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शब्द बुरे या मानसिकता, बच्चों की ये कविता कहां तक सही?

HR BREAKING NEWS. आज की जो ये खबर हम आपको बताने जा रहे हैं ये अभिभावकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस खबर में हम उस विषय पर बात करेंगे जो आपसे और आपके बच्चों से सीधा जुड़ा हुआ है। दरअसल पिछले कई दिनों से एक कविता को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। कविता वो
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शब्द बुरे या मानसिकता, बच्चों की ये कविता कहां तक सही?

HR BREAKING NEWS. आज की जो ये खबर हम आपको बताने जा रहे हैं ये अभिभावकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस खबर में हम उस विषय पर बात करेंगे जो आपसे और आपके बच्चों से सीधा जुड़ा हुआ है। दरअसल पिछले कई दिनों से एक कविता को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। कविता वो जो पहली क्लास की किताब में प्रकाशित की गई है। एनसीआरटी की पहली कक्षा की रिमझिम किताब में तीसरे चैप्टर में ये कविता छापा गई है। इस कविता पर आईएस अधिकारी ने भी ट्वीट किया है और अन्य लोगों ने भी कड़ी आपति जताई है।

कविता का शीर्षक ‘आम की टोकरी’ है. एक पक्ष को यह कविता इसमें प्रयोग हुए शब्दों जैसे ‘छोकरी’, ‘चूसना’, ‘दाम’ इत्यादि के कारण आपत्ति है।, वहीं दूसरे पक्ष को इसमें कुछ भी गलत नजर नहीं आ रहा.

अब आप पहले ये कविता देखिये आखिर इसमें है क्या –

छहसाल की छोकरी,
भरकर लाई टोकरी.

टोकरी में आम हैं,
नहीं बताती दाम है.

दिखादिखाकर टोकरी,
हमें बुलाती छोकरी।

हमको देती आम है,
नहीं बुलाती नाम है.

नाम नहीं अब पूछना,
हमें है आम चूसना.

छत्तीसगढ़ कैडर के 2009 बैच के IAS ऑफिसर अवनीश शरण ने इस कविता पर कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने लिखा- “यह किस सड़कछाप कवि की रचना है? कृपया इसे पाठ्यपुस्तक से बाहर करें.”

इस कविता पर जाने माने अभिनेता आशुतोष राणा ने भी सवाल उठाए. अपनी फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा- “एक तरफ हम हिंदी भाषा के गिरते स्तर और हो रही उपेक्षा पर हाय तौबा मचाते हैं और दूसरी ओर इतने निम्न स्तर की रचना को पाठ्यक्रम का हिस्सा बना देते हैं? ऐसी रचना को निश्चित ही पाठ्क्रम में नहीं रखा जाना चाहिए क्योंकि मनुष्य की भाषा उसकी पहचान होती है. “

राणा ने यह भी लिखा कि हमें यह याद रखना चाहिए कि बच्चे राष्ट्र की आत्मा होते हैं. यही हैं जिनके मस्तिष्क में अतीत सोया हुआ है. यही हैं, जिनके पहलुओं में वर्तमना करवटें ले रहा है और यही हैं जिनके कदमों के नीचे भविष्य के अदृश्य बीज बोए जाते हैं. सजल नाम के यूजर ने लिखा कि इस तरह की पाठ्य सामग्री बहुत से राज्य स्कूल बोर्ड की किताबों में मिल जाएगी. हमें यह करने की जरूरत है कि इस तरह की सामग्री को खोजें और उसे हटवा दें.

शब्द बुरे या मानसिकता, बच्चों की ये कविता कहां तक सही?

इस कविता को लेकर लोगों ने NCERT से लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री तक को टैग किया. मांग की कि ना केवल यह कविता हटाई जाए, बल्कि उसे भी हटाया जाए, जिसने इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया. लोगों ने कहा कि यह कविता द्विअर्थी और बच्चों को बिगाड़ने वाली है. मसलन, आज वे छोकरी शब्द सीखेंगे, फिर बड़े होकर युवा लड़कियों को छोकरी कहकर छेड़ेंगे.

अब ये भी जान लीजिए आखिर ये कविता का रचियता कौन है

यह कविता रामकृष्ण खादर नाम के कवि की लिखी हुई है और साल 2006 में NCERT की किताब का हिस्सा बनी थी. हमें पहले लगा कि शायद जिस कविता पर विवाद हो रहा है, उसे पहले ही हटाया जा चुका है. ऐसे में हमने NCERT की किताब का सबसे नवीनतम संस्करण देखा. कक्षा एक की रिमझिम किताब के सबसे नए संस्करण में भी यह कविता जस की तस छपी हुई है. ऐसे में इस पूरे विवाद के बारे में हमने NCERT के एक वरिष्ठ अधिकारी से बात की. उन्होंने नाम ना बताने की शर्त पर हमें बताया कि यह पहली बार नहीं है कि इस कविता को लेकर विवाद खड़ा हुआ. कुछ साल पहले भी ऐसा हो चुका है. तब NCERT की तरफ से इस कविता का रिव्यू किया गया था. किसी भी प्रकार दिक्कत इस कविता में नजर नहीं आई थी.  और बच्चों के लिए यह बहुत ही सहज और सरल कविता है.

इस पूरे मुद्दे पर NCERT ने ट्वीट कर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. ट्वीट में कहा गया है- “पाठ्यपुस्तक में जो भी कविताएं हैं, वे NCF-2005 के परिप्रेक्ष्य में स्थानीय भाषाओं की शब्दावली को बच्चों तक पहुंचाने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए शामिल की गई हैं, ताकि सीखना रुचिपूर्ण हो सके.”

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