किसी तरह उन्होंने 50 लाख रुपये जुटाए और कारोबार की शुरुआत कर दी। साल 1993 में 400 वर्गफुट की पहली शॉप कोझिकोड में खोली। यहीं से मालाबार गोल्‍ड और डायमंड की शुरुआत हुई।